नई सरकार आगामी जुलाई में आम बजट पेश करेगी , लेकिन सीमित अवधि के लिए पेश किए गए परंपरागत अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग और किसानों को बड़ी राहत दी गई | इसे पूरी तरह चुनावी बजट कहा जा सकता है | किसानो की आय वृद्धि का दावा करते हुए कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की | इस योजना से 12 करोड़ किसानों को फ़ायदा होगा। वित्तमंत्री 2 हेक्टेयर तक ज़मीन वाले किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हर साल 6 हज़ार रूपए सरकार उनके खातों में डालेगी।
जानकार यह मानते हैं कि इन योजनाओं को भ्रष्टाचार चट कर जाता है | इसमें आधार और डिजिटल व्यवस्था किंचित कारगर नहीं साबित होती | फ़र्ज़ी नामों और काग़ज़ातों के सहारे अब भ्रष्टाचार करने में अधिक आसानी है | अतः अति पारदर्शी व्यवस्था डेवलप करने की ज़रूरत है |
हमारे देश में मध्यम वर्ग को पिछले कई वर्षों से बजट में न के बराबर राहत मिल पाई थी | चुनावी वर्ष में इसकी भरपाई की गई है | इस बार भी ऐसा ही हुआ है | आयकर स्लैब में बदलाव न करके सरकार ने बहुत होशियारी से मध्यम वर्ग को हाशिए से बाहर लाने का प्रयास किया है | सरकार ने आयकर छूट की सीमा स्लैब न बढ़ाकर पांच लाख रूपये कर दी है | आयकर टैक्स का स्लैब 2014 के बाद बढ़ाया ही नहीं गया, जब इसे बढ़ाना ही अस्ली राहत पहुंचाना था |
अभी भी पुरुषों के लिए ढाई लाख रूपये और महिलाओं के लिए तीन लाख रूपये का स्लैब बहुत ही चिंताजनक और हास्यस्पद रूप में मौजूद रहेगा | हाँ, इस बार मरहम के तौर पर पांच लाख रूपये की वार्षिक आय [ सारे डिडक्शन के बाद ] पर आयकर छूट देने को प्रतीकात्मक राहत ही माना जा सकता है | हाउस रेंट की छूट सीमा बढ़ाने का छोटे आयकरदाताओं को कुछ ज़रूर फ़ायदा होगा | मध्यम वर्ग को छूट की एक छोटी – सी बूंद स्टैंडर्ड डिडक्शन के ज़रिये आई है, जिसे 40 हज़ार से बढ़ाकर 50 हज़ार किया गया है |
2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही टैक्स स्लैब में बदलाव किये थे , तब वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पहले बजट में आयकर दरों में कोई बदलाव किये बिना ढाई लाख रुपये की सालाना आय को करमुक्त कर दिया था | पहले दो लाख रुपये की आय करमुक्त थी | साथ ही 60 से 80 साल तक के वरिष्ठ नागरिकों की तीन लाख रुपये और 80 साल या इससे अधिक आयु के बुजुर्गों की पांच लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं लगाने की घोषणा की थी |
2015 के बजट में भी मोदी सरकार ने इनकम टैक्स छूट सीमा में कोई बदलाव नहीं किये थे | 2016 में भी आयकर स्लैब और टैक्स में कोई भी बदलाव नहीं किया गया था | 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ढ़ाई लाख रुपये और पांच लाख रुपये के बीच की आय वाले करदाताओं के लिए टैक्स को 10 प्रतिशत से पांच प्रतिशत कर दिया था. वहीं 5 लाख 1 रुपए से 10 लाख रुपए तक टैक्स को 20 प्रतिशत और 10 लाख 1 रुपए से अधिक पर 30 प्रतिशत टैक्स कर दिया गया था |
2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018-19 में व्यक्तिगत आयकर में कोई बदलाव नहीं किया | छूट की सीमा पहले की तरह ही ढ़ाई लाख रुपए रखी गई |
आम चुनाव की चौखट पर पेश किए गए अंतरिम बजट पर आम जन को यक़ीन दिलाना बड़ा मुश्किल होगा कि इनके प्रावधानों पर कितना अमलदरामद हो पाएगा , क्योंकि है तो यह अंतरिम बजट ! अतः
अंतरिम बजट और आम बजट को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। संविधान के अनुसार, केन्द्र सरकार पूरे वित्तीय वर्ष के अलावा भी आंशिक समय के लिए बजट पेश संसद में पेश करती है | इसमें कुछ महीनों या फिर कुछ दिनों के राजस्व का लेखा जोखा तय होता है। उसे ही अंतरिम बजट या फिर वोट ऑफ़ एकाउंट की संज्ञा दी जाती है। इसे मिनी बजट भी कहा जाता है, जो चुनाव के लोकलुभावनों से भरा हुआ है |
दरअसल, अंतरिम बजट चुनावी साल में पेश होता है | जिस साल लोकसभा चुनाव होने हो उसी साल अंतरिम बजट पेश किया जाता है।मगर हुआ क्या है ? वास्तव में परिभाषा से मिनी बजट का स्वरूप बिलकुल अलग है | अतः यह आशंका भी है कि नई सरकार जुलाई में जो आम बजट पेश करेगी, उसकी रूपरेखा कैसी होगी ? इसलिए सरकार को चुनावी बजट 2018 में ही पेश करना चाहिए था |
– Dr RP Srivastava, Editor-in-Chief, Bharatiya Sanvad