ये हैं धनी राम चोंगिहार, जो पिछली मुलाक़ात मेंअपने को वैद्य बताते थे | दावा करते हैं कई बीमारियां ठीक करने का ! सिरदर्द से लेकर हर प्रकार का दर्द ठीक करने की बात करते थे | पिछले दिनों वे बलरामपुर के हर्रैया सतघरवा ब्लाक के मैनडीह गांव में पिछले दिनों भीख मांगते मिले |  मेरे यहां भी आए और बीस रुपये भिक्षा ले गए |  

वे कहते हैं कि अब उनकी बैदकी में कोई दम नहीं रहा | पहले ये आसपास के गांवों में घूम – घूमकर इलाज करते थे | उनकी चिकित्सा का एक नमूना देखिए —– उक्त गांव में पहुंचते ही इन्होंने बैद्य … बैद्य की आवाज़ लगाई | गांव के एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या मेरे कमर दर्द का भी कोई इलाज आपके पास है ? धनी राम ने कहा कि ‘ ज़रूर है | चोंगी लगाएंगे और बिजली से सेंकाई करेंगे | दर्द चला जाएगा | डेढ़ सौ रुपये लगेंगे |’ फिर सौ रूपये पर तैयार हो गए | इलाज शुरू हो गया | धनी राम ने उन्हें लेटने को कहा | वे खाट पर लेट गए | धनी राम ने अपनी पोटली खोली और गंदी – सी कंटीली धातु निकाली और चोंगली भी हाथ में पकड़ी | चोंगली दरअसल गाय की सींग थी, जिसमें दोनों तरफ़ सूराख़ थे | धनी राम ने गंदले धातु की नोंक को कमर पर हल्के – हल्के फुदकाना शुरू किया, तो ख़ून का पंछा निकलने लगा | फिर पंछे पर चोंगली की एक तरफ़ का सूराख़ लगा दिया और दूसरे सूराख़ को अपने मुंह में लगाकर ज़ोर – ज़ोर से खींचा | फिर कहा कि अब गंदा खून निकल गया है | बिजली की सेंकाई अभी थोड़ी देर में करता हूँ | चोंगली – प्रक्रिया के दर्द से रोगी का कमर दर्द और बढ़ गया | स्वाभाविक रूप से वह बिजली – प्रक्रिया के लिए तैयार नहीं हो पा रहा था | वह शल्य – क्रिया से आहत और भयाक्रांत था | उसके घरवाले उसे बार – बार समझा रहे थे कि पूरा इलाज करवाओ, तभी फ़ायदा होगा | यही बात तथाकथित वैद्य जी भी फ़रमा रहे थे | 

वैद्य जी ने शल्य – क्रिया के लगभग बीस मिनट बाद बिजली – चिकित्सा आरंभ की | अपनी पोटली से एक बॉक्स निकाला, जिसमें टॉर्चवाले दो बड़े सेल लगे हुए थे | दोनों सिराओं से दो तार जुड़े थे, जो प्लस और माइनस के थे | वैद्य जी ने सेल फिट करके उपकरण चालू किया और दोनों तारों से बंधे छोटे राडों को पंछे निकल रहे स्थानों के इर्द – गिर्द घुमाया | इस प्रकार इलाज संपन्न हुआ | धनीराम चोंगिहार ने ”भारतीय संवाद” को बताया कि यह उनका पुश्तैनी पेशा है | उन्होंने अपने सारे चिकित्सीय उपकरण ? भी दिखाए थे | आज के युग में इस तरह की चिकित्सा का औचित्य आसानी से किसी की समझ में नहीं आ सकता था और न समझ में आया ! 

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