समलैंगिकता को अब अपराध की सूची से बाहर कर दिया गया है | सुप्रीम कोर्ट ने गत 6 सितंबर 2018 को अपने पुराने फ़ैसलों को पलटकर जनमानस को चौंका दिया | अब दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं रहे | सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने समलैंगिकता को अपराध बतानेवाली धारा 377को खत्म कर दिया है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए धारा 377 को बहाल कर दिया था। हाईकोर्ट ने 2009 में नाज़ फाउंडेशन की याचिका पर धारा 377 को हल्का कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ कई समीक्षा याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें बाद में रिट याचिकाओं में तब्दील कर दिया गया और मामला संविधान पीठ को सौंप दिया गया था। इस पीठ ने अब फ़ैसला सुनाया है , जिससे सभी नैतिक – धार्मिक मूल्यों के वास्तविक पक्षधरों को निराशा हाथ लगी है | ऐसा भी हो सकता था कि इस मामले में देर से फ़ैसला आता , मगर ऐसा नहीं हो सका | यह स्वयंसिद्ध बात है कि इन्सान जब भी अपने सहज – स्वाभाविक कर्म को छोड़ता है और मनमानी ढंग से अपनी ज़िन्दगी बिताता है , तो यह उसके लिए भारी मुसीबत का सामान बनता जाता है | इसीलिए सन्मार्ग पर चलने की बार – बार ताकीद की जाती है |

इतिहास गवाह है कि इन्सान ने जब सीमा एवं मर्यादा का उल्लंघन किया , तो वह ऐसी बीमारी में मुब्तिला हो गया , जो आज तक लाइलाज है | आज भी एड्स का इलाज संभव नहीं है | इसके लिए अब तक किए गए शोध – प्रयास विफल रहे हैं | इसी बीच कुमार्गगमन के नतीजे में एक नई बीमारी ने दस्तक दी है , उसका नाम है ‘ सेक्स सुपरबग ‘ | यह एचआईवी एड्स से भी ज्यादा खतरनाक बीमारी है | इसके वायरस बड़ी तेज़ी के साथ फैलते और इन्सान की सेहत को चौपट कर डालते हैं | इन सब हकीकतों के बावजूद अस्वाभाविक ज़िन्दगी जीने और अपने को अलग दिखाने की जो कुप्रवृत्ति बढती जा रही है , वह यकीनन बहुत अफ़सोसनाक एवं चिंताजनक है |

आज जो लोग अस्वाभाविक कर्म को इन्सानियत के खिलाफ़ समझते हैं , वे इसका ज़ोरदार विरोध करते हैं , उन्हें करना ही चाहिए | फ़्रांस में समलैंगिकों की शादी को जायज ठहराने वाले कानून के खिलाफ लंबे समय से विरोध जारी है। कुछ महीने पहले हजारों लोग पेरिस में सड़क पर उतर आए | लोगों ने इस कानून के खिलाफ रैलियां निकाली और जमकर नारेबाजियां की। पुलिस का कहना था कि इस विरोध प्रदर्शन में करीब डेढ़ लाख लोगों ने हिस्सा लिया जबकि आयोजकों के मुताबिक 10 लाख लोग इस रैली में शामिल हुए। रैली के दौरान दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं और दंगा पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं जिसके बाद करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया गया ।

ये प्रदर्शन फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा समलैंगिक शादियों को मंज़ूरी देने वाले विधेयक पर हस्ताक्षर के विरोध में हुए | इसी के साथ फ्रांस समलैंगिक शादियों को कानूनी दर्जा देने वाला यूरोप का नौवां और दुनिया का 14वां देश बन गया था । इस कानून में सिर्फ समलैंगिकों की शादी का प्रावधान ही नहीं है , बल्कि इस कानून के तहत जोड़े बच्चे भी गोद ले सकते हैं। आज लोग स्वाभाविकता की खोज में हैं | बहुत – से विदेशी दम्पति भारत आकर हिन्दू धर्म के अनुसार विवाह करते हैं । पाश्चाात्त्य संस्कृति का अनुकरण खतरनाक है । समलैंगिक विवाह जैसी विकृति से विवाह संस्था खतरे में है ।

समलैंगिकता केवल एक विकृति नहीं है, यह एक प्रकार का रोग है । ऋग्वेद में है कि ‘प्रकृति ही विकृति है ।’ ऋग्वेद कहता है ‘जो प्रकृति में है, वह प्राकृतिक है । जो स्वभाव में है, वह स्वाभाविक है ।’ हिन्दू धर्म विवाह दो आत्माआें का संबंध बताया गया है, दो शरीरों का संबंध नहीं । इस्लाम में भी यह वर्जित है | क़ुरआन में है कि हज़रत लूत ने अपनी कौम से कहा , ” ऐ मेरी कौम के लोगो , क्या तुम वह प्रत्यक्ष अश्लील कर्म करते हो , जिसे दुनिया में तुमसे पहले किसी ने नहीं किया ? तुम स्त्रियों को छोड़कर पुरुषों से कामेच्छा पूरी करते हो , बल्कि तुम नितांत मर्यादाहीन लोग हो [ क़ुरआन 7 – 80 , 81 ] | – Dr RP Srivastava, Editor – in – Chief , ”Bharatiya Sanvad”

 

कृपया टिप्पणी करें