[ हमारे रिपोर्टर से ]

हमारे देश में अगर कुछ भी प्रथम पर है , तो वह भ्रष्टाचार है | कहते हैं इसमें गूलर का फूल पड़ा है , जिसके कारण इसमें लगातार चक्रवृद्धि की तरह वृद्धि होती रहती है | वैसे तो हमारे देश में हर काम का भ्रष्टाचार रेट तय है , परन्तु हमारा देश शायद दुनिया का पहला देश है , जहाँ काम होने से पहले रिश्वत की रक़म तय हो जाती है | उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्राम प्रधानों द्वारा प्रति लाभार्थी दस हजार रुपए रिश्वत के तौर पर वसूली की ख़बरें कुछ महीने पहले सामने आई थीं , मगर उनके ख़िलाफ़ कुछ ख़ास कार्रवाई नहीं हो सकी | अलबत्ता  कुछ संजीदा जिलाधिकारियों द्वारा  ज़रूर संज्ञान लिया गया था | कार्रवाई न होने की स्थिति में ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों के हौसले बढ़ते चले गए | इसका नतीजा यह हुआ कि कुछ ग्राम प्रधानों द्वारा बीस हज़ार रुपए की मांग की जाने लगी , जिसके कारण लाभार्थियों को आवास में अपने पास से धनराशि लगानी पड़ी | कुछ प्रधानों ने आवास निर्माण का काम अपने हाथ में लेकर पीली ईंटों का इस्तेमाल करने के साथ ही कम सीमेंट और घटिया सामग्री इस्तेमाल करवाई | आवास के बाहर कुछ रंग – रोगन करके फोटो लेकर कागज़ी कार्यवाही पूरी की जा रही है | बताया जाता है कि कुछ आवासों में ख़ास कर अंदर की दीवारों पर भी प्लास्टर नहीं हुआ है | इस सिलसिले में ग्राम प्रधानों ने लाभार्थियों को विवश किया गया कि वे आवास योजना तहत बैंक में आई धनराशि को उनके पास जमा कराएं | ऐसा एक नहीं देवी पाटन मंडल में कई ग्राम पंचायतों / ग्राम सभाओं में हुआ | सारी धनराशि को जमा कराकर अपने पसंदीदा दुकानदारों से भवन निर्माण की सामग्रियां खरीदी गईं | कहते हैं कि इसमें भारी कमीशनखोरी की गई | आरोप है कि ऊँची दरों  पर सामग्री खरीदने के लिए विवश किया गया | आरोप है कि कमीशन खाने के लिए ही ऐसा किया जाता है और सामान्य दर से अधिक भुगतान कराया है | भुगतान ग्राम प्रधान या उनके प्रतिनिधि ने कराया और करवा रहे हैं | साथ ही आवास की पूरी राशि पर अब दस नहीं बीस हज़ार रुपए रिश्वत के रूप में लेने की सूचनाएं मिल रही हैं |
[ इस सन्दर्भ में ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनिए ]

आरोप है कि बलरामपुर के हर्रैया सतघरवा ब्लाक अंतर्गत टेंगनवार ग्राम सभा के प्रधान द्वारा ऐसी ही अवैध कमाई के कई द्वार खोल रखे गए हैं | शिकायत है कि आवास – मज़दूरी के मद में खाते में रक़म नहीं डाली गई है | बिना मिस्त्री और मजदूरों के आवास कैसे बन रहे हैं , एक प्रकार का चमत्कार ही है | आरोप है कि बेहद घटिया सामग्री और मानक से बहुत कम लागत से शौचालय बनाए जा रहे हैं | ग्रामीणों का आरोप है कि सारे शौचालय दिखावटी हैं , जो अभी तक चालू नहीं हो सके हैं | उन्हें आशंका है कि ये शौचालय कभी चालू नहीं हो पाएंगे | बस इनका उपयोग कागज़ी खानापूर्ति के लिए होगा |  इस खबर के साथ संलग्न वीडियो में इसी गाँव के एक लाभार्थी की बातचीत भी सुनी जा सकती है , जिसके मुताबिक़ , लाभार्थी से 16 हज़ार रुपए लिए गए और चार हज़ार रुपए और मांगे जा रहे हैं | इस स्थिति में लाभार्थी को अपने पास से आवास निर्माण में धनराशि लगानी पड़ रही है |
ग्रामीणों का कहना है कि जब हमें अपने बैंक से पैसे निकालकर ग्राम प्रधान को देना था , तो सरकार ने उनके बैंक एकाउंट में पैसे क्यों दिए ? सीधे ग्राम प्रधान के बैंक एकाउंट में क्यों नहीं डाल दिए ?

 

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