महान संत कबीरदास जी के सुपुत्र कमाल जी की रचनाएं बड़ी मुश्किल से मिलती हैं . हाजीपुर [ बिहार ] के मेरे मित्र ऋषि कुमार जी के आग्रह पर मैंने उनकी कुछ रचनाएं प्राप्त की हैं | मैं हार्दिक रूप से आभारी हूँ परम मित्र डॉ. ज्ञान चन्द्र जी का , जिन्होंने डॉ . धनेश्वर प्रभाकर जी से ये रचनाएं प्राप्त कर मेरे पास भेजीं | इन रचनाओं में से एक शेअर जो मुझे सबसे अधिक पसंद आया , आप आदरणीय मित्रों एवं अग्रजों की सेवा में प्रस्तुत करने का लोभ – संवरण नहीं कर पा रहा हूँ ——-
खासमखास
मनोरम कल्पना और हृदयग्राही उपमाओं से सज्जित “प्रकृति के प्रेम पत्र”
संसार में प्रेम ही ऐसा परम तत्व है, जो जीवन का तारणहार है। यही मुक्ति और बाधाओं की गांठें खोलता है और नवजीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। यह अलभ्य एवं अप्राप्य भी नहीं, जगत Read more…