यह एक महत्वपूर्ण विषय है , अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी | वास्तव में शब्द असीम है , अमर है  … नाम , रूप से परे है  , लेकिन है यह बड़ा व्यापक ……  एक ओर तो यह  है बहुत ही  प्रचंड और तीक्ष्ण !  इतना कि इसके प्रहार से सब धराशाई हो जाते हैं ! दूसरी ओर कोमलता का आलम यह है कि इसे सुनने हेतु प्रयास करना पड़ता है … साधना करनी पड़ती है ! कहा गया है कि शब्द को सुनने वाला धार्मिक दृष्टि से सफल है | वह अनहद को सुनकर अपने जीवन को सफल बना लेता है | प्रभु को प्राप्त कर लेता है | कहा गया है –

जै जै सबदु अनाहदु बाजै ,

सुनि सुनि अनद करें प्रभु गाजै |

अर्थात , धन्य है वह जो अनहद – असीम शब्द – को सुन सकता है और जिसके शब्द – नाद को सुनकर वह असीम सुख का भोग करता है |

ज्ञात हुआ कि शब्द – साधना से बड़े – बड़े विघ्न पार हो सकते हैं | अतः हमें बोलचाल में , जीवन के अन्य कार्यों में शब्द – प्रयोग में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है | जो ऐसा नहीं करते अपने जीवन में बहुत – सी अनचाही समस्याओं को ले आते हैं | साथ ही हमें  अंतर्मन के शब्दों को सुनना भी है , जो सदैव हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा भरते रहेंगे ….. हाँ , इन शब्दों को सुनने के लिए सतत अभ्यास की ज़रूरत है | – Dr RPS

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