उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में इटियाथोक विकास खंड के वसंतपुर राजा ग्राम सभा के अंतर्गत धुताही गणेशपुर ग्राम स्थित भक्तिन दाई थान मनोकामनाओं की पूर्ति का केंद्र माना जाता है | यहाँ प्रतिवर्ष वसंत पंचमी के दिन मेला लगता है , जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं | जनश्रुति है कि यहाँ भक्तिन देवी प्रकट हुई थीं , जिनको सबसे पहले टीड़ी कुर्मी ने देखा था | टीड़ी कुर्मी बाबू भवानी प्रसाद श्रीवास्तव के सेवक थे | श्री श्रीवास्तव ब्रिटिश सरकार में स्थायी रूप से पटवारी थे , जिन्हें भिनगा , बलरामपुर और ददुआ [ अयोध्या ] रियासतों से वेतन भुगतान होता था |

 

1920 ई .के आरंभिक दिनों में टीड़ी कुर्मी ने बाबू जी को बताया कि रोजाना मध्यरात्रि के आसपास धवल वस्त्रधारी एक देवी आती हैं और एक झाड़ी की ओर जाकर लुप्त हो जाती हैं | अतः बाबू भवानी प्रसाद श्रीवास्तव एक रात वहीं रुके और देवी ने उन्हें दर्शन दिया | उन्होंने देवी के लुप्त होने के स्थान पर जाकर देखा तो जीर्ण – शीर्ण अवस्था में लखौरी [ प्राचीन काल की लघु ईटों ] से निर्मित प्रतीकत्मक थान मिला , जिसका उन्होंने जीर्णोद्धार कराया | बाद में उनके पुत्र बाबू सूर्य प्रसाद श्रीवास्तव ने लगभग 1950 ई .में इसे पुख्ता कराया , जिससे यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढने लगी | 1972 में बाबू सूर्य प्रसाद श्रीवास्तव के ज्येष्ठ पुत्र बाबू बृज किशोर श्रीवास्तव [ बब्बन बाबू ] ने इस ऐतिहासिक थान का जीर्णोद्धार करते हुए विस्तार रूप दे दिया और थान को पूरी तरह पक्का करा दिया | आपके प्रयासों से राजस्व अभिलेखों में इस स्थान को देवस्थल के रूप में दर्ज हुआ | पिछले एक दशक से वसंत पंचमी के दिन यहाँ मेले में बड़ी संख्या में लोग शिरकत करते हैं | बधावे बजाये जाते हैं | आम दिनों में भी श्रद्धालु आते रहते हैं | मनोकामना की पूर्ति पर मिट्टी के बने हाथी चढ़ाये जाते हैं | कुछ लोग अपने बच्चों का यहाँ मुंडन संस्कार भी करते हैं | – RP Srivastava

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