सच है, दुनिया का कोई भी देश अपने प्रधानमंत्री पर हमले की साज़िश को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता है | ऐसा करना भी नहीं चाहिए | फिर जब हमारे देश में अराजकतावादी ऐसा करने की साज़िश रचते हैं, और उनकी धरपकड की जाती है, तो इतनी हाय – तौबा क्यों मचती है ? ऐसा लगता है कि कुछ लोग अपनी अन्धता में हिंसा को भी जायज़ ठहराने पर तुले है, जो कितनी गंभीर स्थिति की ओर संकेत है , सहज ही समझा जा सकता है | फिर भी दस से अधिक की गिरफ्तारियों को कम से कम अंकुशीकरण की प्रक्रिया माना ही जा सकता है | इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए असहमति आवश्यक है | वकील, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, कवि और बुद्धिजीवी वरवरा राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, जिनेस आॅर्गनाइजेशन के वर्णन गोंजालविस और लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा की छापेमारी के बाद पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को अनुचित क़रार देते हुए आदेश दिया है कि माओवादियों से सहानुभूति रखने के आरोप में गिरफ्तार पांच लोगों को फिलहाल उनके घरों में ही नजरबंद रखा जाए | कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को रखी है और तब तक ये सभी अपने घरों में ही नजरबंद रहेंगे | मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने पांचों की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा है | पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली मेंअलग-अलग जगहों पर छापे मार कर सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गोंजाल्विज को गत 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया था | सुनवाई के समय जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमित लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है | इन गिरफ्तारियों के ख़िलाफ़ देश में कुछ स्थानों पर प्रदर्शन किए गए और अनेक प्रतिक्रियाएं सामने आईं | ये सभी गिरफ्तारियां मुंबई , ठाणे , दिल्ली , फरीदाबाद और हैदराबाद से की गईं | पुलिस का कहना है कि ये सभी छापे भीमा कोरेगांव मामले में अभियुक्तों के खिलाफ और सबूतों व अब तक मिले सबूतों के तार जोड़ने के लिए मारे गए हैं। प्रधानमंत्री पर हमले की साज़िश को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता | यह मामला पहली बार उस वक्त सामने आया था, जब पुणे पुलिस भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रही थी | जांच के दौरान पुणे पुलिस ने 5 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया था | इन पर प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से संबंध रखने का आरोप है | पुलिस को आरोपियों में से एक के घर से चिट्ठी मिली है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि माओवादी ‘एक और राजीव गांधी हत्याकांड’ की योजना बना रहे हैं | दिल्ली में रोना विल्सन के घर से मिली चिट्ठी में एम-4 राइफल और गोलियां खरीदने के लिये आठ करोड़ रुपए की जरूरत की बात भी लिखी मिली | पुलिस ने दिसंबर में यलगार परिषद और इसके बाद जिले में भीमा-कोरेगांव हिंसा से संबंधित दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले, वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राउत, शोमा सेन और रोना विलसन को मुंबई, नागपुर एवं दिल्ली से गिरफ्तार किया था | इन गिरफ्तारियों पर कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गाँधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा है | उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ”न्यू इंडिया ” में एकमात्र एन जी ओ आर एस एस के लिए जगह है | उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ” दूसरे सभी एन जी ओ बंद कर दो | सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दो और शिकायत करनेवालों को गोली मार दो | ‘ न्यू इंडिया ‘ में स्वागत है | ” उधर माकपा के शीर्ष नेता प्रकाश करात ने कहा है कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर बड़ा हमला है | हम मांग करते हैं कि इन लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए सभी केस वापस लिए जाएं और सभी को जल्द से जल्द रिहा किया जाए | चर्चित लेखक और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने देश भर में चल रहे छापे और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सरकार की आलोचना की | उन्होंने सरकार के इस कदम को ‘क्रूर, सत्तावादी, दमनकारी, मनमाना और अवैध’ क़रार दिया | श्री गुहा ने इसके लिए ‘सत्तारूढ़ सरकार के कॉर्पोरेट क्रोनियों’ को दोषी ठहराया है | उन्होंने कहा कि ये लोग आदिवासियों की भूमि, वन और खनिज संसाधनों को कब्जा करना चाहते हैं| इन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का सीधा सा मतलब है कि आदिवासियों के एकमात्र प्रतिनिधित्व को रास्ते से हटाना | इतिहासकार रोमिला थापर ने जो उन पांच लोगों में शामिल हैं , जिन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था, कहा कि देश में पिछले चार वर्षों में भय का माहौल बढ़ा है और यह माहौल इमरजेंसी की तुलना में अधिक भयभीत करनेवाला है |
जानीमानी लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि जो कुछ हो रहा है, वह पूरी तरह खतरनाक है | यह बिल्कुल इमरजेंसी की घोषणा होने वाली स्थिति जैसा है | उनके अनुसार, ‘एक ही साथ राज्यव्यापी गिरफ्तारियां एक ऐसी सरकार के खतरनाक संकेत हैं, जिसे अपना जनादेश गंवाने और घबराहट में अपने गिरने का डर है | वकीलों, कवियों, लेखकों, दलित अधिकार कार्यकर्ताओं एवं बुद्धिजीवियों को ऊटपटांग आरोपों में गिरफ्तार किया जा रहा है, जबकि भीड़ की शक्ल लेकर हत्या करने वाले, दिनदहाड़े लोगों को धमकाने और उनकी हत्या करने वाले लोग खुला घूम रहे हैं | यह साफ बताता है कि भारत किधर जा रहा है |’ उन्होंने कहा कि हत्यारों को सम्मानित और संरक्षित किया जा रहा है जबकि न्याय के लिए बोलने वालों या हिंदू बहुसंख्यकवाद के खिलाफ बोलने वालों को अपराधी बनाया जा रहा है | उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हो रहा है वह निश्चित तौर पर खतरनाक है | जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने एक ट्वीट में लिखा, ‘फासीवादी फन अब खुलकर सामने आ गए हैं |’ उन्होंने कहा, ‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है | वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ जा रहे हैं | वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं |’ नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने भी छापेमारियों की कड़ी निंदा करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘महाराष्ट्र, झारखंड, तेलंगाना, दिल्ली, गोवा में सुबह से ही मानवाधिकार के रक्षकों के घरों पर हो रही छापेमारी की मैं कड़ी निंदा करती हूं | मानवाधिकार के रक्षकों का उत्पीड़न बंद हो. मोदी के निरंकुश शासन की निंदा करती हूं |’ 28 अगस्त की सुबह के लगभग 6 बजे सबसे पहले छापे की खबर झारखंड की राजधानी रांची से आई। महाराष्ट्र पुलिस ने आदिवासी भूमि अधिकारों के लिए चलाए जा रहे आंदोलन ‘पत्थलगड़ी’ में सक्रिय स्टैन स्वामी के आवास पर छापा मारा। इस छापे के दौरान पुलिस ने उनके घर से कम्प्यूटर, लैपटॉप, सीडी, कुछ कागजात और किताबें उठा के ले गयी। उनसे महाराष्ट्र पुलिस ने महाराष्ट्र में सक्रिय कुछ संगठनों के बारे में भी पूछताछ की। महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने इसी के साथ भीमा कोरेगांव मामले में पहले से गिरफ्तार अरूण फरेरा के पुणे स्थित आवास पर छापेमारी की, जबकि सुसान अब्राहम और वेरॉन गोंजाल्विस के मुंबई आवास पर छापे डाले गए | वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के दिल्ली और आईआईटी प्रोफेसर और लेखक आनंद तेलतुबड़े के गोवा स्थित आवास पर छापेमारी हुई है। साथ ही चर्चित जनकवि और माओवादी संबंधों के मामलों में ख्यात आंध्र प्रदेश के वरवरा राव, नसीम और क्रांति टेकुला के हैदराबाद स्थित आवास, वरवरा राव की बेटी अनाला के घर और पत्रकार कुरमनात के यहां भी पुलिस ने भी छापे मारे गए | सुरक्षा एजेंसियों ने फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया | उनका लैपटॉप और पेन ड्राइव भी जब्त कर लिया गया | वहीं ठाणे से अरुण परेरा और मुंबई से वर्णन गोंजाल्विस को हिरासत में लिया गया | दिल्ली से गौतम नवलखा और हैदराबाद से वरवरा राव को भी गिरफ्तार किया गया | इन सभी को नक्सलियों से साठगांठ के आरोप में हिरासत में लिया गया | नक्सली कथित रूप से पीएम मोदी पर हमले की साजिश रच रहे थे | सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा, 153ए, 505 (1)बी, 117,120बी, 13,16,18,20,38,39,40 और अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया गया है | ज़ाहिर है ,सरकार बजा तौर पर अराजकतावादियों पर लगाम लगाना चाहती है , जिसका सभी को समर्थन करना चाहिए | इन लोगों के इरादे बहुत ही खतरनाक हैं | सुरक्षा बलों को जो दस्तावेज़ मिले हैं , उनके अनुसार शीर्ष माओवादी नेताओं ने हाल में ही म्यांमार में एक मीटिंग आयोजित की थी, जहां उन्होंने अन्य प्रतिबंधित संगठनों के साथ रणनीतिक गठबंधन बनाए | इस बैठक में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई [ माओवादी ] पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और जम्मू-कश्मीर के आतंकवादी संगठनों के नेता मौजूद थे | इस बैठक में उन्होंने राष्ट्र के खिलाफ युद्ध चलाने और शहरी संयुक्त मोर्चा (अर्बन युनाइटेड फ्रंट) बनाने के इरादे से संयुक्त रूप से एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए | इस मीटिंग में पीएलए कमांडर सीपीआई (माओवादी) के युवा सदस्यों को ट्रेनिंग और हथियार प्रदान करने पर सहमत हुए | बैठक में पीएलए और सीपीआई (एम) के बीच कुछ हथियार सौदे को भी अंतिम रूप दिया गया था. इसके लिए बजट सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति के कामरेड वी.वी. द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसके पत्र से ये सारे सनसनीखेज खुलासे हुए हैं | पत्र असम के कामरेड प्रकाश उर्फ रितुपम गोस्वामी द्वारा कामरेड आनंद को संबोधित किया गया है | ये सभी इस मामले में अभी भी वांटेड हैं | सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि कामरेड आनंद कटकाम सुदर्शन के अलावा कोई और नहीं है जो पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का नेतृत्व कर रहा था और झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में पार्टी की गतिविधियों की निगरानी करता है | महाराष्ट्र के ए डी जी परम वीर सिंह ने गत 31 अगस्त 18 को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि नक्सली सरकार के ख़िलाफ़ बड़ी साज़िश रच रहे थे | सभी देश में अराजकता फैलाना चाहते थे | ये सभी आपस में ईमेल के ज़रिये संपर्क में थे | उन्होंने बताया कि इन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर घरों में नजरबंद रखा गया है | देखना है कि इस मामले सुप्रीमकोर्ट का क्या अगला फ़ैसला आता है ? –
– Dr RP Srivastava, Editor – in – Chief , ”Bharatiya Sanvad”