आजकल बढ़ती बीमारियों और बढ़ते अपराध के पीछे शराब का बढ़ता सेवन है | बलात्कार की जितनी घटनाएं घट रही है हैं , उनके मूल कारणों में एक बड़ा कारण शराब का सेवन है . वास्तव में शराब बीमारियों की जननी है । मेडिकल साइंस ने इधर जाकर इसकी पुष्टि की है कि इसके शरीर पर बहुत घातक प्रभाव पड़ते हैं । सम्राट जार्ज के पारिवारिक डॉक्टर सर फ्रेडरिक स्टीक्स वार्ट का कहना है, ‘‘शराब शरीर की पची हुई शक्तियों को भी उत्तेजित करके काम में लगा देती है, फिर उसके ख़र्च हो जाने पर शरीर काम के लायक़ नहीं रहता ।’’ इसी प्रकार सर एंड्रू क्लार्क वार्ट [ एम॰डी॰] का कथन है, ‘‘शरीर को अल्कोहल से कभी लाभ नहीं हो सकता ।’’शराब एक ज़हरीला पदार्थ है । स्वास्थ्यवर्धक पेय नहीं है | इससे सैकड़ों बीमारियाँ पनपती हैं | भोजन में यह गुण होना चाहिए कि वह शरीर का पोषण करे, नसों को बढ़ाये और शक्ति पैदा करे, लेकिन ज़हर में ये गुण नहीं पाए जाते। शराब के सेवन से मांसपेशियों का हृास होता है और मोटापा बढ़ता है। अल्कोहल मांसपेशियों को बढ़ने नहीं देता है | इससे मोटापे का शिकार होना सुगम हो जाता है। मोटापा कई रोगों का कारक है | शोध से यह बात साबित है कि शराब का सेवन प्रोटीन संश्लेषण को बाधित करता है, जोकि आगे चलकर लीन मसल मास को कम करता है। प्रोटीन संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शरीर मांसपेशियों को विकसित होने के लिए प्रोटीन की आवश्यक राशि की आपूर्ति करता है। शरीर के विकास का एक और महत्वपूर्ण तत्व ग्रोथ हार्मोन है, जिसे शराब का सेवन बाधित करता है | उम्र बढ़ने के साथ लोगों में औसत रूप से लगभग 1.9 प्रतिशत की दर से मस्तिष्क सिकुड़ता है। इसे सामान्य माना जाता है, लेकिन अधिक शराब पीने से मस्तिष्क के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों में इस संकुचन की गति बढ़ जाती है जिसके कारण स्मृति हानि और डिमेंशिया के अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
शराब के सेवन से वसा को जलाने वाला चयापचय कमज़ोर हो जाता है, जिसके कारण वज़न बढ़ने लगता है। ज्ञातव्य है कि शराब में केवल कैलोरी होती हैं, जिनमें कोई भी पोषण नहीं होता है।इन खाली कैलोरी के प्रति ग्राम 7 कैलोरी होती हैं। अतः 30 मिलीग्राम के एक छोटे शराब के पैग में भी 100 फैट बढ़ाने वाली कैलोरी होती हैं। अल्कोहल मांसपेशियों से पानी को सोख लेता है और मांसपेशियों की बढ़त रुक जाती है। साथ ही अल्कोहल मांसपेशियों के संकुचन और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के अवशोषण को भी रोकता है। इस बात की जानकारी लंबे समय से है कि शराब के सेवन से अवसाद [ डिप्रेशन ] पैदा होता है | विचित्र बात यह है कि अवासदग्रस्त लोग अपने भावनात्मक दर्द को कम करने के लिए शराब का सेवन ‘स्वयं की औषधि’ के रूप में करते हैं, लेकिन 2010 में न्यूज़ीलैंड में हुए अध्ययन से यह पता चला है कि शराब पीने से डिप्रेशन होता है। गठिया एक दर्दनाक स्थिति है जो जोड़ों और उसके आसपास चारों ओर यूरिक एसिड क्रिस्टल के गठन के कारण होता है। कुछ मामलों में यह वंशानुगत होता है, फिर भी शराब और अन्य आहार कारक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। शराब गठिया को बढ़ा देता है।शराब का सेवन मिर्गी का कारण बन सकता है, यहां तक कि उन लोगों में भी दौरे का कारण बन सकता हैं जिन्हें मिर्गी की शिकायत नहीं है। शराब पीने से तंत्रिका क्षति होती है, जिसे अल्कोहलिक न्यूरोपैथी कहते हैं। शराब तंत्रिका कोशिकाओं के लिए ज़हर के समान होने और अधिक शराब पीने के कारण होने वाली पोषक तत्वों की कमी तंत्रिका कार्यों को प्रभावित करती है | इसके कारण हाथ-पांव में दर्दनाक सुइयों जैसी चुभन महसूस होती है और साथ ही मांसपेशीयों की कमज़ोरी, असंयम, क़ब्ज़, स्तंभन दोष और अन्य कई समस्याएं पैदा होती हैं। शराब पीने से इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है जिसमें ट्यूबरक्लोसिस, न्यूमोनिया, एच.आई.वी./एड्स तथा अन्य यौन संचारित रोग शामिल हैं। शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम हो जाता है, और शरीर में महिला हार्मोन एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। यूनीवर्सिटी ऑफ टोरंटो के एडिक्शन पॉलिसी विभाग के चेयरमैन, डॉ. जुर्गेन रेम [ पीएच – डी ] के अनुसार, नित्य रूप से शराब पीने से कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है। यह ख़तरा तब और अधिक बढ़ जाता है, जब शरीर में शराब एसीटैल्डिहाइड शक्तिशाली कैंसरजन में परिवर्तित हो जाता है। शराब के अधिक उपयोग से मुंह, गले, ग्रासनली, लीवर, स्तन, पेट और मलाशय के कैंसर होने का ख़तरा बहुत अधिक रहता हैं। कैंसर के ख़तरा उन लोगों को बहुत अधिक होता है, जो शराब पीने के साथ तम्बाकू का सेवन भी करते हैं। शराब पीने से आक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की तादाद असामान्य रूप से कम होने का कारण बनता है। इस हालत को एनीमिया कहते हैं, जिससे कारण थकान, सांस लेने में तकलीफ़ या सांस का उखड़ना जैसी बीमारियाँ होती हैं। शराब पीने के कारण प्लेटलेट्स की ब्लड क्लॉट्स के रूप में जमा होने की संभावना अधिक होती है जिसके कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो सकता है। 2005 में अमेरिका स्थित हॉवर्ड के शोधकर्ताओं ने पाया कि शराब पीने वाले उन लोगों में मौत का ख़तरा दोगुना हो जाता है, जिन्हें पहले हार्ट अटैक आ चुका है | लीवर कोशिकाओं के लिए शराब ज़हर के सामान है। शराब पाने वाले अनेक लोगों को सिरोसिस की शिकायत रहती हैं, जो कि कभी-कभी अत्यंत घातक सिद्ध होती है। लीवर भारी होने के कारण कार्य करने में भी असमर्थ हो जाता है। हमारे देश में कुछ राज्यों में शराबबंदी है, वह भी तथाकथित ! हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने शराबबंदी की ओर भी ध्यान दिया था और इसे संविधान के नीति – निर्देशक तत्वों में शामिल किया था | मद्य निषेध विभाग भी आया था, जो आज कहाँ है, पता नहीं | सरकारें मौत बाँट रही हैं वह भी खुलेआम ! आबकारी विभाग स्वयं मस्त है | इन क़दमों के आरंभिक कुछ समय के बाद ये सभी धड़ल्ले से शराबबंदी का मखौल उड़ाने लगे | सरकारें शराब माफ़िया के आगे झुकती गईं और आबकारी विभाग निरंकुश ढंग से शराब की नई दूकानें खोलने का लाइसेंस बाँटने लगा | अब हालत यह है कि इस सूरतेहाल पर सरकार से कुछ ख़ास स्वेच्छिक क़दम की अपेक्षा नहीं की जा सकती , क्योंकि सरकार को नशे के कारोबार से करोड़ों – अरबों का मुनाफ़ा होता है और शराब माफ़िया से राजनेताओं की निरंतर बंदरबांट चलती रहती है | जनस्वास्थ्य की किसी को चिंता नहीं है | योग से शराबबंदी होने से रहीं | अतः इस जहर को रोकने के लिए सरकार के साथ जनता को भी खुलकर आगे आना होगा | देखा गया है कि ऐसे कुछ मामलों में महिलाएं विरोध जताती हैं | मगर यह केवल महिलाओं का काम नहीं होना चाहिए | सच्चाई यह है कि अगर जनता नशा मुक्ति के पक्ष में एक जुट हो जाए तो ये मौत की फैक्टरियां अपने आप बंद हो जायेंगी, और अन्य राज्य सरकारों को मजबूर होकर शराब और अन्य मादक पदार्थों पर ठोस प्रतिबन्ध लगाना पड़ेगा | वास्तव में शराबनोशी ने भारतीयों का जीवन दुष्कर बना डाला है |
– Dr RP Srivastava , Editor- in – Chief , ” Bharatiya Sanvad “