महान संत कबीरदास जी के सुपुत्र कमाल जी की रचनाएं बड़ी मुश्किल से मिलती हैं . हाजीपुर [ बिहार ] के मेरे मित्र ऋषि कुमार जी के आग्रह पर मैंने उनकी कुछ रचनाएं प्राप्त की हैं | मैं हार्दिक रूप से आभारी हूँ परम मित्र डॉ. ज्ञान चन्द्र जी का , जिन्होंने डॉ . धनेश्वर प्रभाकर जी से ये रचनाएं प्राप्त कर मेरे पास भेजीं | इन रचनाओं में से एक शेअर जो मुझे सबसे अधिक पसंद आया , आप आदरणीय मित्रों एवं अग्रजों की सेवा में प्रस्तुत करने का लोभ – संवरण नहीं कर पा रहा हूँ ——-
अतिथि लेखक/पत्रकार
“जित देखूं तित लाल” की सुखद अनुभूति
21 पुस्तकों की समीक्षा पढ़ने का मतलब आपने 21 पुस्तकों को पढ़ भी लिया और समझ भी लिया यानी मुफ्त में इतनी सारी पुस्तकें पढ़ने को मिल गयीं, ये दूसरी बात है इनमें से 8 Read more…