हमारा देश चौतरफ़ा समस्याओं से घिरा हुआ है | गरीबी , बेरोज़गारी , महंगाई,भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं ने अलग से आम आदमी की मुश्किलें बहुत बढ़ा दी हैं | यह भी सच है कि इन समस्याओं में अम्न , शांति और मानवता को नुक़सान पहुँचाने की समस्या सर्व प्रमुख है | इसे देखते हुए देश में अम्न व शांति की अतीव आवश्यकता है | सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिशों पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र के आगाज़ की पूर्व संध्या पर 16 जुलाई 2017 को फिर गोरक्षा को लेकर देश भर में हो रही हिंसा को लेकर बड़ा बयान दिया | सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर चिंता जतायी | उन्‍होंने देश के सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिया कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए | उन्‍होंने देश के सभीराज्‍यों को कहा कि ऐसे लोगों के साथ कोई रियायत न की जाए |

सर्वदलीय बैठक समाप्‍त होने के बाद केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाय की सुरक्षा के नाम पर हिंसा करनेवालों पर तीखी टिप्पणी की | अपनी सरकार की ‘माई गवर्नमेंट’ पहल की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों को असामाजिक तत्व बताया था और कहा कि ऐसे लोग गो सेवक नहीं हो सकते हैं | ये सिर्फ गाय की रक्षा के नाम पर दुकान चला रहे हैं | उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह दी कि तथाकथित गाय रक्षकों पर दस्तावेज तैयार करें, क्योंकि उनमें से 80 फीसदी रात में अवैध गतिविधियां करते हैं और दिन में गाय के हिमायती बन जाते हैं | इस तरह का सहायता समूह चलाने का यह मतलब नहीं है कि दूसरों का उत्पीड़न किया जाए | प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि गायों का वध किये जाने से ज्यादा संख्या में प्लास्टिक खाने से उनकी मृत्यु होती है. जो लोग जानवर की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें गायों को प्लास्टिक खाने से रोकना चाहिए | यह बड़ी गोसेवा होगी |

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अनुपस्थिति में राज्यसभा में इस मुद्दे पर दो दिन तक चली बहस का जवाब देते हुए सदन के नेता एवं वित्तमंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि ‘कुछ लोगों’ द्वारा की जाने वाली इस तरह की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। ‘इस विषय में सरकार का रुख एकदम स्पष्ट है। किसी को भी ऐसा करने (गोरक्षा के नाम पर लोगों की हत्या) का अधिकार नहीं है। इसका कोई औचित्य नहीं है। इसके लिए किसी की भावनाएं आहत होने का बहाना नहीं बनाया जा सकता। सरकार पूरी तरह से ऐसी घटनाओं के विरुद्ध है।’ जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री तीन बार गोरक्षकों को चेतावनी दे चुके हैं। ‘ऐसे लोगों के प्रति किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं दर्शायी जाएगी। कानून यकीनन अपना काम करेगा।’विपक्ष के इस आरोप को कि गोरक्षा के नाम पर मनुष्यों की हत्याओं के विरुद्ध सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही, खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि ‘प्रत्येक घटना में सिलसिलेवार कानूनी कार्रवाई की गई है। दोषियों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें जेल भेजा गया है। प्रमाण मिलने पर सबके खिलाफ चार्जशीट दाखिल होगी। यह एकदम स्पष्ट है। इसमें ना-नुकुर का कोई सवाल ही नहीं उठता।’

वास्तव में देश की एक बड़ी शक्ति इसका सुदृढ़ सामाजिक ढांचा है | इतने बड़े देश में इतने भिन्न – भिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों की मौजूदगी और उनके बीच सदियों से सामाजिक स्तर पर सद्भाव की ऐसी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती | इसने पूरी दुनिया में हमारे देश की इज्ज़त और शक्ति बढाई है | आज़ादी के बाद देश का जो संविधान बना ,उसने भी धार्मिक स्वतंत्रता और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच शांति और भाईचारे के लिए सुदृढ़ आधार प्रदान किया | मगर इधर कुछ वर्षों से इस सुदृढ़ ढांचे को सख्त चुनौतियों का सामना है | सांप्रदायिक परिस्थिति तेज़ी से बिगड़ती जा रही है | ऐसा महसूस होता है कि कुछ मुट्ठी भर लोग पूरे देश को विशेषकर सांप्रदायिक तौर पर संवेदनशील राज्यों को स्थायी रूप से साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति में रखना चाहते हैं | आज सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में तेज़ी आई है , जो बेहद चिंतनीय है | उत्तर प्रदेश, कर्नाटक , महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश , बिहार , असम , बंगाल , राजस्थान और गुजरात इस प्रकार की हिंसा से अधिक प्रभावित हैं | आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि चुनाव के निकट समय में इन घटनाओं की संख्या अचानक बढ़ जाती है ! यह सही है कि क़ानून और व्यवस्था की जि़म्मेदारी राज्य सरकार की है लेकिन अगर राज्य सरकार क़ानून और व्यवस्था को क़ायम रखने में असफल रहती है और घृणास्पद आंदोलन एक बड़ा सांप्रदायिक तनाव पैदा करता है तो केंद्र को चुप नहीं बैठना चाहिए। यह केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों का दायित्व ही नहीं बल्कि उनकी अनिवार्यता है कि संविधान प्रदत्त देश के सभी नागरिकों, समूहों और समुदायों बसमूल अल्पसंख्यकों के अधिकारों, सम्मान और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए राज धर्म का पालन करें। यह भी जरूरी है कि समाज में सांप्रदायिक सौहार्द पैदा करने के लिए सभी समुदायों के प्रभावशाली लोगों को आगे आना चाहिए | बुद्धिजीवी ,सामाजिक नेता , धार्मिक रहनुमा , विद्यार्थियों , नवयुवकों और महिलाओं के रहनुमा ,पत्रकार , वकील – सभी को अग्रसर किया जाए | सांप्रदायिक सद्भाव , बेहतर पारस्परिक विचार – विनिमय और आपसी विश्वास के वातावरण को बहाल करने के लिए काम किया जाए | मीडिया और सोशल मीडिया में भी मानव – अंतरात्मा को जाग्रत किया जाए | – Dr RP Srivastava

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