लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति एवं किसानों की समस्याओं को लेकर इस बार अन्ना हज़ारे अपना अनशन अधिक दिनों तक नहीं चला पाए | वैसे लोकपाल की नियुक्ति का उनका आंदोलन अब तक एक तरह से विफल रहा है | हर बार वे मंत्रियों के भुलावे और वाकपटुता के शिकार होते रहे हैं | इस बार उन्होंने चार राजनेताओं पर भरोसा किया और कहा जाता है कि वे बातचीत के नतीजे से संतुष्ट हुए | उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरी!श महाजन के साथ बातचीत की | अन्ना हज़ारे ने कहा कि “कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को स्वायत्त दर्जा देने, लोकायुक्त विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा के अगले सत्र में सदन के पटल पर रखने और लोकपाल के लिए सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा का पालन करने, इन तीन मांगों के लिए मैंने अपना आंदोलन शुरू किया था | सरकार द्वारा मुझे दिए गए आश्वासन से मैं संतुष्ट हूं और मैं अपना अनशन खत्म कर रहा हूं | ” देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हजारे के करीबी सहयोगी सोनपाल शास्त्री उस कमेटी के सदस्य होंगे, जिसका गठन राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में होगा. सीएसीपी को स्वायत्त दर्जा की पेशकश करने के लिए यह इस साल अक्तूबर तक अपनी रिपोर्ट पूरी करेगी | सच है, लोकपाल की मांग दशकों पुरानी है | मगर भ्रष्टाचार से प्रभावी रूप से लड़ने वाली संस्था लोकपाल की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है | 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इस ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था | तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने देश में लोकपाल की नियुक्ति न होने पर आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा था कि 2014 में संसद से लोकपाल कानून पास होने के बावजूद अब तक नियुक्ति क्यों नहीं हुई ? इस पर तत्कालीन एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बताया था कि क़ानून के मुताबिक सर्च कमेटी में लोकसभा में विपक्ष के नेता को रखने का प्रावधान है | इस समय कोई नेता विपक्ष न होने की वजह से सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को कमेटी में रखने के लिए संशोधन किया जाना है | बहचर्चित और बहुप्रतीक्षित लोकपाल विधेयक को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक जनवरी 2014 को मंज़ूरी दी थी | 17 दिसंबर 13 को इस विधेयक को राज्यसभा ने पारित किया था और अगले दिन लोकसभा ने भी मुहर लगा दी थी | सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि जब तक कानून में संशोधन नहीं हो जाता अदालत इसका आदेश दे सकती है | सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखकर लग रहा था कि देश को देर – सवेर लोकपाल मिल सकता है और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ कारगर लड़ाई लड़ी जा सकेगी, लेकिन हुआ कुछ नहीं ! इससे भ्रष्टाचार और काले धन के ख़िलाफ़ लड़ाई ठंडी पड़ी | केन्द्रीय सत्ता में आने से पहले से ही भ्रष्टाचार और काले धन को जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना बड़ा मुद्दा बनाया था, उससे इस सोच को बल मिला था कि नई सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी , लेकिन लगभग साढ़े चार वर्ष से अधिक गुज़र जाने के बाद भी अमलन कुछ ख़ास नहीं हो सका | नोटबंदी से कालेधन पर प्रहार नामुमकिन रहा | इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई | सबसे अधिक काला राजनेताओं के पास है | सरकार बनाते ही प्रधानमंत्री मोदी ने न्यायालयों में भ्रष्ट नेताओं पर चल रहे मामलों की फास्ट ट्रैक सुनवाई करने की अपील की, मगर अभी तक कुछ हो न सका ! नोटबंदी की विफलता की आशंका के मद्देनज़र मोदी सरकार ने सफ़ेद करने का नया क़ानून बनाया, जिसके अनुसार , अघोषित नक़दी की स्वेच्छा से घोषणा करने पर 50 प्रतिशत टैक्स लगेगा | इस प्रकार काला धन रखनेवालों ने आधी रक़म देकर अपने धन को सफ़ेद किया | वैसे नोटबंदी की घोषणा के बाद से काले धन को सफ़ेद बनाने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं , जिन पर सफलतापूर्वक अमल किया गया |
लोकसभा में गत 28 नवंबर 2016 को पेश संशोधित आयकर विधेयक आया , जिसमें 30 दिसंबर तक अघोषित पुराने नोटों में नकदी बारे में स्वेच्छा से घोषणा पर 50 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया गया। यह प्रावधान भी किया गया कि कर अधिकारियों द्वारा पता लगाने पर अघोषित संपत्ति पर उच्चतम 85 प्रतिशत तक कर लगाया जा सकता है | विधेयक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीके) 2016 का प्रस्ताव किया गया | इसमें यह कहा गया कि जो लोग ग़लत तरीके से कमाई गई राशि अपने पास 500 और 1,000 के पुराने नोट में दबाकर रखें हुए थे और जो उसकी घोषणा करने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें पीएमजीके के तहत इसका खुलासा करना होगा। उन्हें अघोषित आय का 30 प्रतिशत की दर से कर भुगतान करना होगा। इसके अलावा अघोषित आय पर 10 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। साथ ही पीएमजीके उपकर नाम से 33 प्रतिशत सरचार्ज (30 प्रतिशत का 33 प्रतिशत) लगाया जाएगा। इस प्रकार, कुल मिलाकर 50 प्रतिशत शुल्क देना होगा। जिन लोगों ने अपनी अघोषित आय नहीं बताई और पकड़े गए, उनके लिए आयकर कानून के वर्तमान प्रावधानों को संशोधित कर एकमुश्त 60 फीसदी टैक्स तथा इस पर 25 फीसदी सरचार्ज (15 प्रतिशत) किया जाएगा, जो कि अघोषित आय का 75 प्रतिशत होगा। इसके अलावा जांच अधिकारी चाहे तो 10 फीसदी पेनाल्टी भी वसूल सकता है। इस स्थिति में कुल जुर्माना रकम का 85 फीसदी हो जाएगा। यह भी प्रावधान किया गया कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत ऐसी योजना में लगाना होगा जहां कोई ब्याज नहीं मिलेगा। साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा। इस योजना में आयी राशि का उपयोग सिंचाई, आवास, शौचालय, बुनियादी ढांचा, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य तथा आजीविका जैसी परियोजनाओं में किया जाएगा। इस ‘ महान कार्य ‘ में ‘ दान ‘ करनेवाले कालेधन के मालिकों के नाम गुप्त रखे जायेंगे और उनसे काली कमाई का स्रोत भी नहीं पूछा जाएगा | इससे पहले भी केंद्र सरकार ने काला धन रखनेवालों को मौक़ा दिया था और 30 सितंबर 16 तक इसे उजागर करने का समय दिया गया था , लेकिन यह स्कीम बुरी तरह विफल हो गई | अरबों रुपये का लेन-देन करने वाले लोगों का पता फर्जी पाया गया है | छह लाख 90 हजार नोटिसें बैरंग वापस लौट आईं हैं | उस समय यह बड़ा खुलासा हुआ कि बैंकों के जरिए बहुत बड़ी तादाद में काले धन का ट्रांजेक्शन हो रहा है | नियम-कानून ताक पर रख कर देश के विभिन्न बैंक पैन नंबर दर्ज किए बगैर करोड़ों और अरबों रुपये का लेन-देन धड़ल्ले से कर रहे हैं | प्रधानमंत्री मोदी ने अघोषित आय का विवरण देने के लिए तय 30 सितंबर 2016 तक की मोहलत के बारे में साफ किया था कि यह अंतिम मौका है | प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रिय कार्यक्रम ‘ मन की बात ‘ में कहा था कि ‘ इसको एक आखिरी मौका मान लीजिए | मैंने बीच में हमारे सांसदों को भी कहा था कि 30 सितम्बर के बाद अगर किसी नागरिक को तकलीफ हो, जो सरकारी नियमों जुड़ना नहीं चाहता है, तो उनकी कोई मदद नही हो सकेगी. मैं देशवासियों को भी कहना चाहता हूं कि 30 सितम्बर के बाद ऐसा कुछ भी न हो, जिससे आपको कोई तकलीफ हो, इसलिए भी मैं कहता हूं | अच्छा होगा 30 सितम्बर के पहले आप इस व्यवस्था का लाभ उठाएं और 30 सितम्बर के बाद संभावित तकलीफों से अपने-आप को बचा लें |’ लेकिन हुआ क्या ? उन सभी को तो छूट दे दी गई और आम जनता को जबरन तकलीफ़ों के हवाले कर दिया गया | कालेधन और आतंकवाद की आड़ में लागू नोटबंदी ने आम जन को ठिकाने लगा दिया ! पैसे – पैसे के लाले पड़ गये और देश का दीवाला निकल गया ! प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए इन शब्दों में नोटबंदी का ऐलान किया ,’ देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है। आज मध्य रात्रि यानी 8 नवम्बर 2016 [ मंगलवार] की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानी ये मुद्राएं कानूनन अमान्य होंगी। 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों के ज़रिये लेन देन की व्यवस्था आज मध्य रात्रि से उपलब्ध नहीं होगी। भ्रष्टाचार, काले धन और जाली नोट के कारोबार में लिप्त देश विरोधी और समाज विरोधी तत्वों के पास मौजूद 500 एवं 1000 रुपये के पुराने नोट अब केवल कागज के एक टुकड़े के समान रह जायेंगे। ‘ यहाँ सवाल यह भी है कि पुराने नोट क्या कागज़ के टुकड़े हो गए ? क्या इन्हें सफ़ेद नहीं कराया गया ? क्या दो हजार के नए नोटों ने काला धन रखनेवालों को आसानी नहीं पहुंचाई है ? जी एस टी लागू हुआ, मगर भ्रष्टाचार कहाँ थमा ? कमाई का नया साधन खुल गया ! नई योजनाएं भ्रष्टाचार की वाहक बन गयीं ! भ्रष्टाचार विरोधी क़ानून में उचित संशोधन करने के साथ ही लोकपाल जैसी व्यवस्था को लागू करने से भ्रष्टाचार पर रोकथाम में काफी मदद मिल सकती है | आर्थिक विकास से ही भ्रष्टाचार उन्मूलन – संभव नहीं | फिर देश का अपेक्षित आर्थिक विकास भी तो नहीं हो पा रहा !1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भ्रष्टाचार को वैश्विक चलन कहा था | इस वक्तव्य के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री के ऐसी बात करने पर खेद जताया था | 1989 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया रहा | तबसे लेकर आज तक चुनावी अभियानों में भ्रष्टाचार मिटाने के दावे बढ़चढ़ कर उछाले जाना आम बात हो गई है | ऐसे में इन दावों की क़लई तब खुलती है , जब भारत सूची में बुर्किना फासो, जमैका, पेरू और जाम्बिया जैसे गरीब देशों के पायदान जैसा पाया जाता है | वस्तुस्थिति यह है कि आज हमारा देश भ्रष्टाचार और नैतिक पतन से गंभीर रूप से जूझ रहा है | भ्रष्टाचार पूरी व्यवस्था को तबाह और बर्बाद कर रहा है | जब तक इन्सान के नैतिक अस्तित्व को सबल नहीं बनाया जाएगा, तब तक भ्रष्टाचार – उन्मूलन असंभव है |
– Dr RP Srivastava, Editor-in-Chief, Bharatiya Sanvad