मैं नहीं जानता दिल जलता है मेरा कि जिगर,

धुआँ उठता है कहीं आग लगी है शायद |

– मीर

हमारा देश यूँ ही महान नहीं है | यह अपनी विशिष्टताओं के कारण महान है | यहाँ की गंगा – जमुनी संस्कृति बड़ी समृद्ध है … कटुता के इस काल में भी दिल को सकून पहुँचाने की बहुत – सी मिसालें हमारे सामने आती रहती हैं | इन्हीं में से एक है तामिलनाडु का श्री कोतंडा रामार मंदिर, तिरुकुलम, जहाँ प्रत्येक वृहस्पतिवार को श्रध्दालुओं की भीड़ किसी हिंदू पंडित जी द्वारा नहीं , बल्कि एक मौलवी एम.अब्दुल सलाम के मुख से कम्बन रामायण का प्रवचन सुनने को जुटती हैं।

एक बार गीता पर प्रवचन देने का कार्यक्रम रद्द करने वाले एक हिंदू अध्यापक की जगह सलाम ने प्रवचन दिया और तभी से स्थानीय हिंदू, मुस्लिम और क्रिश्चियनों के धार्मिक संस्थानों में उन्हें मान्यता मिलने लगी।

तमिल भाषा के अध्यापक सलाम को भगवद् गीता पर प्रवचन देने पर लोग प्यार से ‘गीता सलाम’ पुकारने लगे। उन्होंने अपने ज्ञान से सभी को चकित कर दिया। इसके चलते सलाम, स्थानीय मस्जिदों और चर्चों में भी काफी लोकप्रिय हैं। कहते हैं कि सलाम का पता भी इतना लोकप्रिय है कि खत पर सिर्फ ‘गीता सलाम, रामनाथपुरम डिस्ट्रिक्ट’ लिखना है और वह अपने पते पर आसानी से पहुंच जाता है|

– Dr RP Srivastava, Editor – in – Chief , ”Bharatiya Sanvad”

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