क्या कोई सोच सकता है कि हमारे देश की राजधानी में भूख से एक ही परिवार की तीन बच्चियों की मौत हो जाए और देश के विकास की अनवरत गाथाएं सुनाई जाएं ? हमारे देश के विकास की क्या यही सच्चाई है कि पेट भरने को कुछ न मिले ? कहाँ गई दिल्ली की आप सरकार की गरीबों के घर – घर राशन पहुँचाने की स्कीम , जिस पर एल जी महोदय अब तक कुंडली मारे बैठे हुए हैं ? क्या मंडावली की इस घटना के बाद उन्होंने इससे संबंधित काग़ज़ पर दस्तख़त कर दिए ? यदि अब भी वे सो रहे हैं कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के बाद दिल्ली की जनता उनके आवास में जाकर धरना दे | मशहूर शायर अदम गोंडवी [ राम नाथ सिंह ] ने अपने एक शेअर में इस पीड़ा का बख़ूबी चित्रण किया है –

बेचता यूं ही नहीं है आदमी ईमान को, भूख ले जाती है ऐसे मोड़ पर इंसान को ।

हद हो गई हमारे देश की राजनीति की ! कुछ तो शर्म कीजिए ! मुहताज गरीबों के घर के द्वार पर राशन पहुँचाने की स्कीम पर महीनों से अपनी मंज़ूरी न दे रहे दिल्ली के एल जी महोदय पर दबाव बनाने और मंज़ूरी देने के लिए पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री जब एल जो आफ़िस में अपने कुछ मंत्रियों के साथ धरने पर बैठ गए , तो पक्षपाती मीडिया ने उनके बारे में तरह – तरह की आपत्तिजनक बातें कीं और भरपूर दुष्प्रचार किया | मगर इस स्कीम की ज़रूरत से कन्नी काटते रहे | चार राज्यों के गैर भाजपाई मुख्यमंत्री भी केजरीवाल के समर्थन में आए और दिल्ली पहुंचकर एल जी महोदय से मिलने की नाकाम कोशिश की | ये सभी किसी तरह का दबाव नहीं बना पाए |

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया से कहा कि ” यही हाल रहा तो चुनी हुई सरकारों का क्या भविष्य होगा? हमने तीन-चार घंटे इंतिजार किया, लेकिन एल जी ने मिलने से इन्कार किया | सामने लोकसभा का चुनाव है | आप जनता के सामने जाएं |”

ममता बनर्जी ने इस सिलसिले में प्रधानमन्त्री से भी बात की , जिसका नतीजा शून्य ही निकला | आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि केंद्र राज्य को साथ काम करना चाहिए | कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि हम यहां केजरीवाल के समर्थन में आए हैं | लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रधानमन्त्री को इस मामले में दखल देना चाहिए | केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन भी खिन्न दिखे |

अब भुखमरी हुई , तो एक – दूसरे पर कीचड़ उछालकर ओछी राजनीति की जा रही है | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इसकी ज़िम्मेदारी अपनी सरकार पर ही डाली है , जबकि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कह रहे हैं कि सिस्टम फेल हुआ | सरकार ने मजिस्ट्रेटी जाँच का आदेश दिया है | फिर भी यही जा सकता है कि यदि आप सरकार की राशन – योजना को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मान लिया जाता , तो ऐसी घटना शायद न होती | तीनों बच्चियों के शवों का दो बार पोस्टमार्टम हुआ , जिनकी रिपोर्टों में मौत की वजह भुखमरी ही बताई गई है | जीटीबी अस्पताल और लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में कराए गए पहले पोस्टमॉर्टमों में साफ़ बता दिया गया कि उनके शरीर में अनाज या भोज्य सामग्री का कोई अंश तक भी नहीं मिला | लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के एम एस डॉक्टर अमित सक्सेना ने बताया कि तीनों बच्चियों का शारीरिक ढांचा ही बता रहा था कि को कुपोषण का शिकार हुई हैं | ढांचा एक बन्दर की तरह हो गया था | इस प्रकार मामले को हल्का बनानेवालों के मुंह लटक व सिल गए , हालाँकि एस डी एम की रिपोर्ट में मौत का कारण गलत दवाई का खाना बताया गया है , जो सही नहीं मालूम होता |

भूख से मरी आठ साल की मानसी, चार साल की शिखा और दो साल की पारुल का शव मंडावली में एक कमरे से बरामद हुआ था | ये सभी शव 21 जुलाई 18 को बरामद किए गए | हक़ीक़त यह है कि हमारा देश भूख से होनेवाली मौतों के मामले में उत्तर कोरिया से भी पीछे है | वैश्विक भूख सूचकांक में हमारा देश 119 विकासशील देशों में 100 वें स्थान पर है | ज़ाहिर है , यह स्थिति सर्वथा असंतोषजनक है | सरकार को चाहिए कि इस दिशा में संजीदगी से सोचे और ठोस कार्ययोजना बना कर हालात को काबू में लाए | – Dr RP Srivastav , Chief Editor , ” Bharatiya Sanvad ”

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