सुना था रेल मंत्री सुरेश प्रभु जी ने रेलवे को चुस्त – दुरुस्त किया है | अब बुलेट भी चलने जा रही है | स्वयं प्रभु जी ट्विटर पर संदेश मिलते ही सहायता के लिए तत्पर हो जाते हैं , यहाँ तक कि भूखे नौनिहाल को दूध भी उपलब्ध करवा देते हैं | मीडिया में यह बात भी आई कि रेलवे के अधिकारी अब ‘अच्छे’ हो गये हैं , क्योंकि प्रभु ने उनकी ‘ चाबी ‘ भरी है | मैंने सोचा कि प्रभु जी को क्यों कष्ट पहुंचाऊं , अपनी एक परेशानी रेलवे अधिकारियों को पहुंचाऊं | सो एक समस्या ईमेल से कई अधिकारियों की सेवा में लिख भेजी , क्योंकि ‘ डिजिटल इंडिया ‘ का बहुत शोर सुन रखा था | किसी मित्र ने भी कहा था कि अब हमारे देश में राजीव गाँधी ने कंप्यूटर का ही बोलबाला है | मैंने यह ईमेल रेलवे विभाग के इन अधिकारियों के नाम 15 जुलाई 2016 को भेजा – [email protected] [email protected] [email protected] [email protected] और [email protected] , लेकिन इन्होंने तो साबित कर दिया कि हम सब पाषाण काल में अब भी रहते हैं | न तो किसी अधिकारी ने जवाब दिया और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की !!! नौ महीने बीत भी गए , मगर अधिकारियों के जगने का समय नहीं आया | इन अधिकारियों के पास जो व्यथा लिख भेजी जी , उसे भी जान लेना आवश्यक है | इसे मूल रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है –

 

महोदया / महोदया ,

अब मुझे ठीक से अहसास हो चला है कि भारतीय रेल के लिए चाहे जितने जतन किये जाएँ , सुधर नहीं सकती !!! प्रभु जी से जो आशा बंधी थी , वह उस समय धूल – धूसरित हो गई , जब रेल की बड़ी कमाऊ गाड़ी [ SUVIDHA – 82527 ] से विगत 10 जुलाई 16 को दो – तीन गुना अधिक किराया देकर यात्रा करने का पुण्य संयोग और सौभाग्य प्राप्त हुआ | इस दुर्लभ ट्रेन में बैठकर आनन्द लेने की इच्छा भला किसको नहीं हो सकती ?! मुझे भी हुई , तो इसमें मेरा कसूर क्या ? ट्रेन के गोंडा [ GD ] स्टेशन पर आने का निर्धारित समय था सुबह 8 . 15 , सो इसकी प्रतीक्षा लगभग तीन घंटे तक की | अब ट्रेन पर सवार होने की मुझे ख़ुशी थी और मेरी पत्नी जी को भी ,जो बर्थ पर पहुंचते ही काफूर हो गई ! चिलचिलाती गर्मी में प्रभु की ऐसी माया कि पूरे कोच में बिजली की सप्लाई ही नहीं !!! सब लोग पसीने से सराबोर थे ….. हम लोग भी गोंडा स्टेशन पर ट्रेन की प्रतीक्षा की घड़ियाँ गिनते – गिनते भारी उमस और पसीने से तर ब तर हो चुके थे | अब हम अपने को पूरी तरह ठगे महसूस कर रहे थे , जो एक स्वाभाविक बात और प्रक्रिया थी |

हमारा PNR नंबर 6553826564 ख़ुद हमें मुंह चिढ़ा रहा था और अपने हाथ की सफाई पर गौरवान्वित था | कोच [ S 6 ] में बैठे कुछ यात्रियों ने बताया कि ट्रेन जहाँ से चली है , वहीं से यह दुर्दशा है | टीटी से कई बार कहा , तो उसने कोच में आना हो छोड़ दिया | अतः जयनगर से गाड़ी छूटने के थोड़े समय बाद एक टीटी के दिखाई पड़ने के बाद कोई रेलकर्मी दिखाई नहीं पड़ा | उससे बार – बार बिजली सप्लाई न होने की शिकायत करने पर वह भी सदा के लिए रफूचक्कर हो गया | इस विषम परिस्थिति में हम लोगों ने विवश होकर तय कर लिया कि इस ट्रेन से आनन्द विहार तक कदापि नहीं जाया जा सकता | इस कोच की खासियत यह भी कि इसका वाश रूम अंदर से बंद नहीं होता , अतः शौचादि खुले में करने की सार्वजनिक अनुमति थी !!! हम लोगों को विवश होकर लखनऊ में ट्रेन छोड़ देनी पड़ी और RED BUS से दिल्ली आना पड़ा | एक जागरूक नागरिक होने के नाते ये कुछ बातें यह भी जानते हुए कि इस ओर कुछ भी ध्यान नहीं दिया जाएगा और न ही किसी सराहना का सवाल उठता है , लिख दी हैं |

– RP Srivastava

कृपया टिप्पणी करें