रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार जैसे इस दौर का शौक बन गया है और अधिकांश लोग अपने को धनवान भालाशाह साबित करने के लिए इस श्रंगार को कर रहे हैं। सभी जानते हैं कि इस देश में चंद लोगों को छोड़कर सभी लोग खूबसूरती के लिए श्रंगार जरूर करते हैं और कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो श्रंगार न करके सादे बोदे रहते हैं। यहीं आलम रिश्वतखोरी हरामखोरी भ्रष्टाचार रूपी श्रंगार का है तथा चंद लोगों ही ऐसे होगें जो इससे दूर हैं और कलयुग में भी सतयुग के हरिश्चन्द्र बने हुए हैं। अपने देश में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार जैसे एक सिद्धांत एवं रिवाज बनता जा रहा है और हर जगह हरामखोरी रिश्वतखोरी का बोलबाला है। भ्रष्टाचार की जड़ें सरकारी चपरासी से लेकर अधिकारी कर्मचारियों के बीच से होता हुआ उच्चाधिकारियों तक ही नहीं बल्कि शासन सत्ता तक पहुंच गया है और कोई वर्ग इससे अछूता नहीं बचा है और इसकी आगोश में विधायक मंत्री मुख्यमंत्री केन्द्रीय मंत्री तक समा चुके हैं। इसके बावजूद हमारे तमाम अधिकारी कर्मचारी उच्चाधिकारी विधायक सासंद मंत्री मुख्यमंत्री केन्द्रीय मंत्री आज भी भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी कमीशनखोरी से कोसों दूर हैं। हमारे देश की न्यायपालिका भी धीरे धीरे इसकी जद में आती जा रही है तथा अबतक न्यायपालिका से जुड़े भी कई भ्रष्टाचार के मामले चर्चा में आ चुके हैं। इसके बावजूद आज भी लोग तमाम सरकारी एजेंसियों से जुड़े लोगों को ईमानदार मानते हैं और उन पर विश्वास भी करते हैं।देश की आन्तरिक सुरक्षा जांच से जुड़ी पुलिस जिस प्रदेश में फेल होने लगती है तो उस मामले को देश की सर्वोच्च सुरक्षा जांच  एजेंसी सीबीआई को सौंप दिया जाता है और इस समय तो हर चर्चित एवं वीआईपी मामलों की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए अक्सर सीबीआई जाँच कराने की मांग होती रहती है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि लोगों को सीबीआई जांच पर विश्वास एवं आस्था है। सीबीआई पर सत्ता के इशारे पर कार्य करने के अक्सर आरोप भले ही लगते रहते हैं लेकिन रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार का कोई खास आरोप जहाँ तक मै जानता हूँ कभी नहीं लगा है। इधर कुछ दिनों से सीबीआई में भी भ्रष्टाचार उजागर होने लगे हैं और एक दूसरे को आरोपित करने का दौर शुरु हो गया है। इतना ही नहीं सर्वोच्च जाँच एजेंसी के एक विशेष जांच निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत के आरोपों की हो रही जांच के दौरान जांच एजेंसी के एक डिप्टी एसपी को रिश्वतखोरी करने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया गया है। सीबीआई द्वारा अपने निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ बिना अनुमति दर्ज कराये गये मुकदमे में उनके ऊपर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है।यह शायद पहला मौका है जबकि सीबीआई द्वारा अपने निदेशक पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। इससे पहले आरोपित अस्थाना भी दो माह पहले अपने निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े दस मामलों की सूची कैबिनेट सचिव को दिया था और कहा था कि एक मामले में क्लीन चिट देने के लिए वर्मा ने सतीश साना से दो करोड़ रुपये लिये थे।उनकी शिकायत की जांच सीवीसी कर रही है। यह वही सतीश साना हैं जिन्होंने अस्थाना पर तीन करोड़ रुपये लेने की शिकायत की थी जिसके आधार पर उनके खिलाफ जांच हो रही है जिसमें पुलिस ने उपाधीक्षक देवेन्द्र कुमार को गिरफ्तार किया है। सीबीआई के हाई कमान स्तर से सीओ स्तर तक भ्रष्टाचार की पुष्टि होना सीबीआई के प्रति लोगों की श्रद्धा आस्था के साथ खिलवाड़ करने जैसा है क्योंकि अगर सर्वोच्च जांच एजेंसी ही घूसखोर भ्रष्ट हो जायेगी तो देश के सामने न्याय दिलाने का कोई माध्यम नहीं बचेगा। शायद यही कारण हैं कि सीबीआई मेंं चल रहे आपसी घमासान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंभीरता से लिया है और सीबीआई के दोनों आला अधिकारियों को तलब करके उनकी क्लास ली है। सीबीआई में चल रही आपसी वर्चस्व की लड़ाई भ्रष्टाचार के सहारे लड़ना राष्ट्रहित में नहीं है और भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई मोदी सरकार के लिये एक चुनौती जैसा है।
   – भोलानाथ मिश्र
 वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी

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