पिताश्री का गुलाब अब भी खूब खिलता है मेरे आंगन का लाल गुलाब याद दिलाता है पिताश्री का जो इसके बानी थे और मेरे भी... उस समय मैं…
" शब्द-शब्द " का प्रखर कवि अंतस " मेरी कविता आयास रचित नहीं, अनुभूत होती है, दुःख-सुख, वेदना और संवेदना की प्रसूत होती है, जब जब भी जुल्मोसितम बरपा होता है इंसानियत…
मैं तो था ही ! मैं तो था ही ! .................... अब लोग पूछते हैं क्या कुछ पढ़ा - लिखा है ? क्या बताऊं, मैं उन्हें जो पढ़ा वह लिखा…
हमें गण समाज चाहिए आज गीत बिकते हैं उनका चीर - हरण होता है बेचे जाते हैं सरेराह लिखने से पहले बिक जाते हैं ! बिक जाते हैं गीतकार…
सुन शब्द ! सुन शब्द ! तुम मेरे हो मेरे साथ हो जबसे मैंने जन्म लिया तुम मेरे साथ हो साथ रहोगे जैसा वादा करते रहे हो अपना वचन निभाओगे…
शब्द - शब्द शब्द क्या है ? अंदर का बंधन अनहद नाद दिलों तक पहुंचने का तार रूह को तर - बतर का औज़ार झंकृत करता शब्दकार हक़ीक़त…
बारंबार पढ़े जाएँगे " पढ़े जाते हुए शब्द " " पढ़े जाते हुए शब्द " हिंदी के यशस्वी कवि दिलजीत दिव्यांशु की चयनित कविताओं का संग्रह है, जिसका संपादन किया है वरिष्ठ कवि एवं…
वो तो मेरा नहीं ! वे चकित होकर बोलीं - " वो तो मेरा नहीं मैंने तो जमा किए थे सिर्फ़ पांच सौ रुपए और आप कहते हैं छह सौ…
“त्राहिमाम युगे युगे” सच्चाई से रूबरू कराता एक उपन्यास:-जाने माने पत्रकार,कवि,लेखक,अनुवादक व हिंदी,उर्दू,फ़ारसी भाषाओं के सिद्धहस्त कलमकार श्री रामपाल श्रीवास्तव की न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, दिल्ली से सद्यः प्रकाशित उपन्यास”त्राहिमाम युगे युगे”पढ़ने को मिला।रोचक भाषा शैली Read more…
उपन्यास ‘त्राहिमाम युगे युगे’ को पढ़ने और उस पर पाठकीय प्रतिक्रिया लिखने का अवसर मिला | ‘त्राहिमाम युगे युगे’ एक उपन्यास है जिसे जनपद बलरामपुर में जन्मे श्री रामपाल श्रीवास्तव ने लिखा है । उपन्यास Read more…
कविता क्या है ? यही ना, मनुष्य की असीम उत्कंठा की पूर्ति। गहन अभाव ही इसका बीज-तत्व है। निश्चय ही जब यह अभाव लोकोत्तर रूप ग्रहण कर लेता है, तब कवि अपनी अबोधपूर्वा स्मृति में Read more…