सोच अलग व्यवहार अलग,
ज़ीने का अंदाज अलग
कुछ अलग है हम सब में,
फिर भी एक से दिखतें है
इस दुनिया के बज़ारों में,
अलग अलग दाम में बिकते है
साथी वो ही है साथ वो ही है,
फिर भी रोज़ बात अलग
कभी आँसू तो कभी मुस्कान अलग,
इस अलग अलग के फेर में,
ज़ीने के ज़्ज़बात अलग
वो ही मंदिर है तो वो ही ईश्वर है,
हर रोज़ पूजा का भाव अलग
ध्यान से देखो इस दुनिया में,
जगह – जगह भगवान अलग
घट – घट उसका वास है,
जगह जगह उसका नाम अलग
सबको उसने बनाया है
पर फिर भी हर इंसान अलग ।
– मुंशी प्रेमचंद