पांच विधानसभाओं के हाल में सम्पन्न हुए चुनावों में पंजाब को छोड़कर सभी राज्यों में भाजपा ने अपनी सरकार बना ली है | गोवा और मणिपुर में भाजपा की जोड़तोड़ पर सवाल भी उठे हैं | गोवा का मामला कांग्रेस सुप्रीमकोर्ट ले गयी , लेकिन उसे कोई लाभ नहीं मिल सका | 40 सदस्यीय इस विधानसभा में कांग्रेस को 17 और भाजपा को 13 सीटें मिली हैं | भाजपा मनोहर पर्रिकर ने एम जी पी और जी एफ पी के सदस्यों को मिलाकर उन्हें मंत्री पद देकर अपनी सरकार बना ली | कांग्रेस इस मामले में पीछे रह गयी | यही हाल मणिपुर में हुआ | 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 28 सीटें मिली , जबकि भाजपा को 21 | भाजपा ने 33 विधायकों के समर्थन का दावा किया और एन बीरेन सिंह ने मंत्रिमंडल का गठन किया | बीरेन सिंह ने एन पी पी नेता यूमनाम जयकुमार सिंह को उप मुख्यमंत्री बनाया है | मणिपुर एवं गोवा में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस संख्या जुटाने में विफल रही है तथा अपने पूर्व के कर्मों के कारण उसे विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है | केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘कांग्रेस ने विगत में कई बार अधिकारों और अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर गैर कांग्रेसी सरकार को गिराया है | उसने सबसे बड़े दल को सरकार नहीं बनाने दी. उनके पास आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है |
मणिपुर में भाजपा की स्थिति पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने लिखा, ”मणिपुर में भाजपा का वोट शेयर 2 से बढ़कर 36.3 फीसदी हुआ है | कांग्रेस को 35 फीसदी वोट और 7 ज़्यादा सीटें मिली हैं | कम से कम 3 सीटों पर भाजपा बहुत कम फासले से हारी है |” दूसरी ओर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी पर गोवा और मणिपुर में जनादेश के ख़िलाफ जाने का आरोप लगाया है |चिदंबरम ने कहा है कि जो पार्टी दूसरे नंबर पर है उसे सरकार बनाने का कोई हक़ नहीं है | उन्होंने ट्वीट किया, “एक ऐसी पार्टी जो दूसरे नंबर पर आई है उसे सरकार बनाने का कोई अधिकार नहीं है | भाजपा गोवा और मणिपुर में चुनाव (बहुमत) चुरा रही है |” जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह लिखते हैं, ”ये सब ऑटोमैटिक नहीं हो रहा है | 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी थी , लेकिन राज्यपाल पीडीपी और कांग्रेस की सरकार बनाने के नंबरों से संतुष्ट थे ,इसलिए उन्हें बुलाया गया | ”एक दूसरे ट्वीट में वे लिखते हैं, ”ये क्रिकेट नहीं है. सत्ता पाने के लिए दल-बदलुओं से गठजोड़ कर आप एक अलग तरह की पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते |” बहरहाल यह मानना पड़ेगा कि भाजपा को केंद्र में रहने का फ़ायदा ज़रूर मिला है | इन चुनावों में सबसे अधिक चौंकानेवाले नतीजे उत्तर प्रदेश के रहे | भाजपा को अकेले 312 सीटें मिलीं , जबकि उसके गठबंधन को कुल 325 सीटें मिलीं | सपा – कांग्रेस गठबंधन को मात्र 54 सीटें मिलीं , जबकि बसपा को 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा | बसपा ने सबसे ज़्यादा 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे , जबकि भाजपा ने किसी मुसलमान को अपना उमीदवार नहीं बनाया था | इस आश्चर्यजनक चुनाव नतीजों पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने ई वी एम पर सवाल उठाया है | सपा और कांग्रेस ने मायावती के इस आरोप का समर्थन किया है | मायावती ने इस मामले को अदालत में ले जाने की बात कही है | उन्होंने ऐलान किया है कि बसपा इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने के लिए उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में आंदोलन करेगी | पार्टी हर महीने की 11 तारीख को उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों के राज्य मुख्यालयों पर ‘काला दिवस’ मनाएगी | इस कड़ी में पहला प्रदर्शन 11 अप्रैल को होगा | राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में ही भाजपा को सबसे अधिक चुनौतियाँ पेश आएंगी , जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री का नाम तय किए जाने को लेकर लंबे समय तक हुई माथापच्ची से हुई | यही वह प्रदेश है , जहाँ की जीत भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था | उसने यह कठिनाई बिना किसी बाधा के पार कर ली है , लेकिन यह तय है कि नई सरकार पर अपने वादों को पूरा करने का काफ़ी दबाव होगा | एक पत्रकार का कहना है कि “यूपी में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद एंटी-रोमियो टीम, किसानों की कर्जमाफी और बुंदेलखंड के विकास का मुद्दा तो रहेगा ही | साथ में भाजपा को लॉ-एंड-ऑर्डर को लेकर भी काफी काम करना होगा | वे कहते हैं कि ”भाजपा हमेशा से इस मुद्दे को लेकर सपा को घेरती रही है, लिहाजा उसे अब इन मुद्दों पर जनता को जवाब देना होगा |” चुनाव – प्रचार के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बार-बार यह मुद्दा उठाया था कि उप्र में कॉलेज और स्कूलों के बाहर हो रही छेड़खानी को रोकने के लिए एंटी-रोमियो टीम बनाई जाएगी | पत्रकार दुर्गेश उपाध्याय का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर उप्र की सरकार पर रहेगी, क्योंकि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले यहां कई वादे पूरे करने होंगे, क्योंकि चुनाव में सभी दल उनसे भी हिसाब मांगेंगे | भाजपा ने चुनावी संकल्प-पत्र में बुंदेलखंड विकास बोर्ड और पूर्वाचल विकास बोर्ड के गठन की बात कही थी | पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद इसका गठन कर उन इलाकों के विकास का भी दबाव होगा | विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जहां बुंदेलखंड की सभी 19 सीटों पर कब्जा जमाया है, वहीं पूर्वाचल में भी उसने काफी शानदार प्रदर्शन किया है | अब भाजपा की सरकार पर इन क्षेत्रों में विकास कराने का दबाव होगा , हालाँकि प्रचंड बहुमत को देखते हुए विपक्षी दलों का उस पर कम दबाव होगा | फिर भी भाजपा पर सभी प्रदेशवासियों को साथ लेकर चलने की चिंता ज़रूर होगी | ख़ासकर मुसलमानों के दिलों से संदेहों और आशंकाओं को निकालना होगा और व्यर्थ की बयानबाज़ियों पर प्राथमिक तौर पर रोक लगाना होगा | – ” ANATHAK ”