अतिथि लेखक/पत्रकार

धरोहरों एवं पहचान के साथ राजनीति उचित नहीं

इस देश का दुर्भाग्य है कि यह आज़ादी के समय से ही संकीर्ण राजनैतिक शतरंज का मोहरा बना हुआ है और जब जिसका दिल चाहता है वह इसे राजनैतिक दाँव पर लगा देता है। संक्रीण राजनीति ही थी जिसके चलते आजाद हिन्द सरकार और आजाद हिन्द सेना के विंग कमांडर Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

ए एम यू में क्यों होते हैं बार – बार विवाद ?

    सभी जानते हैं कि राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं होता है, इसीलिए राष्ट्रीय एकता और अंखडता से कोई समझौता नहीं होता है। जो राष्ट्र विरोधी है वह देश का दोस्त नहीं बल्कि दुश्मन के समान होता है और उसके साथ मुरव्वत करना देश के साथ गद्दारी करने जैसा Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

राजनीति में युवा सक्रियता के वरुण – प्रयास ?

कभी-कभी लगता है समय का पहिया तेजी से चल रहा है जिस प्रकार से घटनाक्रम चल रहा है, वह और भी इस आभास की पुष्टि करा देता है। पर समय की गति न तेज होती है, न रुकती है। हां पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव घोषित हो जाने से तथा Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

मी टू की आवाज को सुनें

इन दिनों देश में नारी शक्ति की प्रतीक समझी जाने वाली देवी मां दुर्गा की उपासना हो रही है और इसी समय नारी का एक तबका यौन शोषण के मामले पर एकजुट हो रहा है। इन्हीं यौन शोषण के मामलों को उजागर करने के लिए अमेरिका में मी टू नाम Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

राजनैतिक शतरंज की बिसात पर धूल- धूसरित होता विपक्षी महागठबंधन 

राजनीति उस शतरंज की उस चाल की बिसात की तरह मानी जाती है जिसमें जरा सी चूक होने पर खिलाड़ी चारोखाने चित्त हो जाता है और बना बनाया काम बिगड़ जाता है। आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इधर राजनैतिक गोट बिछाकर एक दूसरे को कमजोर कर चुनावी Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

गुजरात में कब तक पिटेंगे बेगुनाह ?

रोजी रोटी की तलाश में अपना घर जिला प्रदेश देश छोड़कर परदेश जाने की परम्परा आज से नहीं बल्कि आदिकाल  से चली आ रही है। लोग मजबूरी में धंधा करने अपना घर परिवार जिला देश छोड़कर जाते हैं और वहाँ की संस्कृति में रचबस ही नहीं जाते हैं बल्कि वहाँ Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

नारी – अस्मिता को नई पहचान 

केरल के विख्यात सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश एवं पूजा करने रास्ता खोलकर सुप्रीम कोर्ट ने नारी की अस्मिता एवं अस्तित्व को एक नयी पहचान दी है।  बहुप्रतीक्षित फैसले में कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह पूजा के अधिकार के साथ ही स्त्री-पुरुष समानता के अधिकार का Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

पाकिस्तान भरोसे के क़ाबिल नहीं, बातचीत के लायक़ नहीं

पाकिस्तान खौफनाक एवं वीभत्स आतंकवाद को प्रोत्साहन देता रहे और दुनिया को दिखाने के लिये शांति-वार्ता का स्वांग भी रचता रहे, इस विरोधाभास के होते हुए भी हम कब तक उदारता एवं सद्भावना दर्शाते रहे? जम्मू-कश्मीर में सीमा सुरक्षा बल के एक जवान को वीभत्स तरीके से मारे जाने और Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

संघ की दस्तक सुनें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तीन का ‘भविष्य का भारत’ विषयक विचार अनुष्ठान अनेक दृष्टियों से उपयोगी एवं प्रासंगिक बना। दिल्ली के विज्ञान भवन में देश के प्रमुख बुद्धिजीवियों और लगभग सभी दलों के प्रमुख नेताओं को आमंत्रित कर उन्हें न केवल संघ के दृष्टिकोण से अवगत कराया गया बल्कि एक Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

क्या इस बार भी यही नारा होगा ”बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार….सरकार ”? 

पेट्रोल डीजल की कीमतें नई ऊंचाई पर और डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर होने से आर्थिक स्तर पर आम भारतीयों का दम-खम सांसें भरने लगा है, जीवन दुश्वार हो गया है फिर चाहे हम जितनी भी ऊंची डींगें मारते फिरें कि भारत दुनिया की Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

आप सरकार के लिए चुनौती है ‘जनता के द्वार’ योजना 

दिल्ली की ‘आप’ सरकार अब अपनी छवि को चमकाने का प्रयास करती हुई दिखाई दे रही है। अपनी क्षमता एवं दक्षता का उपयोग वह जनता के हित में करने का यदि सोच रही है तो इसे हम राजनीति का एक उजला पृष्ठ कहेंगे। क्योंकि राजनीति वास्तविक अर्थों में जनसेवा ही है। Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

फंड खर्च करने में क्यों विफल हैं सरकारें ?

केन्द्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा समय-समय पर अनेक जटिल समस्याओं के समाधान एवं त्वरित विकास के लिये प्रभावी राशि के फण्ड की व्यवस्था की जाती रही है, लेकिन दुर्भाग्य से इन फण्डों का उपयोग नहीं हो रहा है। सांसद निधि हो या स्टार्टअप के लिये बनाये गये फण्ड की Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

सवाल समता के अधिकारों की तकमील का है 

  हां, सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ की इस व्यवस्था के बाद इस बात के मद्देनजर नयी असंगति उभरने का अंदेशा है कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के आरक्षण की व्यवस्था संविधान निर्माण के समय ही स्वीकार की गई थी और इसके लिए 10 वर्ष का समय भी निर्धारित किया Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

भारतीय लोकतंत्र की सच्ची कहानी को बयान करता बलरामपुर का लेबर अड्डा

– डॉ. चन्द्रेश्वर [ एम एल के कालेज , हिंदी विभाग, एसोशिएट प्रोफेसर /कवि-आलोचक , बलरामपुर , उ. प्र. ] मशहूर है बलरामपुर का लेबर अड्डा | यह शहर के बड़ा पुल चौराहा पर है | यहीं पर आकर इकट्ठा होते हैं, दूर-दराज गाँव -देहात से आने वाले दिहाड़ी लेबर और राजमिस्त्री | इसमें Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

ख़ाक-ए वतन का मुझको हर ज़र्रा देवता है

सच कह दूं ऐ बिरहमन गर तू बुरा ना माने तेरे सनमक़दों के बुत हो गए पुराने अपनों से बैर रखना तूने बुतों से सीखा जंग-ओ-जदल सिखाया वाइज़ को भी ख़ुदा ने तंग आके मैंने आखिर दैर-ओ-हरम को छोड़ा वाइज़ का वाज़ छोड़ा, छोड़े तेरे फ़साने पत्‍थर की मूरतों में Read more…