“त्राहिमाम युगे युगे”- ज्वलंत विसंगतियों का आईना
त्राहिमाम युगे युगे (उपन्यास)लेखक - राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक -न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन नई दिल्ली प्रथम संस्करण -2024मूल्य -425 रुपए यह चिरंतन सत्य है कि मृत्यु का निर्धारण जन्म के साथ ही हो ...
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‘त्राहिमाम युगे युगे’ – एक गंगा जमुनी दस्तावेज़ !
इस सप्ताह, पिछले कुछ दिनों से चर्चा में आयी ‘त्राहिमाम युगे युगे’, पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मेरी रूचि को समझ कर आदरणीय राम पाल श्रीवास्तव जी से डाक द्वारा ...
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भहराते कथा-भवन की “आख़िरी शहतीर”
हिंदी कहानी ने उतार-चढ़ाव भरे कई दौर गुज़ारे हैं। नए आयामों एवं रुख़ को तय किया है। प्रयोगों और आंदोलनों को भी झेला है। इन सबके चलते निश्चय ही कहानी ...
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यथार्थवादी पुट से परिपूर्ण “डेढ़ आंख से लिखी कहानियां”
प्रतिभावान कथाकार तेजबीर सिंह सधर का प्रथम कथा संग्रह "डेढ़ आँख से लिखी कहानियाँ" पढ़ते समय ऐसा लगा कि एक ऐसे उपवन में विचरण कर रहा हूं, जहां नाना प्रकार ...
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“शिगूफ़ा” मतलब जीवन का यथार्थ बोध
प्रतिष्ठ कथाकार चित्रगुप्त की सद्य: प्रकाशित पुस्तक "शिगूफा" पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ। दरअसल यह 104 पृष्ठों पर मुश्तमिल 17 कहानियों का संग्रह है, जो न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नई दिल्ली ...
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पुस्तक कुछ कहती है
कहानियों का कारवाँ (उर्दू एवं अरबी की चयनित कहानियाँ) अनुवाद एवं संपादन - राम पाल श्रीवास्तव प्रकाशक - समदर्शी प्रकाशन, साहिबाबाद प्रथम संस्करण - 2024 मूल्य - 200 रुपए ...
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नए क्षितिज की तलाश करता “कहानियों का कारवां”
उर्दू अदब में अफसानानिगारी का चलन जितना पुराना है, उतना ही विदेशी कहानियों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण एवं अनुवाद भी बहुत दिलचस्पी से किए व पढ़े जाते रहे हैं। ...
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संवेदना का समंदर है “तृप्ति की एक बूंद
कहानी की भाषा सपाट नहीं होती। उसमें सहजता के साथ अस्वाभाविकता का पुट मिले तो कोई हर्ज नहीं ! लेकिन यदि कहानी में संवेदनशीलता न हो, तो वह कोई पुष्ट ...
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“कहानियों का कारवां” की नितांत पठनीयता
वाकई किसी कवि ने कहा था - हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे । किसी कवि की उक्त पंक्तियाँ उस समय चरितार्थ हो उठी ज़ब ...
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“कहानियों का कारवां” – एक ख़ूबसूरत गुलदस्ता
एक भाषा में रचे गए खूबसूरत और पठनीय साहित्य को दूसरी भाषा में अनुवाद करके पाठकों तक पहुंचाना दोनों भाषाओं के पाठकों को एक कीमती उपहार देने जैसा होता है। ...
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“मामक सार” – अंतर्वेदना का संवेग स्वर
उपन्यास को मैं एक अति क्रांतिकर विधा मानता हूं। इसका कारण केवल शिल्पगत एवं कल्पना-चित्रों के आमूल परिवर्तनों को नहीं समझना चाहिए, अपितु इसकी प्रभावकारिता में दिन-प्रतिदिन पैनापन का सहज ...
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“अवतारवाद – एक नई दृष्टि” का सफल मंतव्य
अवतारवाद पर राम पाल श्रीवास्तव जी की किताब "अवतारवाद एक नई दृष्टि " सच में एक नई दृष्टि लेकर हमारे सामने आई है। किताब को मैंने दो बार पढ़ा। किताब ...
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