सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सख्त हिदायत के बाद भी ” माब लिंचिंग ” अर्थात भीड़ द्वारा की जा हत्याओं का सिलसिला अभी थम नहीं सका है | प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 6 अगस्त को दिल्ली के टाउन हाल में देशवासियों के साथ सीधे संवाद में साफ़ तौर पर कहा था कि ” इन दिनों कई लोगों ने गोरक्षा के नाम पर दुकानें खोल रखी हैं। मुझे इतना गुस्सा आता है इन्हें देखकर। कुछ लोग जो पूरी रात एंटी सोशल एक्टिविटी करते हैं , लेकिन दिन में वे गोरक्षक का चोला पहन लेते हैं। मैं राज्य सरकारों से अनुरोध करता हूं कि ऐसे जो स्वंयसेवी निकले हैं उनका जरा डोजियर तैयार करें, इनमें से 70-80 फीसदी एंटी सोशल एलिमेंट निकलेंगे। ” राज्य सरकारों ने प्रधानमंत्री की हिदायत पर क्या किया , यह तो पता नहीं , मगर यह सच है कि ‘ माब लिंचिंग ‘ जारी है |
तथाकथित गोरक्षक और सांप्रदायिक लोग हो इसे अंजाम देते हैं और ख़ासकर मुसलमान ही इनका शिकार बनते हैं | इनका ताज़ा शिकार राजस्थान के अलवर का 35 वर्षीय मुहम्मद उमर खान बना है , जिसकी कथित गोरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी | यह घटना गत 10 नवंबर की है | अलवर की मेव पंचायत के प्रमुख शेर मुहम्मद का आरोप है कि हत्या कथित गो रक्षकों ने की है और उसकी लाश को रेलवे ट्रैक के नीचे फेंक दी , ताकि इसको एक दुर्घटना समझा जाए | पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस के अनुसार, जिले में शुक्रवार सुबह गोवंशीय पशु से लदी एक पिकअप गाड़ी मिली। जहां से गाड़ी मिली, वहां से 15 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर एक व्यक्ति की लाश बरामद हुई। कहा जा रहा है कि यह लाश पिकअप में सवार तीन व्यक्तियों में से एक की है।
अलवर के एसपी राहुल प्रकाश ने कहा, ”अभी ज्यादा कुछ साफ नहीं है। गो तस्करों से जुड़ा एक वाहन शुक्रवार सुबह 6 बजे अलवर के गोविंदगढ़ पुलिस थाने की सीमा में मिला है।” पुलिस ने आरोपी गो-तस्करों के खिलाफ राज्य के गोवंश हत्या प्रतिरोधी कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। वाहन को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री भेज दिया गया है। यह इस ज़िले में इस साल घटी दूसरी घटना है | अलवर दक्षिण के क्षेत्राधिकारी अनिल बेनीवाल ने कहा कि ‘पिकअप में तीन गायें और तीन बछड़े थे, जिनमें से एक गाय मर चुकी थी। गाड़ी के पहले दो टायर गायब थे और पिछले दोनों टायर पंक्चर किए गए थे। बाद में, वहां से 15 किलोमीटर दूर रामगढ़ इलाके में एक लाश बरामद हुई। उसके संबंधियों ने उसकी पहचान उमर के रूप में की है, वह भरतपुर का निवासी है।’ भरतपुर की पहाड़ी पंचायत समिति के घाटमिका गांव के सरपंच शौकत ने कहा, ”हमले के वक्त उम्रर के साथ ताहिर और जावेद थे। तीनों हमारे ही गांव के हैं।”
उम्रर के चाचा इलयास ने एक अंग्रेज़ी दैनिक को बताया कि ”केवल जावेद ही ऐसा था जो भाग पाया। उसने मुझे बताया कि उन पर बंदूकधारियों ने हमला किय था। उसने कहा कि वह बड़ी मुश्किल से भाग पाया और नहीं जानता कि बाकी दोनों के साथ क्या हुआ।”
इसी वर्ष इसी ज़िले में लगभग सात वर्ष पहले एक अप्रैल को गोरक्षकों द्वारा हरियाणा के 55 वर्षीय पहलू खान की पीट – पीट कर हत्या कर दी गई थी | इस मामले में छह आरोपी थे , जिनके ख़िलाफ़ पुलिस ने लचर कार्रवाई की और इन छहों आरोपियों को क्लीन चिट दे दी | बताया जाता है कि पुलिस अगर कड़ी कार्रवाई करती , तो इस प्रकार की दूसरी घटना न होती | अलवर जिले की पुलिस कैसी है , उसकी मानसिकता कैसी है ? इसको एक मिसाल से समझा जा सकता है | कथित गोभक्तों द्वारा गो तस्करी की शिकायत पर पुलिस ने एक मुस्लिम परिवार की एक – दो नहीं बल्कि 51 गायों को छीनकर गौशाला को सौंप दिया है | अब गाएं गौशाला में गई और उधर बछड़े वहीं रह गए | गायों के मालिक सुब्बा खान का कहना है कि वे सालों से दूध बेच कर अपना घर चलाते हैं | आख़िरकारकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने पर उन्हें गायें मिल सकीं |
यह आरोप भी लगाया जाता है कि राजस्थान के भाजपा का शासन की शह पर ऐसी घटनाएं होती हैं | अगर सरकार कड़े क़दम उठाए , तो हत्या जैसी घटनाएं कदापि घटित न हों | शायद कुछ लोग यह समझ बैठे है कि जो चाहें कर गुज़रें . उन पर कोई हाथ नहीं डाल सकता | यह स्थिति बहुत चिंताजनक और अफसोसनाक है | विगत 12 अक्तूबर 2017 को पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर दांतल गांव में कुछ ऐसा ही हुआ , जब राजस्थान के लोकगायक आमद खान के सुर पर जब देवी नहीं प्रकट हुईं , तो भोपा को लगा कि खान जान – बूझकर सही सुर नहीं निकाल रहा है | इसी बात पर आमद ख़ान को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला गया | इस घटना से डरे सहमे मांगणियार बिरादरी के कोई डेढ़ दर्जन परिवारों ने गांव छोड़ कर जैसलमेर शहर चले गए | अंग्रेज़ी दैनिक ” हिन्दुस्तान टाइम्स ” में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार , दंतल नाम के इस गांव में एक मुस्लिम लोक गायक आमद ख़ान की कथित हत्या के बाद ऊंची जाति के लोगों की ओर से मिल रही धमकी के चलते इन परिवारों को मजबूरी में अपने घर छोड़ने पड़े | वास्तव में सभी नागरिकों कि सुरक्षा सुनिश्चित करना शासन – प्रशासन का काम है |
क़ानून – व्यवस्था को बनाए रखना क़ानून लागू करनेवाली संस्थाओं व इकाइयों की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है , किन्तु यह आजकल नहीं दिखाई पड़ रही है | देश का सामाजिक ढांचा लगातार प्रभावित हो रहा है | देश के सभी शुभ चिंतकों और हितैषियों को चाहिए कि इस विषम स्थिति को सकारात्मक बनाने हेतु ठोस प्रयास करें | सरकारें भी अपनी पदेन ज़िम्मेदारी निभाएं | लोगों में लोप हो रही सहिष्णुता और सदाचार की भावना को फिर परवान चढ़ाने की ज़रूरत है | – Dr RP Srivastava