नमो रुद्राय महते सर्वेशाय हितैषिणे।
नन्दीसंस्थाय देवाय विद्याभकराय च।।
पापान्तकाय भर्गाय नमोनन्ताय वेधसे।
नमो मायाहरेशाय नमस्ते लोकशंकर।।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में त्रिदेवों में ब्रह्मदेव सृष्टि, विष्णु पालन तो शिव संहारक शक्ति के रूप में पूजनीय है , हालांकि त्रिदेव एक ही ईश्वर की तीन शक्तियां और कल्याणकारी स्वरूप माने जाते हैं। खासतौर पर शिव नाम का अर्थ और भाव ही कल्याण, शुभ और मंगल से हैं, जिसमें संकेत साफ है कि शिव नाम या भक्ति मन, वचन और कर्म में शुभ को स्थान देकर अशुभ से दूर ले जाते हैं। भारत – नेपाल सीमा पर शैवालिक वल्लरियों के बीच स्थित बहराइच ज़िले [ अब श्रावस्ती ] का सोन पथरी श्री शिवोहम धाम , सोन पथरी पहुंचने पर ऐसा ही महसूस होता है | बुरे विचारों का नष्ट होना और कल्याण के मार्ग के प्रशस्त होने का स्पष्ट एहसास यहाँ होता है |
शास्त्रों की बात सच है कि शिव नाम बुरे भाव, विचार व इच्छाओं का अंत कर प्राणी को जगत के कल्याण का कारण बनाता है। शिव का तमोगुणी संहारक रूप भी असल में तामसी, पापी या बुरी शक्तियों का अंत कर कर धर्म व सद्गुणों का रक्षक है, जो जगत के लिए कल्याणकारी ही है। इसलिए वह शिव व शंकर यानी निराकार व साकार दोनों ही रूपों में पूजनीय और वंदनीय है। सांसारिक जीवन में भी अनेक अवसरों पर इच्छा या स्वार्थ के वशीभूत होने से हर इंसान के मन या विचारों में पैदा हुए दोष छोटी या बड़ी परेशानियों का कारण बनते हैं। इनसे यहाँ छुटकारा मिल जाता है और सर्वथा भलाई का संचार होना प्रारंभ हो जाता है |
– Dr RP Srivastava