आज का नेपाल देश कल जनकपुर राज था और वहाँ धर्मतंत्र के साथ राजतंत्र के पोषक विदेहराज महाराजा जनक रहते रहते थे। जनकपुर की माटी भारत की माटी से कमजोर नहीं है और दोनों की माटी माथे पर तिलक लगाने वाली अध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। जनकपुर की ही धरती पर भगवान भोलेनाथ का प्रादुर्भाव हुआ तो महान योगी शिव अवतारी माने जाने वाले बाबा गोरखनाथ जी की लीलाओं का भी प्रमुख केन्द्र भी रहा है। जनकपुर की धरती से आदिशक्ति जगत जननी माँ सीता जी का प्रकटीकरण हुआ तो भारत में जगतपिता भगवान राम के साथ भगवान शिव का विभिन्न स्वरूपों के साथ देवी देवताओं की कर्मस्थली रहा है।भारत और नेपाल हमेशा से सगे भाई की तरह साथ साथ एक दूसरे की संस्कृतियों में रचबस कर रहे हैं।
दोनों देशों का यह रिश्ता जन्मों जन्मों का अटूट रिश्ता है और दोनों भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानते हैं। वहाँ के अन्तिम राजा ज्ञानेन्द्र विक्रम से पहले वहाँ के राजा को विष्णु अवतार या स्वरूप मानकर घर घर उनकी पूजा की जाती थी। भगवान विष्णु दोनों देशों के महानायक रहे हैं और दोनों देश एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।नेपाल और भारत की रिश्तेदारी एवं नजदीकियां त्रेतायुग से है तथा आज भी अवध क्षेत्र के लोगों की आज भी वहाँ पर विशेष सेवा सम्मान किया जाता है। त्रेतायुग के रामावतार भगवान विष्णु की अर्धागिनी माता महालक्ष्मी सीताजी नेपाल के जनकपुर की हैं इसलिए अवध के लोग वहाँ के मान्य अतिथि होते हैं।
पिछले दिनों हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने नेपाल दौरे के दरिम्यान जनकपुर में जो कुछ भी दोनों देशों के रिश्तों के इतिहास का जिक्र किया वह पूरी तरह सही है। नेपाल से हमारे रोटी बेटी के रिश्ते युगों युगों से रहें है लेकिन दुर्भाग्य है कि मुख्य राजपरिवार के पतन एवं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने के बाद कुछ हमारे दुश्मनों के एजेंट राजनैतिक लबादा ओढकर हमारे रिश्तों को कलंकित करने की साजिशें कर रहें हैं। इसके बावजूद नेपाल और भारत की सरकारों और जनता के रिश्तों मान सम्मान में कोई कमी नहीं आयी है। हमारे यहाँ आज भी नेपाली लोगों को ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ मानकर हर जगह महत्व दिया जाता है और हमारी सेना की एक रेजिमेंट ही गोरखा के नाम से बनी है।
पुराने रिश्तों के ही फलस्वरूप प्रधानमंत्री का जगह जगह वंदन अभिनन्दन किया गया और मनुष्य के वजन से अधिक एक सौ इक्कीस किलो की माला पहनाई गयी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने नेपाल सरकार द्वारा माता सीताजी के मायके से ससुराल को सीधे जोड़ते हुए जनकपुर अयोध्या बस सेवा का शुभारंभ भी किया।इस बस से पहली बार आये अतिथि नेपाली नातेदारों की अगवानी और स्वागत बाबा गोरखनाथ जी की ड्यौढ़ी के प्रमुख एवं धर्म के साथ राजनीति का अनूठा संगम करने वाले प्रदेश के भगवाधारी संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महराज जी ने किया है। वास्तव में यह क्षण ऐतहासिक और यादगार रहेगें और रिश्तों को एक नया मजबूत आयाम मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्मान में नेपाल सरकार द्वारा शुरू की गयी जनकपुर अयोध्या मिलन बस सेवा एक सराहनीय स्वागत योग्य पहल है जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय उतनी ही कम है।प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी गदगद होकर ससुराली क्षेत्र में तमाम विकास योजनाओं के लिए सौ करोड़ न्योछावर कर दिये। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली जी का जानकी मंदिर में भगवान राम और माता सीता के स्वरूपों के साथ स्वागत करना हमारे खूनी रिश्ते का परिचायक है। इसके लिए निःसंदेह वहाँ के प्रधानमंत्री जी बधाई के पात्र हैं। धन्यवाद।।वंदेमातरम् /शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः/ ऊँ नमः शिवाय।।
– सुधाकर मिश्र , सहायक अध्यापक , गोंडा [ उत्तर प्रदेश ]
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