अमृत महोत्सव चल रहा था , चल रहा है । आमजन में देश की स्वाधीनता के लिए जी तोड़ कोशिश करनेवाले अमर सेनानियों के प्रति बढ़चढ़ कर कृतज्ञता का भाव पाया जाना स्वाभाविक है। अफ़सोस की बात है कि बलरामपुर के अमर शहीदों को सही अर्थों में सम्मान दिया जाना अभी बाक़ी है। पांचों पांडवों की कोशिशों को ठीक से याद किया जाता और उनकी याद में स्मारक आदि बनवाया जाता , तो अति उत्तम होता। ये सभी साथ – साथ रहते और संयुक्त प्लानिंग के साथ आंदोलन में भाग लेते थे।
पांचों पांडवों के नाम से मशहूर इन महान योद्धाओं में मौलवी अहमद ज़मां खां का नाम पहले था, क्योंकि ये गांधी जी से न मिल पाने के विरोध में जलती हुई लालटेन लेकर बलरामपुर में कब्रिस्तान की तरफ़ दफ़न होने के लिए चले थे। बाद में गांधी जी से उनकी भेंट हुई। उनके ही उल्लेखनीय प्रयासों से गांधी जी बलरामपुर पधारे थे। अन्य पांडवों के नाम हैं – बाबूराम, राम प्यारे , चुन्नी लाल और राम लौटन। सभी को शत शत नमन। इनकी याद में प्रशासन को एक अच्छा स्मारक बनाना चाहिए।
सरकार ने वीर विनय कायस्थ की स्मृति में बलरामपुर रोडवेज बस अड्डे का नाम रखने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले सका। इस ओर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए।
,( फोटो – मौलवी अहमद ज़मां खां )
– Dr RP Srivastava