इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ पर अक्सर हर स्तर पर उपभोक्ताओं का शोषण दोहन ही नहीं उनके साथ छलकपट धोखाधड़ी की जाती है। उपभोक्ता चाहे जिस क्षेत्र से जुड़ा हो उसे बलि का बकरा बनाने का दौर शुरू हो गया है और विभिन्न कम्पनियों की उपभोक्ताओं के साथ की जा रही धोखाधड़ी का पर्दाफाश भी समय – समय पर होता रहता है और सरकार एवं अदालतें उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए समय समय पर दखल देते रहते हैं।आजकल तमाम तरह की कम्पनियां देश में अपनी बैंकिंग प्रणालियों के साथ अन्य लाभकारी एवं आवासीय योजनाएं चला रही हैं और उपभोक्ताओं को बहका फुसलाकर अधिक लाभ का प्रलोभन झांसा देकर उनके धन को जमा करने का कार्य कर रही हैं। अबतक न जाने कितनी कम्पनियां उपभोक्ता ग्राहकों को धोखा देकर गायब हो चुकी हैं और यह दौर अभी भी चल रहा है। सहारा बैंकिंग से जुड़े उपभोक्ताओं के हितों की रक्षार्थ अदालत पिछले वर्षों कठोर कदम उठाकर ‘सहारा श्री’ को जेल भेज चुकी है और बड़ी मुश्किल से वह बाहर निकल पाये हैं। अदालत उपभोक्ताओं के हित में सहारा की परिसम्पत्तियों को बेचने तक का आदेश दे चुकी है जिसके चलते उपभोक्ताओं को बहुत लाभ हुआ है। इधर आवासीय योजना पूरे देश में व्यवसायिक रूप धारण कर चुकी है और इसमें कुछ कम्पनियां ऐसी भी है जो बिना आवास बने ही आवासों की बुकिंग अच्छी भली अग्रिम धनराशि लेकर कर रही हैं। कुछ मामले ऐसे भी सामने आये हैं कि एक आवास दिखाकर उसकी बिक्री कई उपभोक्ताओं के हाथ कर दी जाती है तथा आवास बनाने के नाम पर उपभोक्ताओं से वसूला गया धन दूसरे मदों या दूसरी कम्पनियों में लगा दिया जाता है। अभी इसी तरह की उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी का पर्दाफाश सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आवासीय फ्लैट बनाने वाली जानी मानी कम्पनी आम्रपाली के माध्यम से हुआ है जिसमें अदालत द्वारा कठोर रूख अख्तियार करते हुए एक फिर कठोर फैसला सुनाया गया है। कम्पनी पर आरोप है कि उसने फ्लैट के नाम पर उपभोक्ताओं से धनराशि तो ले ली लेकिन उस प्रोजेक्ट को पूरा न करके अधूरा छोड़ दिया गया। मामला अदालत पहुंचने के बाद कम्पनी ने अदालत में दाखिल किये गये हलफनामें में खुद स्वीकार किया है कि उसने निवेशकों के करोड़ों रुपये अन्य कम्पनियों को डायवर्ट कर दिया गया हैं। इस मामले की लम्बी सुनवाई करने के बाद देश भर में फैली आम्रपाली समूह की सम्पत्तियों को बेचकर अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने का ऐतिहासिक फैसला सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने सुनाया गया है। इतना ही नहीं अदालत ने सुनवाई स्थगित करते हुए आम्रपाली समूह से पूंछा है कि क्यों न उसके खिलाफ अपराधिक कार्यवाही शुरू की जाय। मुकदमें की सुनवाई करते हुए अदालत ने कर्ज वसूली न्यायाधिकरण से कहा है कि वह आम्रपाली समूह की सभी परिसम्पत्तियों को अपने कब्जे में लेकर उसे बेचने की प्रक्रिया शुरू करे। जस्टिस अरूण मिश्र एवं उदय उमेश ललित की बेंच ने अपने फैसले में न्यायाधिकरण से कहा है कि वह उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, गोवा आदि राज्यों में फैली आम्रपाली समूह की सम्पत्तियों को कुर्क करके नीलाम कर दे। आम्रपाली की तमाम अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी अदालत ने एनबीसीसी को सौंपी गई है। अदालत द्वारा निवेशक उपभोक्ताओं के हितों की रक्षार्थ जो भी फैसला किया गया है वह अपने आप में अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक है, जिसकी जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। उपभोक्ताओं के हित में अदालत के बदले रूख से उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने के वालों के कान खड़े हो गये हैं।
– भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यूपी