( 1 )
वर्षा का गांव
……………
जैसलमेर से आगे
मरुस्थल का गांव
तपती दुपहरी
ठहरते नहीं पांव
दूरस्थ दिशा में
रेतीले खंडहर में
गहराता पतझड़
स्थल मरुस्थल
वर्षा का गांव।
…..
वाईपेन से आगे
जलनिधि की छांव
उगते पहाड़
गिरती बर्फ
प्रचंड ग्रीष्म
नौका का पिघलना
तुषार – कण का बहना
कैसी है यह ?
मरीचिका की छांव !
…..
क्षितिज से आगे
शीतलता की छांव
नई कोपलें
पुरानी जड़ें
उठ खड़ी हैं
अपने – अपने हाथों
संभलना नहीं अब
नीड़ है
अग्नि / वर्षा का गांव।
( 2 )
खूंटी पर टंगे लोग
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शब्द – शिल्पियों ने
पहले भी
टांगे थे
लोगों को
खूंटी पर …
आज भी हम
टांगते हैं इन्हें
शब्द – शिल्पी
न होकर भी
यथार्थ में
जीते हुए भी।
– राम पाल श्रीवास्तव ” अनथक “
( 2003 के मार्च और अप्रैल में कई पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित )
पहली कविता का ” वाइपेन ” एक द्वीप है, जो केरल के इर्नाकुलम ज़िले में है। 1997 में जब मैंने पूरे केरल के जनपदों और अन्य स्थानों की महीने भर से ऊपर यात्रा की,तो यहां भी स्टीमर से पहुंचा। क्षेत्रीय विधायक ने समुद्र के बीच के इस टापू पर भोज का आयोजन किया। वे माकपा के थे। नाम अब याद नहीं। उस समय वाईपेन विधानसभा सीट नहीं थी। यह नजरक्कल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता था। अब वाईपेन विधानसभा क्षेत्र है। यहां पहुंचने के लिए सड़क संपर्क नहीं है। बड़े स्टीमरों और जलयानों से वहां सामान्यतः जाया जाता है। कहीं – कहीं समुद्र का ज्वार अधिक होता है और तेज़ लहरें उठती हैं। समुद्र के मध्य में अधिक रोमांचकारी हो जाता है।

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