उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता पवन सिंह का शराबबंदी के सिलसिले में किया गया आह्वान बहुत उचित और सराहनीय है | उन्होंने पिछले दिनों कहा कि ” हम सभी लोगो को मिलकर शराब विरोध करना होगा , तभी हमारे उत्तर प्रदेश में भी शराब बंदी होगी | जब हमारे यहां शराब बंदी होगी तभी जाकर हमारा उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनेगा | सुप्रीम कोर्ट के आदेश होने के बाद हाइवे से हटकर मोहल्ले, कॉलोनियों में बियर,शराब की दुकानें खोली जा रही है | हम सभी लोगो को मिलकर उसका विरोध करना होगा | जबसे गुजरात और मे शराब बंदी की गई है , वहाँ सबके घरो मे खुशियां आ गई है | क्राइम बहुत कम हो गया है और लगातार विकसित प्रदेश बनता जा रहा है …. इसी क्रम में बढ़ते हुए आइये एक कदम चलते है और दारू और बियर की दुकानो को अपने मुहल्ले और कॉलोनियों में नही खोलने देंगे | ”
दूसरी तरफ़ इस बात के साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में शराबबंदी का निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने राज्य के आबकारी सचिव के साथ एक बैठक भी की है। इस बैठक के बाद आबकारी विभाग सख्त हो गया है। शराब की दुकानों में सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है और जिसमें लगभग दो दर्जन लोगों को हिरासत में लिया गया है। सभी थाना प्रभारियों को सरकार की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले शराब ठेकेदारों और दुकानदारों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। वास्तव में शराब के इस्तेमाल के मानव – स्वास्थ्य को हर हाल में नुक़सान ही होता है | शराब की घूंट मुंह में जाते ही दिमाग और शरीर पर बेहद नकारात्मक असर होने लगता है | मुंह में जाते ही शराब को कफ झिल्ली सोख लेती है | घूंट के साथ बाकी शराब सीधे छोटी आंत में जाती है | छोटी आंत भी इसे सोखती है, फिर यह रक्त संचार तंत्र के जरिए लीवर तक पहुंचती है | डॉ॰ ई॰ मैक्डोवेल कासग्रेव [ एम॰ डी .] केअनुसार,‘‘अल्कोहल मस्तिष्क को नष्ट कर देती है ।’’.हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी के रिसर्चर हेल्मुट जाइत्स के मुताबिक, “लीवर पहला मुख्य स्टेशन है | इसमें ऐसे एन्जाइम होते हैं जो अल्कोहल को तोड़ सकते हैं |” लीवर हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर करता है. अल्कोहल भी हानिकारक तत्वों में आता है ,लेकिन यकृत में पहली बार पहुंचा अल्कोहल पूरी तरह टूटता नहीं है | कुछ अल्कोहल अन्य अंगों तक पहुंच ही जाता है | जाइत्स कहते हैं, “यह पित्त, कफ और हड्डियां तक पहुंच जाता है, यहां पहुंचने वाला अल्कोहल कई बदलाव लाता है |” अल्कोहल कई अंगों पर बुरा असर डाल सकता है या फिर 200 से ज्यादा बीमारियां पैदा कर सकता है | शराब सबसे अधिक कुप्रभाव मस्तिष्क पर डालता है | आस पास के माहौल को भांपने में शरीर गड़बड़ाने लगता है | फैसला करने की और एकाग्र होने की क्षमता कमजोर होने लगती है | शर्मीलापन कमजोर पड़ने लगता है और इंसान खुद को झंझट मुक्त सा समझने लगता है | इंसान बेसुध होने लगता है. उसमें निराशा का भाव और गुस्सा बढ़ने लगता है | 2012 में दुनिया भर में शराब पीने के बाद हुई हिंसा या दुर्घटना में 33 लाख लोगों की मौत हुई, यानी हर 10 सेकेंड में एक मौत | शराब को मस्तिष्क तक पहुंचने में छह मिनट लगते हैं |
जाइत्स इस विज्ञान को इस प्रकार समझाते हैं -“एथेनॉल अल्कोहल का बहुत ही छोटा अणु है | यह खून में घुल जाता है, पानी में घुल जाता है | इंसान के शरीर में 70 से 80 फीसदी पानी होता है | इसमें घुलकर अल्कोहल पूरे शरीर में फैल जाता है और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है | सिर में पहुंचने के बाद अल्कोहल दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटरों पर असर डालता है | इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होता है | अल्कोहल की वजह से न्यूरोट्रांसमीटर अजीब से संदेश भेजने लगते हैं और तंत्रिका तंत्र भ्रमित होने लगता है | इस बात को भी ध्यान में रखने की ज़रूरत है कि मनुष्य का जिस चीज़ के कारण समस्त प्राणियों में विशिष्ट और प्रतिष्ठित एवं केन्द्रीय स्थान दिया गया है, वह वास्तव में उसकी सोचने-समझने और सत्य-असत्य और भले-बुरे में अन्तर करने की क्षमता है । अब यह स्वाभाविक बात है कि जिस चीज़ या काम से मनुष्य की इस क्षमता और योग्यता को आघात पहुंचा हो या उसके पूर्ण रूप से क्रियाशील होने में बाधा उत्पन्न होती हो, उसको मनुष्य का निकृष्टतम शत्रु समझा जाए । शराब चूंकि मस्तिष्क को स्वाभाविक रूप से कार्य करने में रुकावट डालती है और उसकी तर्कशक्ति को शिथिल करके मनुष्य को मानवता से ही वंचित कर देती है, इसलिए उसे मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु घोषित करना बिलकुल उचित ही है । – Dr. RP Srivastava