19 अगस्त 2014 को देश को भ्रष्टाचार की बीमारी से मुक्त कराने की प्रतिबद्धता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैथल [ हरियाणा ] में एक राजमार्ग परियोजना का उद्घाटन करने के बाद सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि ” मेरी सरकार कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक रूप ले चुकी भ्रष्टाचार नामक बुराई से निपटने के लिए कड़े कदम उठाएगी। भ्रष्टाचार भयावह बीमारी है और यह कैंसर से भी ज्यादा तेजी से फैल रही है। यह बुराई पूरे राष्ट्र को बर्बाद कर रही है। इसलिए इसे खत्म करने के लिए पूरे देश का मिजाज बदलना होगा। मैं महसूस करता हूं कि देश लंबे अर्से तक इस बुराई को झेलने के लिए तैयार नहीं है।” प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य के लगभग साढ़े तीन साल हो चुके हैं , परन्तु भ्रष्टाचार के पौ बारह हैं | एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं | ” न खाऊंगा , न खाने दूंगा ” की प्रधानमंत्री – उक्ति का बुरा हश्र हुआ है | पिछले कुछ समय से बार – बार यह कहा जा रहा है कि आधार कार्ड की अनिवार्यता समेत अन्य क़दम सरकार द्वारा उठाए जाने से भ्रष्टाचार घटा है , मगर हज़ारों करोड़ रुपए के घोटाले भी संपन्न हो रहे हैं ! हज़ारों करोड़ रुपए ले उड़े विजय माल्या का भ्रष्टाचार अपनी एक मिसाल बना चुका था कि अन्य कांड भी सामने आ गए | एक ओर पंजाब नेशनल बैंक में हुए साढ़े 11 हजार करोड़ के घोटाले की जांच जारी है, वहीं दूसरी ओर कानपुर में लगभग तीन हज़ार करोड़ रुपए का एक और बैंकिंग घोटाला सामने आया है | इस घोटाले के तार पेन बनाने वाली नामी कंपनी रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी से जुड़े हैं | बताया जा रहा है कि विक्रम कोठारी ने यूनियन बैंक सहित पांच सरकारी बैंकों से 500 करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया लेकिन साल भर पूरा होने के बाद भी अब तक उनकी ओर से लोन अदा नहीं किया गया है. खास बात यह हैं कि रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी इस वक्त कहां हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है | कानपुर के मालरोड के सिटी सेंटर में रोटोमैक का दफ्तर भी काफी दिनों ने बंद पड़ा है | आरोप है कि नियमों को ताक़ पर रखकर विक्रम कोठारी को इतना बड़ा लोन दिया गया | विजय माल्या मामले में भी ढिलाई के आरोप लग चुके हैं | साढ़े ग्यारह हज़ार करोड़ का नीरव मोदी का घोटाला भी सामने है | पंजाब नेशनल बैंक इससे सबसे अधिक कोपभाजित है , क्योंकि इसने ही सबसे अधिक क़र्ज़ दिया था , अतः सबसे अधिक इसकी ही रक़म डूबी है |
नीरव मोदी, निशाल मोदी, अमी नीरव मोदी और मेहुल छिनूभाई चोकसी के ख़िलाफ़ पंजाब नेशनल बैंक ने 29 जनवरी 2018 को जो शिकायत मुंबई में सीबीआई को दी और दो रोज़ बाद उस पर सीबीआई ने जो एफ़आइआर दर्ज़ की, उसमें अपराध की अवधि वर्ष 2017 अंकित है। यह शिकायत सिर्फ़ 280.70 करोड़ के घोटाले की थी। इसके बाद इसके आधार पर और घोटाले सामने आते गए। एफ आई आर में दिए गए सभी मामले 2017 के हैं। उससे पहले 2010 का ज़िक्र सिर्फ़ बैंक के अपने एक आरोपी की बैंक शाखा में नियुक्ति की तिथि बताने के लिए है। बैंक की ओर से जो आठ एल ओ यू जारी किए गए, वे सब के सब 9 फ़रवरी, 2017 से 14 फ़रवरी, 2017 के बीच के ही थे। इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस के वक़्त घोटाले नहीं हुए। कांग्रेस में घोटालों की भरमार रही। पर नीरव मोदी के मामले में इससे क्या नरेंद्र मोदी सरकार कन्नी कटा सकती है? बिलकुल नहीं। इसमें उसकी जवाबदेही साफ़ है। कांग्रेस के गुनाहों के लिए अगर मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया तो इसमें भी इस सरकार की जवाबदेही बनती है, उस सरकार की नहीं ! इस घोटाले में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, उधर सीबीआई ने कहा है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने ज्यादातर घोटाला 2017-18 में जारी किए गए लेटर ऑफ अंडरस्टेंडिंग के जरिये अंजाम दिया , जिन पर अवैध रूप से कमीशन भी लिए जाने की आशंका है | सी बी आई ने गत16 फरवरी को कहा कि नीरव मोदी और उनके परिवार वाले एल ओ यू के जरिये हेरफेर करवा रहे थे, इसलिए 2017 में पुराने एल ओ यू भी रिन्यू हो गए। सी बी आई द्वारा इस दूसरी एफआईआर के मुताबिक ज्यादातर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग साल 2017 में जारी किए गए , जिनकी आखिरी मियाद मई 2018 तक थी। डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी घोटालेबाजों के लिए अपनी रिटायरमेंट तक एलओयू जारी करता रहा। इस एफआईआर में कई और बैंको के नाम भी सामने आए है, जिन्होंने पीएनबी के कहने पर मॉरिशस, बहरीन, हांगकांग, फ्रैंकफर्ट जैसे देशों में घोटालेबाजों के लिए करोड़ों की रकमें अदा की। इनमें एसबीआई, केनरा बैंक, एक्सिस बैंक जैसे नाम शामिल हैं और इन बैंको को अब पीएनबी से पैसे लेने हैं। इससे भी पता चलता है कि यह कोई मामूली घोटाला नहीं है , बल्कि यह महाघोटाला है | इसने भारतीय बैंकों की भ्रष्ट कार्य प्रणाली को एक बार फिर अच्छी तरह उजागर किया है | इस महाघोटाले से बैंकों का एन पी ए संकट और बढने की आशंका है | वैसे भी बैंकों का एनपीए भी लगातार बढ़ता जा रहा है | पिछले दिनों एस बी बैंकों का एनपीए जिस तेजी से बीते चार बरस में बढ़ा है, उसने बैंकों की खस्ता हालत सतह पर ला दी है | मार्च 2014 में ही एनपीए जहां 2,04,249 करोड़ रुपये था, वहीं जून 2017 में बढ़कर यह 8,29,338 करोड़ रुपये तक पहुंच गया | यह वर्तमान मोदी सरकार में करीब चार गुना बढ़ चुका है | देश के तमाम बैंक एनपीए के जाल में बुरी तरह उलझे हैं | इस बाबत कुछ समय पहले के एक विवरण पर नज़र डालना समीचीन होगा – भारतीय स्टेट बैंक 1,88,068 करोड़ रु. एन पी ए , पंजाब नेशनल बैंक 57,721 करोड़ रु. , बैंक ऑफ इंडिया 51,019,आईडीबीआई बैंक 50,173,बैंक ऑफ बड़ौदा 46,173,आईसीआईसीआई बैंक 43,148,केनरा बैंक 37,658, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 37,286 , इंडियन ओवरसीज बैंक 35,453,सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 31,398, यूको बैंक 25,054,ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 24,409,एक्सिस बैंक लिमिटेड 22,031,कॉरपोरेशन बैंक 21, 713, इलाहाबाद बैंक 21,032,सिंडिकेट बैंक 20,184,आंध्रा बैंक 19,428, बैंक ऑफ महाराष्ट्र 18,049, देना बैंक 12,994,यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 12,165, इंडियन बैंक 9,653, एचडीएफसी बैंक 7,243, विजया बैंक 6,812, पंजाब और सिंध बैंक 6,693, जम्मू व कश्मीर बैंक 5,641(स्रोत : एस इक्विटी) |
25 बैंकों की यह लिस्ट बताती है कि जनता का पैसा कैसे लोन के तौर पर रईसो में बांटा गया | बैंकों को यह रक़म लौटाई गई , तो एनपीए खाते में डाल दिया गया | उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने फंसे कर्ज को निपटाने के लिए नियमों में बड़ा बदलाव किया है | रिजर्व बैंक ने संशोधित रुपरेखा में दबाव वाली परिसंपत्तियों की ‘जल्द पहचान’ करने, निपटान योजना के समय से पालन करने और उस अवधि में बैंकों के विफल रहने पर उन पर जुर्माना लगाने के लिए खास नियम बनाए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या चुनावी मौसम में बड़े कॉरपोरेट और घोटालेबाजों पर कार्रवाई हो पाएगी |
इस घोटाले को लेकर भाजपा बुरी तरह घिर गई है | वह तिलमिलाई हुई है | उसने कांग्रेस पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 हजार 500 करोड़ के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी कनेक्शन बताए हैं। उन्होंने कहा कि ये सब कांग्रेस का किया धरा है और भाजपा इसे साफ कर रही है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि नीरव मोदी के इस केस में ‘असली पाप’ 2011 में किया गया था। अब मौजूदा सरकार ने केस के खुलासे के लिए पूरी मशीनरी लगा दी है। पूर्व वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर बरसीं। उन्होंने कहा कि 2013 में गीतांजलि जेम्स को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार करने से 6 महीने के लिए रोक दिया गया था। 13 सितंबर 2013 को राहुल गांधी इस जूलरी ग्रुप के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। 2013 में वित्त मंत्रालय ने इस मामले के खिलाफ उठे आवाज को दबा दिया। मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी की पत्नी अनिता सिंघवी ने डेढ़ करोड़ रुपए के ज़ेवरात खरीदे | अभिषेक मनु ने भाजपा नेताओं पर मानहानि का केस करने की चेतावनी दी है |
पंजाब नेशनल बैंक को इस मामले में सफ़ाई दी है , वहीं कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से कुछ गंभीर सवाल पूछे हैं | कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाता सम्मेलन में कई सवाल रखे, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं – 1. नीरव मोदी दावोस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्या कर रहे थे ? 2 .प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाक के नीचे देश के सबसे बड़े बैंक को लूटा गया है, उसके लिए कौन जिम्मेदार है?3. प्रधानमंत्री को विगत जुलाई में ही इसकी जानकारी दे दी गई थी | मोदी सरकार ने क्यों नहीं कोई कार्रवाई की? 4.पूरा सिस्टम बायपास कैसे हो गया ? हर ऑडिटर और हर जांचकर्ता की आंख की नीचे से हज़ारों करोड़ रुपये का बैंकिंग घोटाला कैसे छूट गया? 5 . क्या यह नहीं दिखाता कि कोई बड़ा आदमी इस घोटाले को संरक्षण दे रहा था. प्रधानमंत्री जी वह व्यक्ति कौन है?
देश के पूरे बैंकिंग सिस्टम का रिस्क मैनेजमेंट सिस्टम और फ्रॉड डिटेक्शन एबिलिटी कैसे खत्म हो गई. मोदी जी जवाब दीजिए? उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने कर चोरी जांच के सिलसिले में अस्थायी रूप से हीरा कारोबारी और उसके परिवार की 29 संपत्तियां और 105 बैंक खातों को कुर्क कर लिया है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 15 फरवरी को 5,100 करोड़ रुपए मूल्य के हीरे, आभूषण और सोना जब्त किया था। इसके बाद 16 फरवरी को सीबीआई ने नई एफआईआर दर्ज करने के बाद 6 शहरों में 26 स्थानों पर गीतांजलि समूह की 18 भारतीय अनुषंगियों के ठिकानों पर छापा मारकर 549 करोड़ रुपए के बहुमूल्य रत्न जब्त करने का दावा किया था। गौरतलब है कि जो ज़ेवरात ज़ब्त किए गए हैं , उनके बारे में ऐसी रिपोर्टिंग की जा रही है मानो सरकार ने इतनी बड़ी धनराशि वापस ले ली , लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ भी नहीं है | भारतीय क़ानून में यह प्रावधान है कि जब तक मामला चलेगा , ज़ब्त चीज़ें सुरक्षित रहेंगी , फिर अदालत के आदेश से उनकी नीलामी होगी या उसे बेचा जाएगा | अमलन उस समय तक ऐसी चीज़ों का वास्तविक मूल्य काफ़ी घट जाएगा | वास्तव में भ्रष्टाचार हमारे देश की काफ़ी गंभीर समस्या है | अफ़सोस आज भी जिन प्रभावी और कारगर उपायों की ज़रूरत है , उन पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया जा रहा है | – Dr RP Srivastava