एक ओर सडकों पर छोटी गाड़ियों में सवारियों को भेड़ – बकरियों की तरह ठूंस कर और मुहंमाँगा किराया वसूलने वाली बसों , मैक्सियों और छोटे वाहनों पर हर्रैया [ बलरामपुर ] पुलिस सदा मेहरबान रहती हैं , यहाँ तक कि ऐसा भी होता है कि 100 नंबर की पुलिस गाड़ी और अवैध रूप से चलने वाले ए वाहन साथ – साथ आगे – पीछे चलते नज़र आते हैं , मगर पुलिस सदा मौन रहती है |

बताया जाता है कि पुलिस की बेहिसी के पीछे उसे हर माह पहुँचनेवाली बंधी रकम है | ठीक इसके विपरीत चेकिंग के नाम पर मोटर साइकिल , कार और एस यू वी चालकों से पुलिस की खुली लूट और प्रताड़ना जारी है | पुलिस वाले गाड़ी की तलाशी लेते हैं , वह भी सिर्फ डिक्की की | गाड़ी के अंदर क्या है , इस ओर उनका ध्यान नहीं रहता | फिर गाड़ी के पेपर की आड़ में अवैध वसूली की जाती है |

कुछ प्रतिक्रिया जताने पर चालान काट दिया जाता है और दुर्व्यवहार किया जाता है | विगत दिनों एक प्रतिष्ठित संपादक की कार को पुलिस ने रोका , जिसे संपादक महोदय स्वयं ड्राइव कर रहे थे | ‘ प्रेस ‘ लिखे हुए इस वैगन आर का दिल्ली का नंबर था | थाने के पुलिस अधिकारी शैलेन्द्र कुमार वाहन चेकिंग का कार्यक्रम चला रहे थे | दो पुलिसकर्मियों ने 10 – 15 किमी प्रति किमी चलने वाली कार को हाथ के इशारे से साइड में गाड़ी पार्क करने को कहा | गाड़ी में संपादक महोदय की पत्नी और उनकी भाभी थीं | गाड़ी पार्क करते ही सिपाही ने कहा कि डिक्की खोलो | संपादक महोदय ने डिक्की खोल दी | डिक्की में एक छोटा बैग था , जिसमें कपड़े थे | उस बैग को खोलकर कपड़े बिखेर दिए गये | जब संपादक महोदय की पत्नी ने आपत्ति जताई और कपड़ों को पुनः बैग में रखने का अनुरोध किया , तो पुलिस वाला ब्रितानी पुलिस की भांति बिफर पड़ा | उसे यह भी खयाल नहीं रहा कि वह किसी महिला से बात कर रहा है |

जब संपादक महोदय ने सभ्य ढंग से पेश आने की अपील की , तो उसने कहा कि गाड़ी के कागज और डी एल चेक कराओ | उसने सड़क किनारे कुर्सी – मेज़ लगाकर बैठे अन्य पुलिसकर्मियों की ओर इशारा किया | उस समय हद हो गई जब डिजिटल कार्ड रूपी आर सी को पहचानने से पुलिसकर्मी ने इन्कार कर दिया और असल आर सी की मांग की | यह कहे जाने पर कि यही तो असल है , वह पुलिसकर्मी तिलमिला उठा | इसी बीच वाहन चेकिंग कार्यक्रम का संचालन कर रहे पुलिस अधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने हालात को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि दिल्ली में ऐसे ही आर सी होता है | बहरहाल इस प्रक्रिया से संपादक महोदय और उनके परिवार को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ा | जानकार बताते हैं कि यह सब करने का पुलिस का एकमात्र उद्देश्य अवैध रूप से धन उगाही ही होता है | – Dr RP Srivastava

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