बलरामपुर का पिछड़े ज़िलों में नाम लिखाने के बाद भी ज़िले के राजनेता और अधिकारी अलमस्त नींद में पड़े हुए हैं | ऐसा नहीं हो पा रहा है कि किसी एक क्षेत्र को ही सही, मगर उसे दुरुस्त करें | इस लिहाज़ से शिक्षा का क्षेत्र काफ़ी महत्वपूर्ण है , जिस पर यदि पर्याप्त ध्यान दिया जाए, तो आनेवाले वर्षों में क्षेत्र का भविष्य सुधर सकता है, यहां तक कि अति पिछड़ेपन का दाग़ भी धुल सकता है | मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है | ठीक इसके विपरीत पूरी शिक्षा व्यवस्था को भ्रष्टाचार के हवाले कर पटरी से उतार दिया गया है | बलरामपुर के शिक्षा क्षेत्र शिवपुरा की हालत बेहद ख़राब बताई जाती है | नेपाल सीमावर्ती होने के कारण भी भ्रष्टाचार और उपेक्षा के आलम लगभग सारे ही सरकारी प्राथमिक विद्यालय चलने को मजबूर हैं | भ्रष्टाचार की गंगा को तेज़ बहाने के लिए अक्सर स्कूलों में छात्रों का पंजीकरण अधिक दिखाया जाता है और इस प्रकार अनाज, कपड़े आदि बचाकर भ्रष्टाचार को परवान चढ़ाया जाता है | हद तो उस वक़्त हो गई, जब पिछले दिनों सहिजना ग्राम सभा के मैनडीह स्थित प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक को हर्रैया पुलिस की 100 नंबर की गाड़ी ने बच्चों के लिए आने वाले चावल की बोरी के साथ पकड़ा | अध्यापक अपनी मोटर साइकिल पर चावल की बोरी चुरा कर भाग रहा था | शाम का समय था | जब पुलिसकर्मियों ने मोटर साइकिल की सीट पर बंधी बोरी देखी, तो उन्हें संदेह हुआ | पूछताछ में अध्यापक ने चावल – चोरी की बात क़बूल की , फिर भी कहते हैं कि पुलिसवालों ने अपने ” सामान्य नियम के अनुसार ” वसूली की और जाने दिया ” नए सिरे से नया कारनामा करने के लिए ” | अध्यापक चावल लेकर तुलसीपुर जा रहा था, जहाँ वह किराए के आवास में रहता है | क्षेत्र के लोग प्राथमिक स्कूलों में हो रही इस लूट से काफ़ी नाराज़ हैं | उन्होंने सरकार से इस मामले की पूरी जाँच कर दोषी लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है | क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि स्कूलों के भ्रष्टाचार में कई लोग लिप्त हैं | कई लोगों का आरोप है कि स्कूलों में अध्यापक पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं देते | ऐसा भी होता रहता है कि बच्चों से इधर – उधर के अशैक्षिक काम कर घर जाने को कह दिया जाता है | पिछले दिनों शिक्षा क्षेत्र शिवपुरा के ही महादेव बांकी स्थित प्राथमिक विद्यालय में जब छात्र पढ़ने गए, तो अध्यापक ने ईटें ढुलवाईं और घर जाने को कहा |
[ ‘भारतीय संवाद ‘ सूत्र ]