मेरे पिताजी स्व० श्याम लाल पथरकट की तराई के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में अग्रिम पंक्ति में गणना की जाती है। उन्होंने जिस साहस और पराक्रम का परिचय दिया और भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से आज़ाद कराने में जो क़ुर्बानियां दीं , वे उल्लेखनीय,अतुलित और मेरे लिए सदा गौरव का परचम रही हैं ! आज़ादी के आंदोलन के दौरान उनकी सक्रिय भागीदारी का आलम यह उन्हें हर चीज़ से बढ़कर देश की आज़ादी थी | पिताजी की वीरता और शौर्य से अंग्रेज़ सदा ख़ौफ़ज़दा रहते , इसलिए उन्हें अक्सर जेल में  डाल देते। एक बार जब वे जेल में क़ैद थे , हैज़े के प्रकोप से उनके दो पुत्रों [ मेरे भाइयों ] की असामयिक मृत्यु हो गई। अंग्रेजों ने इन से माफी मांगने के लिए कहा और कहा कि माफी मांगोगे तो छोड़ देंगे, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगा और अपने पुत्रों के अंतिम संस्कार में भी नहीं शामिल हो सके। 1942 में वे लंबे समय तक जेल में रहे, जहां पर इनके आंखों में सिल्वर पेन्ट ( कास्टिक ) डाल दिया गया था। सी बी गुप्ता जो देश की आज़ादी के कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुए, पिताजी  के साथ गोंडा जेल की तन्हाई में थे। उनके हस्तक्षेप से पिताजी की आंख बच पाई। पिताजी अक्सर गोंडा जेल ,बस्ती जेल, फैजाबाद जेल, और लखनऊ जेल में कैद किए जाते थे। गोंडा जेल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पत्थर पर लिस्ट लगी है, उनमें 15 वे नंबर पर श्याम लाल जी का नाम लिखा हुआ है।

पिताजी ने सन 1922 में यह हाई स्कूल पास किया था, लेकिन  अंग्रेज़ों ने जान – बूझकर उनका रिजल्ट बिदहेल्ड कर दिया गया।
इनको भारत सरकार द्वारा ताम्रपत्र दिया गया था,
इनको प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अशोक हाल में बुलाकर उनका सम्मान किया था
गोंडा जेल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पत्थर पर लिस्ट लगी है, उनमें 15 वे नंबर पर श्याम लाल जी का नाम लिखा हुआ है।  यह गोंडा जेल ,बस्ती जेल, फैजाबाद जेल, और लखनऊ जेल में कैद किए गए थे
यह 20 सूत्री कार्यक्रम के उत्तर प्रदेश के सदस्य बनाए गए थे
यह कांग्रेस के जनपद गोंडा की महामंत्री, उपाध्यक्ष व कार्यवाहक अध्यक्ष रह चुके थे
इनको उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अनुसूचित जाति जनजाति विभाग का प्रदेश का चेयरमैन भी बनाया गया था
यह जेल के बिजिटर उत्तर प्रदेश स्तर पर थे आजादी के बाद क्योंकि यह बहुत गरीब थे इसलिए ईश्वर बाबू में इनको जेलर की नौकरी दिलवाई थी लेकिन मुश्किल से 6 महीने नौकरी में रहने के बाद त्यागपत्र देकर घर चले आए थे फिर इनको रेलवे में गार्ड की नौकरी लगवाई गई वह भी छोड़ कर घर चले आए इनको सरकार के द्वारा 3:30 सौ बीघा जमीन दिया गया जिस पर यह खेती करने लगे वर्तमान में जो तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र है वह महाराजगंज तराई क्षेत्र के नाम से विधानसभा था इसमें पिताजी 57 और 62 में चुनाव लड़े थे मात्र 15 वोट से एक बार और दूसरी बार 25 – 26 वोट से चुनाव हार गये थे |


बात 1930 की है जब श्यामलालजी क्रांतिकारियों के साथ थे तो जनपद गोंडा के एक राजा ने क्रांतिकारियों के विरुद्ध कोई बयान दे दिया था क्रांतिकारी इससे बहुत खफा थे चूंकि राजा साहब भी देशभक्त थे इसलिए क्रांतिकारी उनको कोई बड़ी सजा नहीं देना चाहते थे लेकिन उनको अपमानित करना चाहते थे तय हुआ इनको श्याम लाल पत्थर कट के हाथ से किसी सार्वजनिक जगह पर एक थप्पड़ लगवा दिया जाए लेकिन इससे श्यामलाल पत्थर कट के जान जाने का अंदेशा था योजना बनाई गई तय किया गया कि श्यामलाल की सुरक्षा के लिए कुछ साथी इन के आस पास रहेंगे राजा साहब, तरबगंज के किसी मीटिंग में आने वाले थे उस मीटिंग को राजा साहब संबोधित कर रहे थे उसी समय क्रांतिकारियों के साथ श्याम लाल पत्थर कट वहां पहुंच गए और उन राजा साहब को मंच पर चढ़कर एक थप्पड़ जड़ दिया और वहां से तेजी से भागने का प्रयास किया लेकिन भीड़ ने उनको पकड़ लिया और उनकी पिटाई शुरू कर दी कुछ क्रांतिकारी उनकी सुरक्षा के लिए उनके साथ गए थे जिन्होंने उनको बचाने का प्रयास किया तब तक राजा साहब ने मंच से घोषणा किया कि श्यामलाल को कोई मारेगा नहीं वह भी देशभक्त हैं क्रांतिकारी हैं कोई जरूर महत्वपूर्ण बात होगी जिसके वजह से उन्होंने मुझे मारा है उनको छोड़ दे और भीड़ ने उनके आदेश का पालन किया और राजा साहब सीधे श्याम लाल के पास आए और कहां कि मुझसे अगर कोई गलती हो गई हो तो मुझे क्षमा करें और श्यामलाल वहां से चले आए इस हंगामे की रपट लिखी हुई है और पुलिस मुहाफिज खाने से इस हंगामे का ब्यौरा बड़ी मुश्किल से ढूंढ निकाला है राजा साहब अब तो नहीं रहे लेकिन उनकी संतान है बड़े-बड़े पदों पर रही हैं और राजा साहब के संतानों ने आजाद भारत में कभी भी श्याम लाल जी को राजनीतिक रूप से पनपने नहीं दिया नहीं तो उनको 52 में टिकट मिलता और वह प्रांत में मंत्री होते 57 में जब टिकट मिला तब वह परिवार की कई लोगके साथ महाराजगंज तराई में नियमों की तुलसीपुर में बैठकर श्याम लाल को हराने के लिए यहीं बैठ गए उस आपमान को वह परिवार कभी नहीं भूला
बलरामपुर नॉरमल स्कूल के बगल में रेलवे की घूमटी थी श्यामलाल यह समझते थे यह रेल अंग्रेजों की है अंग्रेजों से वह नफरत करते थे शायद क्लास आठवीं में ओ रहे होंगे उन्होंने रेल की पटरियों पर पत्थर बिछाने का काम किया उनकी सोच थी कि शायद इस पत्थर को बिछाने से अंग्रेजों की ट्रेन गिर जाएगी उनको यह पता नहीं था की अंग्रेजों की ट्रेन में हिंदुस्तानी भी बैठ होगे बस उनके समझ में आया की अंग्रेजों की ट्रेन गिर जाएगी तो अंग्रेजों का नुकसान हो जाएगा जब यह कार्य कर रहे थे तो थाने के सिपाही वहां से गुजर रहे थे यह देख कर थाने के सिपाही श्यामलाल को थाने पकड़ ले गए और थानेदार से सारी बात कहा थानेदार ने पूछा कि तुम यह सब क्यों किया मैं अंग्रेजों को इस देश से भगाना चाहता हूं श्याम लाल ने बताया थानेदार बहुत गुस्सा हुआ उसने हुकुम दिया कि इसको दो बेत मारा जाए श्यामलाल को दो बेत मार कर छोड़ दिया गया एलसीसी स्कूल में पढ़ाई के दौरान एक अंग्रेज अधिकारी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे शाम लाल स्कूल केदरवाजे पर पहुंच गए और उन्होंने नारा लगाना शुरू कर दिया अंग्रेजों भारत छोड़ो अंग्रेजों भारत छोड़ो श्यामलाल को प्रथम बार जेल भेज दिया गया और इनका नाम काटा गया श्याम लाल के पिता महावीर प्रसाद ने उनकी जमानत करवाई और प्रिंसिपल जो कि बहुत नेक आदमी थे उनसे बात की तो दोबारा उनका नाम लिखा गया हाई स्कूल की परीक्षा हुई परीक्षा देखकर वह सीधे बाजार चले गए, बाजार में कुछ साथियों सहित अंग्रेजों के खिलाफ नारे लगाने लगे इनके सारे साथी और वह पकड़ लिए गए और उनको गोंडा जेल भेज दिया गया वह जेल में रहे उनका रिजल्ट भी बिधल्ड कर दिया गया जो आज भी अभिलेखों में दर्ज है जेल से निकलने के बाद उनके पिताजी महावीर प्रसाद श्याम लाल का नाम लखनऊ गवर्नमेंट जुबली इंटर कॉलेज लखनऊ में लिखवा दिया गया लेकिन इनका दाखिला हाई स्कूल में पुनः हुआ और इन्होंने अपने हाई स्कूल के रिजल्ट के लिए मुकदमा कर दिया मुकदमा के वकील थे सीबी गुप्ता जो आगे चलकर आजादी के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री बने यह सीबी गुप्ता के संपर्क में आए जो काकोरी कांड के वकील भी थे उन्हीं दिनों काकोरी कांड हुआ था सीबी गुप्ता के नेतृत्व में वह अमीनाबाद चैराहे पर विदेशी कपड़ों की होली जलाते हुए पकड़े गए और जेल चले गए इनका नाम काट दिया गया वह 11वी की परीक्षा नहीं दे सके
जेल में इनका ट्रांसफर गोंडा कर दिया गया और वह गोंडा जेल में रहे यहां से छूटने के बाद यह मौलवी जमा खा के संपर्क में आए और अब यह दिन रात आजादी के लड़ाई के दीवाने हो गए रियासत बलरामपुर ने महावीर प्रसाद को बुलाकर समझाया कि अपने बेटे को समझाओ यह सब न करें घर में श्यामलाल को मार पड़ी और घर केलोगों ने समझाया यह सब ना करो लेकिन श्यामलाल को कहां मांनना था इसका नतीजा हुआ रियासत बलरामपुर में श्याम लाल का घर फूंकवा दिया लेकिन उसके बाद भी श्याम लाल कहां मानने वाले थे और वह हमेशा कोई न कोई काम करके जेल चले जाते थे
इनके पिता नहीं सोचा कि श्याम लाल की शादी करवा दी जाए तो यह घर गृहस्ती में फंस जाएगा और यह सब काम बंद कर देगा शादी हो गई परंतु उसके बाद भी वह आजादी के लिए कुछ ना कुछ करते रहे और जेल जाते रहे
एक ठाकुर साहब जो समय काफी प्रसिद्ध थे वह भगवती गंज में एक माडवारी के घर में चोरी करते हुए पकड़े गए थे पुलिस ने उनको पकड़ कर जेल भेज दिया जेल में जब वह पहुंचे तो वहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने उनको देखा कहां बड़ा गंदा काम करके तुम जेल आये हो तुम्हारा कितना बडानाम है तो वह रोने गाने लगे और सैनानियों से कहा भैया गलती हो गई है हमारी इज्जत बचा लो सेनानियों में बलदेव प्रसाद सैलानी राधेश्याम वर्मा महाशय राम लोटन रामप्यारे तिवारी शंभू दयाल श्रीवास्तव ब्रम्हा दत्त आदि लोग के साथ साथ बलरामपुर के और कई नामी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोग मौजूद थे तब उनको कहा गया कि जब अंग्रेज जेलर जेल की जांच के लिए अंदर आवे तो बेहया का डंडा उसके हिप में डाल देना और जब वह तुम्हें मारने लगे तो तुम यह कहना कि अंग्रेजों भारत छोड़ो अंग्रेजों भारत छोड़ो बाबू साहब ने यही सब किया जेलर आया और उन्होंने उसके हिप मैं बेहया का डंडा डाल दिया अंग्रेज ने उन बाबू साहब की बड़ी पिटाई की उन पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने की भी धारा लगा दी गई अब बाबू साहब चोर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हो गए आगे चलकर आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हुए हमारे पिताजी यह कहानी अक्सर हम बच्चों को बताते रहते थे उन बाबू साहब का नाम भी बताते थे परंतु वह नाम हम यहां नहीं बता सकते उसी समय की बात है श्याम लाल जी बहुत ही मजाकिया व्यक्त हुआ करते थे और वह जेल के अंदर शरारत करते रहते थे अंग्रेज जेलर को यह नहीं पसंद था 1 दिन अंग्रेज जेलर को जेल के अंदर उन्होंने लंगडी मार कर गिरा दिया था जेल्लर बहुत गुस्सा गया था उन दिनों सीबी गुप्ता जो कि लखनऊ जेल से ट्रांसफर करके गोंडा आए थे वह तन्हाई में बंद थे श्याम लाल के इस हरकत से श्यामलाल को मारपीट कर तन्हाई में उन्हीं के साथ कर दिया गया और श्याम लाल जो दिन भर इधर से उधर जेल के अंदर टहलते रहते थे वह बंद हो गया जेलर इतना गुस्सा आ गया था कि उनकी आंख में कास्टिक डाल दिया था श्यामलाल अंधे हो जाए परंतु सीबी गुप्ता से हाई कोर्ट के कई वकील इलाहाबाद से मिलने आए थे सीबी गुप्ता ने उन वकीलों के द्वारा यह शिकायत कलेक्टर के पास भेजवाई कलेक्टर ने तत्काल श्याम लाल का इलाज गोंडा अस्पताल में कराने के बाद सीतापुर आई हॉस्पिटल भेज दिया जिसकी वजह से श्याम लाल जी की आंख बच सकी उस जेलर का स्थानांतरण कर दिया गया और श्याम लाल को फैजाबाद जेल भेज दिया गया वहां से छूटने के बाद पता चला कि बलरामपुर में गांधी जी आने वाले हैं क्योंकि श्याम लाल जी क्रांतिकारियों के साथ रहते थे कोई बड़ी वारदात में इनका नाम तो नहीं आया था लेकिन क्रांतिकारियों का सहयोग किया करते थे मौलवी जमा खा जो अहिंसा के रास्ते पर चलने की बात किया करते थे गांधी जी जब बलरामपुर में आए तो गांधी जी ने ऐसे लोगों को उन्होंने बुलाया जिसमें श्याम लाल जी भी थे और उनको समझाया कि तुम्हें अहिंसा के रास्ते पर चलकर आजादी मिल सकती है इसका बहुत प्रभाव हुआ प्रभाव हुआ और वे कांग्रेस में शामिल हो गए और अहिंसा के रास्ते पर उन्होंने चलने की सौगंध खाई और अंत तक इनके जीवन में गांधीजी का प्रभाव रहा जीवन के अंतिम क्षण तक वह सूत कातते थे और उसको गांधी आश्रम में देकर हमेशा खादी कपड़ा ही पहनते थे, खादी कपड़ा ही घर में आता था और हम सभी बच्चे भी ज्यादातर खद्दर कपड़ा ही पहनने को पाते थे एक व्यक्ति के बारे में और बताएं करते थे कि उस समय मिट्टी का तेल और नमक की बड़ी क्राइसिस की उसमें एक महाशय को जेल हो गई इन महाशय को पुलिस में ज्यादा दिन बंद करने के चक्कर में स्वतंत्रता संग्राम मैं भाग लेने का भी धारा लगा दिया गया और वह व्यापारी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हो गए |

बात करीब सन 1974, 75 की है भगवती गंज का रामलीला बड़ा प्रसिद्ध हुआ करता था यहां के पात्र बलरामपुर के व्यापारी वर्ग के लोग हुआ करते थे जो 3 किलोमीटर चलकर इस रामलीला में विभिन्न पाठ अदा करते थे उनके द्वारा अभिनीत सभी पात्र जीवित जैसे लगते थे मानो राम का अवतार हो गया हो मानो हनुमान जी प्रकट हो गए हो और लोग दूर-दूर से इस रामलीला को देखने आते थे जौनपुर के बाद अगर इस क्षेत्र में कोई रामलीला प्रसिद्ध था तो वह था बलरामपुर के भगवती गंज का रामलीला एक दिन मेरे पिता श्याम लाल जी रामलीला देखने गए तो पात्रों ने उनको जहां पात्र तैयार होते थे वहां बुला कर बैठा लिया और बड़ा सम्मान किया सभी पात्रों ने कहा कि आप आए हमें अच्छा लगा क्योंकि आप प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है किसी ने चाय पिलाई किसी ने मिठाई खिलाई और जब रामलीला खत्म हुआ तो सारे पात्र बैठ गए और सभी ने कहा श्याम लाल जी को रामलीला कमेटी का कोई पद जरूर दिया जाना चाहिए श्याम लाल जी इसके लिए तैयार नहीं थे वह तो रामलीला देखने गए थे रामलीला कमेटी का प्रबंधन अग्रवाल लोगों द्वारा, धर्मादा कमिटी के द्वारा किया जाता है लोगों ने बात किया की श्याम लाल जी को कोई सम्मानित पद दिया जाए तो प्रबंधन कमेटी के मुखिया स्वर्गीय राम अवतार जी अग्रवाल इसके लिए तैयार नहीं हुए की एक दलित व्यक्ति को रामलीला का कोई अच्छा पद दिया जाए उनके गरिमा के आगे कोई व्यक्ति उनके सामने टिक नहीं सकता था इस कारण उनको पद देने में लोगों ने आनाकानी किया लेकिन पात्र सभी अड़े गए उन्होंने कहा कि अगर श्याम लाल जी को पद नहीं दिया जाएगा तो हम लोग रामलीला में भाग नहीं लेंगे अंत में तौय हुआ की पात्र कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाए लेकिन जितने पात्र थे वह इससे बड़ा पद देना चाहते थे और झगड़ा बढ़ गया और अंत में धर्मा दा कमेटी भगवती गंज रामलीला कमेटी भगवती गंज जिसमें अगर वालों का वर्चस्व था वह किसी भी तरह से दलित को पद नहीं देना चाहते थे और झगड़ा के बढ़ जाने पर बलरामपुर के पात्रों में जो करीब 80 90% थे उन्होंने रामलीला कमेटी का बहिष्कार कर दिया और एक नई कमेटी बनाकर जिसका प्रथम अध्यक्ष दलित हो उससे भी श्रेष्ठ कार्यक्रम किया जाए शिव नाट्य कला मंडल बलरामपुर का जन्म हुआ जिस के प्रथम अध्यक्ष श्यामलाल शिल्पकार बनाए गए शिवनाटय कला मंडल का मंचन रमना पार्क में किया जाने लगा इस का जुलूस जो प्रतिवर्ष निकलता है वह देखने योग होता है इन सब बातों से एक बात तो साबित होता है बलरामपुर की प्रबुद्ध जनता ने एक दलित को सम्मान देने के लिए एक युद्ध जैसा करके और दलित को अध्यक्ष बना और साबित कर दिया की दलित भी हिंदू होते हैं और उनका भी सम्मान होता है जो ख्याति भगवती गंज रामलीला की पहले थी वह ख्याति अब नहीं रही, ना अब वही भीड़ रही ना अब वैसे जीवंत पात्र रहे हालांकि नए लोगों ने बहुत मेहनत किया हैऔर प्रयासरत हैं नए लोग अच्छे लोग आए हैं लेकिन वह बात नहीं आ पा रही है अब आसपास में भी सैकड़ों रामलीला शुरू हो गया है जिससे इस रामलीला की भीड़ भी छठ गई है अब ना वैसा विचार रह गया है और ना ऐसी भावना रह गई है अच्छे लोग अच्छी तरह से रामलीला को कर रहे हैं मेरी शुभकामना है की रामलीला अपने पुराने ख्याति को प्राप्त करें और भगवती गंज रामलीला का नाम फिर से रोशन हो जय श्री राम

कृपया टिप्पणी करें