"कहानियों का कारवां" की नितांत पठनीयता वाकई किसी कवि ने कहा था - हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे, कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे । किसी कवि की उक्त पंक्तियाँ उस…
मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता...! .................... मैं सोचता हूं - मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता जो वृक्ष के सदृश है जिसके भूखे अधर लपलपा रहे धरा - स्वेदन…
मैं तो था ही ! मैं तो था ही ! .................... अब लोग पूछते हैं क्या कुछ पढ़ा - लिखा है ? क्या बताऊं, मैं उन्हें जो पढ़ा वह लिखा…
जीवन के विविध पक्षों पर बतियाती कविताएं " शब्द-शब्द " (काव्य संग्रह) प्रकाशक- समदर्शी प्रकाशन रचनाकार--रामपाल श्रीवास्तव 'अनथक ' रामपाल श्रीवास्तव लंबे अर्से से पत्रकारिता के क्षेत्र में जुड़े रहे हैं।उनका व्यापक…
प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है " प्रेम बादल नहीं, आकाश लगता है " - यह पंक्ति है, हिंदी के लब्धप्रतिष्ठ कवि मोहन सपरा की, जिसको उन्होंने " रंगों में रंग …
क्यों लिखी लाला दौलत राय ने यह किताब ? यह पुस्तक सरदार मनजीत सिंह GK ने 2008 में गिफ्ट की थी, जब वे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष थे। इस 240 पृष्ठीय…
21 पुस्तकों की समीक्षा पढ़ने का मतलब आपने 21 पुस्तकों को पढ़ भी लिया और समझ भी लिया यानी मुफ्त में इतनी सारी पुस्तकें पढ़ने को मिल गयीं, ये दूसरी बात है इनमें से 8 Read more…
“त्राहिमाम युगे युगे” सच्चाई से रूबरू कराता एक उपन्यास:-जाने माने पत्रकार,कवि,लेखक,अनुवादक व हिंदी,उर्दू,फ़ारसी भाषाओं के सिद्धहस्त कलमकार श्री रामपाल श्रीवास्तव की न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, दिल्ली से सद्यः प्रकाशित उपन्यास”त्राहिमाम युगे युगे”पढ़ने को मिला।रोचक भाषा शैली Read more…
उपन्यास ‘त्राहिमाम युगे युगे’ को पढ़ने और उस पर पाठकीय प्रतिक्रिया लिखने का अवसर मिला | ‘त्राहिमाम युगे युगे’ एक उपन्यास है जिसे जनपद बलरामपुर में जन्मे श्री रामपाल श्रीवास्तव ने लिखा है । उपन्यास Read more…