महान संत कबीरदास जी के सुपुत्र कमाल जी की रचनाएं बड़ी मुश्किल से मिलती हैं . हाजीपुर [ बिहार ] के मेरे मित्र ऋषि कुमार जी के आग्रह पर मैंने उनकी कुछ रचनाएं प्राप्त की हैं | मैं हार्दिक रूप से आभारी हूँ परम मित्र डॉ. ज्ञान चन्द्र जी का , जिन्होंने डॉ . धनेश्वर प्रभाकर जी से ये रचनाएं प्राप्त कर मेरे पास भेजीं | इन रचनाओं में से एक शेअर जो मुझे सबसे अधिक पसंद आया , आप आदरणीय मित्रों एवं अग्रजों की सेवा में प्रस्तुत करने का लोभ – संवरण नहीं कर पा रहा हूँ ——-

कमाला है मज़ा इसमें
हर कोई ले नहीं सकता
जो कोई मर के ज़िन्दा हो
वही इस देश में आता |
– कमाल दास
– Dr RP Srivastava’Anthak’

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