धर्म

सुन शब्द !

सुन शब्द ! तुम मेरे हो मेरे साथ हो जबसे मैंने जन्म लिया तुम मेरे साथ हो साथ रहोगे जैसा वादा करते रहे हो अपना वचन निभाओगे ? सदा के लिए वियुक्त हो जाओगे ? मगर क्या ? मैं जब कवि बनूँगा तब भी मेरा साथ दोगे ? अपना वचन निभाओगे ? Read more…

देश-देशांतर

शिनाख़्त का बहाना 

टेम्स का हरित वर्णी वेस्ट मिनिस्टर ब्रिज गवाह है सदियों का हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की हरित सीटों की भाँति हमारे इनहितात का फिर भी सच है – लंदन में बसता है भारत पाकिस्तान, चीन बाँग्लादेश और जापान भी ‘ मिनी फॉर्म ‘ पेश करते इनके ग़ोशे इनके लघुरूप याद दिलाते Read more…

खासमखास

जो शेष बचेगा !

मैं ‘तुम ‘ हो और तुम ‘ मैं ‘ मैं शरीर, तुम आत्मा बस, यहाँ से जाने के बाद क्या होगा ? मुझे बताकर जाना मैं जानता हूँ कि किसी को पता नहीं फिर भी तुम कुछ न कुछ ज़रूर हो और मैं भी ! जब मेरा मन-मस्तिष्क दूर हो Read more…

धर्म

मानस के दो धुरंधर मुस्लिम प्रेमी सफदर आह सीतापुरी और मुंशी अदालत खां

फिल्मों के लिए ” दिल जलता है, तो जलने दे” समेत 197 गीत लिखने तथा दो फिल्में निर्देशित करने वाले डॉक्टर सफदर आह सीतापुरी ( 28 अगस्त 1903 – 29 जुलाई 1980) के इस पहलू को कम ही जाना जाता है कि वे रामचरित मानस के अगाध प्रेमी और मर्मज्ञ Read more…

सामाजिक सरोकार

हमें गण समाज चाहिए

आज गीत बिकते हैं उनका चीर – हरण होता है बेचे जाते हैं सरेराह लिखने से पहले बिक जाते हैं ! बिक जाते हैं गीतकार गीत लिखने से पहले पेशे का पेशा बदल गई दुनिया कहाँ से कहाँ आ गए हम ? तितलियाँ अब उड़ती नहीं बस, टाँकी जाती हैं Read more…

साहित्य

राम जन्मभूमि के मौलवी

अहमदुल्लाह ” मौलवी ” नाम से मशहूर थे अयोध्या के ” राम ” थे अयोध्या में पैदा हुए किन्तु ” घनश्याम ” थे सावरकर के ” फ़रिश्ता ” थे आज़ादी के ” रावण ” और ” कंस ” के काल थे कंपनी सरकार और रॉयल ब्रिटिश इंडिया के संहारक थे Read more…

खासमखास

राम – प्रेम

हमारा राम – प्रेम अगाध प्रेम भक्ति हमारी शक्ति हमारी आसक्ति हमारी आप आदर्श हैं मर्यादा पुरुषोत्तम हैं करते हैं संहार असत का मिथ्या का तभी तो हुआ रावण – वध आपके कर – कमलों से आप ही का हम अनुसरण किए जाते हैं – मेघनाथ कुंभकर्ण और रावण का Read more…

देश-देशांतर

ओ, ताना रिक्शा ! तू गया, सामंतवाद क्यों नहीं ले गया… अलविदा

लगभग 35 वर्ष पहले जब मैं कोलकाता गया था बीबीसी के एक चुनावी कवरेज ( सर्वे ) का हिस्सा बनने, तब तक यह महाशहर अपने असली वजूद में था। उस वक्त कहा जाता था कि जिसने हाथ रिक्शा नहीं देखा और उस पर सवारी नहीं की, उसने कोलकाता का असली Read more…

देश-देशांतर

गीत जो मर्सिया बन जाता है !

चीन में जब से गिद्ध आए कबूतर नहीं उड़े ! मगर क्यों ? सबकी आंखें बंद हैं सबकी हरकतें बंद हैं उन्हें नहीं सुनाई पड़ती सिसकती आवाज़ें नहीं महसूस होती क्रूर पीड़ा निचुड़ती उम्मीदें बिछड़ती सांसें ! कोई जीवंतता नहीं मगर चंगेज़ ज़िंदा है भेड़ियों के भेष में दाल – Read more…

साहित्य

वंदे मातरम् अंगूठी और छल्ले !

…………………………………. देश को अंग्रेज़ों से मुक्त कराने के लिए जब जनमानस उद्यत हो उठा था, ” वन्दे मातरम् ” की गूंज हर तरफ़ सुनाई देती थी, तभी ऑस्ट्रिया की एक कंपनी ने ” वंदे मातरम् ” अंगूठी और छल्ले की भारत में बिक्री हेतु सप्लाई शुरू कर दी थी। इसको Read more…

साहित्य

दो कविताएं

( 1 ) तारीख़ ……… हर दिन की नई सुबह नई तारीख़ लाती थी नई आशाओं के साथ सुबह होते ही अपना चेहरा दिखाती थी कभी कैलेंडर तो कभी अख़बार में टी वी और रेडियो में सुबह से देर रात तक वही तारीख़ … परत दर परत ….. एक दिन Read more…

खासमखास

वो तो मेरा नहीं !

वे चकित होकर बोलीं – ” वो तो मेरा नहीं मैंने तो जमा किए थे सिर्फ़ पांच सौ रुपए और आप कहते हैं छह सौ दस लो।” बैंक का क्लर्क हुआ परेशान शायद उसने नहीं देखा था ऐसा इन्सान कहने लगा – ” मां जी, ये एक सौ दस रुपए Read more…

देश-देशांतर

हाशिमपुरा – जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी …

दंगे में जो लाश गिरी वो मेरी ही तो थी, हम हिंदू मुस्लिम का बहाना कब तलक बनाते ? – अनथक पूर्व पुलिस अफसर और हिंदी साहित्यकार विभूति नारायण राय की पुस्तक ” हाशिमपुरा 22 मई ” पढ़ने को मिली। इस पुस्तक पर सबसे ऊपर लगभग 36 प्वाइंट में यह Read more…

साहित्य

एक कुष्ठचर्मी, तो दूसरा केशविहीन

जब कुष्ठचर्मी बना श्वेतचर्मी बैठ गया विश्व – सिंहासन पर दुनिया के मशहूर ट्रेड टावर पर  ऊंटों से भरी वादी लिए हांकता है दुनिया को लाल ऊंटों के बल पर झूठे अहं का शिकार होकर यह दुष्टधर्मी ! ….. जब केशविहीन  बना केशअहीन बैठ गया सत्ता -में सिंहासन पर दृष्टिवानों Read more…

धर्म

शब्द श्री 

शब्द श्री ने दर्शन दिए मेरी श्रद्धा – भक्ति से प्रसन्न हुए कहा – मैं चाहता हूं कुछ बताऊं तुमको मैं कौन हूं ? क्या हूं ? जानोगे ? मैं थोड़ा विस्मय में पड़ गया सोचने लगा – भगवान, इस तरह, इस विशेष अंदाज़ में जो कह रहे हैं अवश्य Read more…