सभी जानते हैं कि राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं होता है, इसीलिए राष्ट्रीय एकता और अंखडता से कोई समझौता नहीं होता है। जो राष्ट्र विरोधी है वह देश का दोस्त नहीं बल्कि दुश्मन के समान होता है और उसके साथ मुरव्वत करना देश के साथ गद्दारी करने जैसा होता है।इस समय राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहना और राष्ट्र के अपमान करने का जैसे दौर शुरू हो गया है।देश के विभिन्न राज्यों में समय – समय पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के मामले सामने आते रहते हैं। इस समय जम्मू कश्मीर राष्ट्र विरोधी हरकतों एवं करतूतों में सबसे आगे है और लोग खुलेआम राष्ट्र विरोधी ताकतों को पनाह ही नहीं दे रहे हैं , बल्कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर देश की एकता अखंडता के लिये खतरा बन रहे हैं।वहाँ पर तैनात सुरक्षा बलों की माने तो इस साल अब तक 130 से अधिक वहाँ के पढ़ें लिखेे युवक आतंकवादी संगठनों में शामिल हो चुके हैं जो राष्ट्र के भविष्य के लिए कतई शुभ नहीं कहा जा सकता है।जम्मू कश्मीर से तैयार होकर आतंकी संगठनों में शामिल होने के ही कारण आये दिन वहाँ पर मुठभेड़ मेंं आतंकियों का मौत होना एक सामान्य बात हो गयी है। जम्मू कश्मीर में पढ़े – लिखे युवकों का आतंकी बनना चिंता का विषय है और इस पर रोक लगाना राष्ट्रहित में जरूरी हो गया है।अभी कुछ दिनों पहले कुपवाड़ा में हुई मुठभेड़ में मारे गये तीन आतंकियों में हिजबुल मुजाहिदीन का स्थानीय कमांडर मन्नान वानी आतंकी बनने से पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भूगर्भ शास्त्र में पीएचडी कर रहा था। इसने जम्मू कश्मीर में सोशल मीडिया के माध्यम से जहर उगलकर आतंकवाद का विस्तार किया था और उसके उत्तेजक लेख राष्ट्र विरोधी लोगों को भड़काकर देश विरोधी आतंकी बनने की प्रेरणा देने वाले थे। इसी तरह मन्नान के बाद तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद सहराई का लड़काजुनैद भी आतंकी बनने के समय एमबीए कर रहा था जबकि बादशाह विश्वविद्यालय के ईसा फजली बी टेक कर रहा था।इसी तरह अबतक सैकड़ों पढ़ें लिखे युवक आतंकी बन चुके हैं और यह क्रम लगातार जारी है ? असलियत तो यह है कि इधर जेहाद के नाम पर चल आतंकी सगंठनों ने काश्मीर के पढ़ें लिखे युवाओं के जेहादीकरण के लिये एक विशेष स्टूडेंट्स आपरेशन चला रखा है और मुस्लिम यूनिवर्सिटियों को निशाना बनाया जा रहा है।अभी दो दिन पहले ही इसी तरह का एक और मामला सुर्खियों में आया है जिसे लेकर सरकार ऊहापोह में है , क्योंकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 12 सौ छात्रों ने धमकी देते हैं कि आतंकी बुरहानी के नमाज़े जनाजा के दौरान देश विरोधी नारेबाजी करने वाले तीन छात्रों के विरुद्ध दर्ज मुकदमों को अगर वापस नहीं लिया तो वह विश्वविद्यालय छोड़ देगें। विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर ने कुलपति को पत्र लिखकर कहा है कि काश्मीरी युवकों को बदनाम करने की कोशिशें बंद नहीं हुईं, तो आगामी 17 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के 12 सौ छात्र अपने अपने घर चले जायेंगे। उन्होंने कहा है कि जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने नमाज़े जनाजे की अनुमति ही नहीं दी गई थी जिससे कोई कार्यक्रम ही नहीं हुआ तो नारेबाजी का आरोप लगाना मात्र उत्पीड़न और बदले की कार्यवाही है।बताते चलें कि विश्वविद्यालय से निष्कासित छात्र आतंकी मन्नान वानी की नमाज़े जनाजा विश्वविद्यालय परिसर के अंदर पढ़ने की कोशिश के दौरान देश विरोधी नारेबाजी करने के आरोप में तीन काश्मीरी छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा गत 12 अक्टूबर को दर्ज कराया गया है। विश्वविद्यालय शिक्षा का मंदिर माना जाता है और वह देशभक्ति एकता अखंडता एवं संवैधानिकता से बंधा होता है। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले विश्वविद्यालय से निष्कासित आतंकी की नमाज़े जनाजा पढ़ने वालों को राष्ट्रभक्त नहीं, बल्कि उनका समर्थक आतंकी ही माना जा सकता है। देश के खिलाफ आग उगलने एवं आतंकवाद फैलाने वालों को किसी भी कीमत पर राष्ट्रभक्त नहीं कहा जा सकता है। साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि इस तरह की कार्रवाई में निर्दोष काश्मीरी शिकार न हों , क्योंकि सभी काश्मीरी आतंकी देशद्रोही नहीं हैं और वहाँ पर आज भी भारत माता की जय बोलने वाले मौजूद हैं। विश्वविद्यालय अथवा कालेज स्कूल शिक्षा सदन एवं माँ सरस्वती के पवित्र मंदिर होते हैं | वहाँ पर आतंकी नहीं एक नेक ज्ञानी देशभक्त इंसान बनाया जाता है, इसलिए इस बात की बहुत चिंता नहीं करनी चाहिए कि छात्र पढ़ाई छोड़ देगें तो बदनामी होगी। देश की अस्मिता से समझौता करना भी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं होता है।
– भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यू पी