क्या कैशबंदी भी महंगाई की एक शक्ल है ? महंगाई वह चीज़ है कि आदमी पैसा तो रखता है , लेकिन चीज़ों के दाम इतने बढ़े हुए होते हैं कि वह उन्हें खरीदने से पहले दस बार सोचता है | जबकि कैशबंदी इससे भिन्न है कि आदमी के पास चीज़ों को खरीदने के लिए नक़दी नहीं होती और भारत जैसे फर्द में सब काम कैशलेस नहीं हो सकता ! उक्त दोनों स्थितियां ” अभाव ” की हैं , इसलिए दोनों में साम्यता है | दोनों ही स्थितियों की मार आम आदमी पर पड़ती है | देश में एक बार फिर नोट बंदी जैसे हालात हैं | राजधानी दिल्ली – एन सी आर समेत छोटे – बड़े अन्य 12 राज्यों में कैश की किल्लत की खबरें आ रही हैं। कैश की किल्लत उत्तर प्रदेश , बिहार, आंध्रप्रदेश , उत्तराखंड , मध्य प्रदेश , बंगाल , कर्नाटक, जम्मू – कश्मीर , तेलंगाना , गुजरात और महाराष्ट्र में है। इन सभी राज्यों में कैश को लेकर हाहाकार मचा हुआ है | बहुत से ए टी एम वीरान पड़े हैं | जहाँ कुछ पैसे हैं , वहां लंबी – लंबी लाइनें हैं | ज़्यादातर एटीएम के बाहर ‘ नो कैश’ का बोर्ड लगा दिया गया है। लोग कैश की तलाश में एटीएम और बैंक के चक्कर काट रहे हैं। बैंक भी लोगों को ज्यादा कैश नहीं दे रहे हैं, जबकि शादी का सीजन है। बीमार लोगों को भी काफ़ी परेशानी उठानी पड़ रही है | लोग विरोध में सड़कों पर भी उतरने लगे हैं | भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश के उज्जैन में लोगों ने जबरदस्त प्रदर्शन भी किया है | नक़दी संकट को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौंकाने वाला बयान देते हुए इसे साज़िश करार दिया। किसानों की सभा को संबोधित करने को दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि 2000 के नोट को साज़िश के तहत चलन से ग़ायब किया जा रहा है। कैशबंदी के एक नहीं अनेक कारण बताए जा रहे हैं , लेकिन प्रमाण के साथ कोई बात नहीं कही जा रही है | भाजपा के राज्यसभा सांसद राजीव चन्द्रशेखर ने आरोप लगाया है कि कांग्रेसियों ने लाइन में लगकर एक साज़िश के तहत ए टी एम ख़ाली किया है | यह बात बार – बार कही जा रही है कि लोगों को फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल पास होने का डर सताने लगा है , जिसके चलते वे बैंकों से अपना पैसा निकाल रहे हैं | जबकि सरकार की और से बैंकों में पैसा सुरक्षित होने की बात कही गई है | वस्तुस्थिति यह है कि बिल में सरकार द्वारा केवल एक लाख छोड़कर पूरा पैसा लेने का प्रावधान है | ग्राहकों के पैसों से बैंकों की सेहत सुधारने का बिल में प्रावधान किया गया है | यह बिल लोकसभा की संसदीय समिति के पास है | कैश – किल्लत की एक बड़ी वजह बैंकों के दीवालिया होने की आशंका है | बैंकों में लगातार बढ़ रहे एनपीए से बैंकों के ग्राहक चिंतित हैं | दो सौ के नोट जब जारी हुए थे , तब यह आशंका प्रकट की गई थी कि ये काले धन संग्रहण का बड़ा उपकरण बनेंगे | यह आशंका सच साबित हुई , जिसके चलते पिछले लगभग एक साल से दो सौ रूपये के नोटों की छपाई बंद है | अतः 200 के नोट को लेकर 70 फीसदी एटीएम कैलीब्रेट नहीं किए गये | फिर भी इसका संग्रहण बढ़ता रहा | कैशबंदी का एक कारण विशेषकर कर्नाटक और मध्यप्रदेश के होनेवाले विधानसभाओं के चुनाव हैं | पी एम ओ ने इस समस्या पर बैठक की है | वित्त मंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि देश में कैश की स्थिति की समीक्षा की गई है | देश में पर्याप्त मात्रा में नक़दी मौजूद है, बैंकों में भी कैश उपलब्ध है | कुछ क्षेत्रों में ‘अचानक और असामान्य वृद्धि’ के कारण कुछ समय के लिए नक़दी की समस्या हुई है | इस स्थिति से ज्ल्द से जल्द निबटने की कोशिश की जा रही है | उल्लेखनीय है कि भीम ऐप के इस्तेमाल पर कैश बैक के इंसेंटिव की घोषणा के बाद कैश की किल्लत हुई है | सरकार चाहती है कि लोग भुगतान के वैकल्पिक साधन इस्तेमाल करें | केन्द्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि जल्द ही समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा | उनके मुताबिक़ , केंद्र सरकार और आरबीआई ने एक कमेटी का गठन किया है | आने वाले 2 से 3 दिन में इस परेशानी से निबट लिया जाएगा , लेकिन एक सप्ताह बीतने को हैं स्थिति सामान्य नहीं हुई है | आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव एससी गर्ग ने कहा कि 500 के नोटों की छपाई पांच गुना बढ़ाई जाएगी। इससे नकदी संकट जल्द ही खत्म हो जाएगा। गर्ग ने कहा कि पिछले 15 दिनों में सामान्य से तीन गुना ज्यादा पैसों की निकासी हुई है, इसीलिए नोट कम पड़ गए हैं। सामान्यत: हर माह 20 हजार करोड़ की मांग होती है, लेकिन पिछले 15 दिनों में बैंकों-एटीएम से 45 हजार करोड़ निकाले गए हैं। एसबीआई के उप महाप्रबंधक नीरज व्यास ने कहा कि 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘एटीएम में हम 2000 रुपये के जितने भी नोट डालते हैं, वे निकल जाते हैं, लेकिन फिर काउंटर पर नहीं लौटते। कैश संकट का सबसे ज्यादा असर यदि किसी राज्य में है तो वह बिहार है | यहां पटना, बेगूसराय, सीवान, छपरा, सहरसा, भागलपुर समेत कई शहरों में लोग कैश पाने के लिए भटक रहे हैं | एटीएम और बैंक में भी नोट नहीं है | पटना के सबसे वीआईपी इलाक़े राजभवन के ए टी एम में भी कई दिनों तक कैश नहीं रहा |इसी इलाके में राज्यपाल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आवास है | इन पंक्तियों के लिखने तक झारखंड भी कैश संकट से जूझ रहा है | झारखंड के बैंकों में पटना के आरबीआई रीजनल हेडक्वाटर से पैसा आता है | पिछले एक हफ्ते से झारखंड में कैश फ्लो बेहद कम रहा है | मध्य प्रदेश में भी कैश की दिक्कत हो रही है.| भोपाल, इंदौर, जबलपुर, शहडोल, सिवनी, रतलाम समेत कई शहरों के एटीएम और बैंकों में कैश नहीं है | उत्तर प्रदेश कैश का संकट उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में सबसे ज्यादा है.| इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक भी बुलाई | उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले में तो बैंक शादी का कार्ड देखकर खाता धारकों को भुगतान कर रहे हैं | गुजरात में 10 दिन पहले ही नकदी की कमी हो गई थी, जिसका असर लोगों को काफी दिनों बाद देखने को मिला | पिछले दिनों गुजरात के बैंकों ने नकदी निकालने की सीमा तय कर दी थी, फिर भी कैश की समस्या बरक़रार है | वास्तव में यह जान बूझकर पैदा की गई समस्या लगती है , जिसके लिए सीधे तौर पर आर बी आई ज़िम्मेदार है | बैंककर्मियों ने आर बी आई गवर्नर पर ठीकरा फोड़ा है , क्योंकि ए टी एम में फीडिंग की ज़िम्मेदारी आर बी आई की है | इसलिए आर बी आई ने इसकी जाँच के लिए और इस संकट की जवाबदेही तय करने के लिए एक टीम गठित की है , जो अपनी रिपोर्ट जल्द देगी | – Dr RP Srivastava , Editor- in Chief , ” Bharatiya Sanvad ”