क्या देश के सभी विभाग भ्रष्ट हैं ? इस सवाल का सही – सपाट जवाब देने में भले ही हमें कुछ हिचकिचाहट हो, लेकिन यह ज़रूर कह सकते हैं कि जिस सी बी आई पर देशवासियों का अटूट भरोसा रहा है, वह अब बड़े शक के दायरे में है ! उसके शीर्ष अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के एक के बाद एक आरोप लग चुके हैं | तीसरी बार सी बी आई के एक शीर्ष अधिकारी राकेश अस्थाना भ्र्ष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं | ये वही शख़्स हैं, जिन्होंने सी बी आई निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे | अब राकेश अस्थाना ख़ुद उनके लपेटे में हैं | कहते हैं कि उनकी ‘टीम’ के एक डी एस पी देवेंद्र कुमार को सी बी आई ने गत 22 अक्तूबर 2018 को गिरफ़्तार कर लिया | इनका नाम ऱिश्वतख़ोरी के मामले में पिछले दिनों 15 अक्तूबर को राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा सात, 13(2) और 13 (1) (डी) के तहत दर्ज की गई एफ आई आर में है | गुजरात कैडर के अधिकारी राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का क़रीबी बताया जाता है, लेकिन जब सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा ने गत 21 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ आरोपों के बारे में बताया, तो प्रधानमंत्री ने “कानून को अपना काम करने देने ‘ की बात कही | इसके बाद अस्थाना के अधिकार छीन लिए गए और अस्थाना के साथ ही वर्मा को भी जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया है | नागेश्वर राव को सी बी आई का नया अंतरिम प्रमुख बनाया गया है | जानकारों का मानना है कि इस महत्वपूर्ण विभाग में इससे बढ़कर और क्या आंतरिक खींचतान हो सकती है ? दूसरी तरफ़ इसी मामले में सीबीआई ने अपने ही विभाग के डी एस पी देवेंद्र कुमार को रिश्वत मामले में निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया है, जिसे उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है | आरोप है कि आलोक वर्मा को फंसाने के लिए देवेंद्र कुमार ने हैदराबाद के व्यवसायी सतीश बाबू साना का फ़र्ज़ी बयान दर्ज किया था | अधिकारियों ने बताया कि देवेंद्र कुमार मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ दर्ज एक मामले में जांच अधिकारी थे। सीबीआई ने विगत 21 अक्तूबर की शाम को डी एस पी देवेंद्र कुमार के कार्यालय तथा आवास पर छापे मारे थे और मोबाइल फोन और आईपैड बरामद किया था | आरोप है कि इस मामले में उन्होंने कुछ तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया। कुरैशी के इस मामले में गवाह सतीश साना का धारा 161 के तहत 26 सितंबर 2018 को सीबीआई मुख्यालय में एक बयान दर्ज किया गया था, लेकिन जांच के दौरान यह बात सामने आई कि साना उस दिन दिल्ली में न होकर हैदराबाद में थे। इस मामले की जांच टीम का नेतृत्व राकेश अस्थाना कर रहे थे। साना ने सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा है कि जून माह में उसने इस मामले में तेलुगू देशम पार्टी से राज्यसभा सदस्य सी एम रमेश से जिक्र किया था | अस्थाना के रिकॉर्ड किए गए नौ फोन कॉल ने उन्हें पकड़वाया | ये कॉल बिचौलिए मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद हड़बड़ी में उसके भाई सोमेश प्रसाद ने कथित तौर पर अस्थाना को किए थे। सी बी आई का कहना है कि अस्थाना और बिचौलिए के बीच नौ फोन कॉल और वॉट्सएप मैसेज से बातचीत हुई थी। वास्तव में अब सी बी आई खुद सवालों के घेरे में आ गई है | आज सी बी आई की जितनी छीछालेदर हो रही है, उसे देखते हुए यह कहना पड़ रहा है कि सरदार पटेल का सपना चूर – चूर हो गया है | सरदार पटेल ने भ्रष्टाचार उन्मूलन हेतु एक पुलिस पुलिस फ़ोर्स का सपना 1941 में ही देखा था, जब देश आज़ाद नहीं हुआ था | आज यही एजेंसी ख़ुद भ्रष्टाचार का सामना कर रही है ! इस जाँच एजेंसी पर केंद्र सरकार के दबाव में काम करने के आरोप लगते रहे हैं | टू जी और सोहराबुद्दीन प्रकरण में लीपापोती एवं लालू प्रकरण में पेशक़दमी को इसी क्रम में देखनेवाले देखते हैं | उत्तर प्रदेश में मनरेगा घोटाले की जाँच को ठंडे बस्ते के हवाले करना भी इस एजेंसी को भलीभांति आता है ! ? तभी आज भी सुप्रीम कोर्ट की वह टिप्पणी सहज ही ताज़ा हो उठती है कि ” यह तो पिंजरे में बंद तोता है | ” उल्लेखनीय है कि कोर्ट की यह टिप्पणी यू पी ए के कार्यकाल के दौरान आई थी , जब टू जी और कोयला घोटाले [ कोलगेट ] की सुनवाई चल रही थी | उस समय भाजपा के मनमोहन सरकार के ख़िलाफ़ ज़ोरदार बयान आ रहे थे | समय ने पलटा खाया है | आज सत्ता में भाजपा है और कांग्रेस को निशाना साधने का मौक़ा मिला है | कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि ”गोधरा एस आई टी फेम, सी बी आई में नंबर दो पद पर घुसपैठ करने वाले गुजरात कैडर के अधिकारी और पीए म के चहेते अब घूसखोरी के मामले में फंस गए हैं | इस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में सी बी आई राजनीतिक बदले की कार्रवाई का हथियार बन गई है | अंदरुनी लड़ाई की वजह से संस्था गिरावट की ओर है |” हालात के तक़ाज़े के पेशेनज़र दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सी बी आई के बहाने कांग्रेस और मोदी सरकार पर समान रूप से हमला बोला | उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”कांग्रेस के शासनकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सी बी आई को पिंजरे में बंद तोता बताया था | मोदी सरकार ने कांग्रेस के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है | आज राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है | मोदी सरकार ने सी बी आई को राष्ट्रीय शर्म में बदल दिया है |” वास्तविकता यह है कि सी बी आई का राजनीतिक हित – पूर्ति में इस्तेमाल उसके लिए आत्मघाती सिद्ध हुआ है | इसी ने इस अच्छे विभाग की मिट्टी पलीद की है | इसी ने विभाग में भ्रष्टाचार को आम किया है | कुछ पकड़े भी गए , पर सिलसिला थम नहीं सका ! कुछ उदाहरण देखते हैं – मई 2009 मेंमुंबई में सी बी आई में कार्यरत उप निरीक्षक दीपक कुमार गवाह से 10 हजार रुपये का घूस लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार हुआ था | मई 2013 में सी बी आई के एस पी और कोलगेट मामले की जांच से जुड़े विविक दत्त और निरीक्षक राजेश कर्नाटक को सात लाख रुपये घूस लेने के आरोप में सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था और मुक़दमा चलाया था | भ्रष्टाचार के मामले बड़ी मछली उस वक़्त फंसी, जब सी बी आई ने 25अप्रैल 2017 को अपने ही पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ कोयला घोटाला मामले में एफ आई आर दर्ज की। रंजीत सिन्हा पर आरोप लगा कि उन्होंने सी बी आई प्रमुख के पद पर रहने के दौरान कोयला घोटाले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने लगभग तीन महीने पहले रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट की न्‍यायाधीशों की तीन सदस्यीय पीठ ने जनवरी 2017 में कहा था कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि रंजीत सिन्हा ने सी बी आई निदेशक रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। सुप्रीम कोर्ट ने सी बी आई के विशेष निदेशक एम.एल.शर्मा की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया था जो कि रंजीत सिन्हा मामले की जांच कर रहा है। 1974 बैच के आई पी एस अधिकारी सिन्हा 2012 से 2014 के बीच सीबीआई के निदेशक रहे। रंजीत सिन्हा पर पर आरोप है कि उन्होंने राजनीतिज्ञों और व्यवसायियों सहित कोयला घोटाले के कुछ अन्य आरोपियों से मुलाक़ातें की थीं। दिसंबर 2017 में सी बी आई के सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग को रेलवे के तत्काल टिकट के लिए अवैध एप बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था |

Dr RP Srivastava , Editor – in – Chief, ” Bharatiya Sanvad ”

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