[ हमारे न्यूज डेस्क से ]

1958 में राष्ट्र को समर्पित उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के नेपाल सीमा से लगा खैरमान बांध आज अपनी दुर्दशा और बदहाली का बुरी तरह शिकार है | प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही के बीच सिसक रहा यह बांध अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित होता जा रहा है | एक ओर तो रखरखाव और प्रबन्धन में घोर अनियमितता और भ्रष्टाचार के चलते बांध में पानी की काफी किल्लत रहती है , उथली नहरों के चलते भी अपेक्षित किसानों तक पानी नहीं पहुंचता , वहीं दूसरी ओर जिलेदार और अमीन जैसे पदाधिकारी स्थानीय नागरिकों को अनावश्यक रूप से परेशान करके अपनी अवैध कमाई में लगे हुए हैं |

सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इसकी चिंता नहीं कि हाल की बरसात में ग्राम मैनडीह के निकट पूर्री तरह कट चुकी नहर को बनवाया जाए और खैरमान बांध को जोड़ने वाली नहर पर ठप पड़े आवागमन को बहाल किया जाए | उनकी चिंता तो केवल यही लगती है कि बारिश से बुरी तरह प्रभावित हो चुके ग्रामीणों को परेशान कर उनके अवैध वसूली और उगाही की जाए | इसकी ताजा मिसाल नहर के निकट स्थित गाँव के लोग हैं , जिन्होंने लगातार बारिश के चलते नहर के किनारों पर कहीं – कहीं अपना कुछ सामान रख लिया था | सिंचाई विभाग के अधिकारियों इसे भी अपनी अवैध कमाई का केंद्र बना लिया |  कई गाँव के सैकड़ों लोगों को मुकदमे का नोटिस दिया गया और भ्रष्टाचार की हांडी चढाई गई | बताते हैं कि नोटिस देने के बाद अमीन द्वारा मामला रफा – दफा करने के लिए प्रति ग्रामीण पांच सौ से लेकर एक हजार रूपये रिश्वत के रूप में पिछले दिनों लिए गए |

ग्रामीणों ने बताया कि ” अमीन ने हम लोगों से कहा कि मामला खत्म करना है , तो रूपये देने होंगे , अन्यथा जेल जाने के लिए तैयार रहो | अतः हम लोगों ने मांगे गए रूपये अमीन को दिए | ” ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जाँच की मांग की है | मुकदमे की नोटिस का नमूना यहाँ संलग्न किया जा रहा है | साथ ही बरसाती पानी से कटी सड़क का भी फोटो दिया जा रहा है , ताकि सिंचाई विभाग के लोगों की आम जनता के प्रति असंवेदनशीलता का सही अंदाज़ा हो सके | उल्लेखनीय है कि अभी कुछ ही महीने पहले खैरमान नहर के गहरीकरण के नाम पर भारी लूट और भ्रष्टाचार का आरोप लगा था | जे बी सी मशीन से दिखावटी तौर पर हल्के से छिछलवा कर भुगतान कर दिया गया था |

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