खासमखास

अफनासी निकीतीन – भारत आनेवाले पहले रूसी की अजब दास्तान

भारत के प्राचीन काल से ही अन्य देशों से संपर्क रहे हैं। ऐतिहासिक तौर पर , बौद्ध भिक्षु और व्यापारी समुद्रों, रेगिस्तानों और पर्वतों को पारकर आते – जाते रहे हैं। लेकिन रोमांचकारी यात्राओं के विवरण बहुत कम उपलब्ध होते हैं। हमारे देश में रूस से जो पहला पर्यटक भारत Read more…

साहित्य

चलते जाइए, जहां ले जाएं ये हवाएं …..

मैं सूखा पत्ता हूं मेरा व्यवहार इसी के सदृश है! मैं वह पत्ता हूं ज्ञानलोक का जो हवाओं के संग चलता है या शायद मजबूर है चलने को जहां चाहें वे ले जाएं यही खोज है मेरे सत्य की यथार्थ है मेरे जीवन का इसके आगे हर कोशिश व्यर्थ है Read more…

साहित्य

तोड़ दो बंधन [ कविता ] – स्वामी विवेकानंद

विश्वगुरु स्वामी विवेकानंद का अमेरिका प्रवास के समय हेल परिवार से बहुत स्नेहपूर्ण संबंध रहा। हेल दंपत्ति की दो पुत्रियों – मैरी हेल और हैरियट हेल और दो भतीजियों – ईसावेल मैकिंडले और हैरियट मैकिंडले को विश्वगुरु से सगे बड़े भाई सा स्नेहिल प्यार मिला। प्रस्तुत कविता उन्होंने इन्हीं बहनों Read more…

खासमखास

प्रतिबद्ध राष्ट्र निर्माता चाणक्य 

चाणक्य को कौन नहीं जानता? सही अर्थों में ये विश्व के पहले अर्थशास्त्री थे। उनकी पुस्तक ” अर्थशास्त्र ” में सिर्फ़ अर्थशास्त्र नहीं। राजकाज को सही ढंग से कैसे चलाया जाए, इसका पूरा ब्योरा है। इन्हीं के बताए रास्ते पर आज दुनिया के सभी देश चल रहे हैं। अंधाधुंध करारोपण Read more…

खासमखास

पत्रकारिता के काशी असीम भैया 

आज असीम भैया की प्रथम पुण्यतिथि है | 65 वर्ष की अवस्था में वरिष्ठ पत्रकार और लब्धकीर्ति साहित्यकार सत्य प्रकाश असीम का कोरोना के चलते देहरादून में तीन मई 2021 को निधन हो गया था | उन्हें कई वर्षों से पार्किंसन रोग ने जकड़ रखा था और दिल्ली की डॉक्टर Read more…

साहित्य

बच्चन सिंह को जितना मैंने जाना …..

मैं आदरणीय बच्चन सिंह जी का शुरू से प्रशंसक रहा हूँ। वजह साफ़ है। उनका अति सक्रिय होना। वे मौलिक रूप से तो थे पत्रकार , लेकिन साहित्यकार होना उनकी मौलिकता से बाहर न था। वे विभिन्न अखबारों में गुरुतर दायित्व निभाने के साथ ही एक समय ऐसा भी आया Read more…

साहित्य

सुकीर्ति भटनागर का बाल साहित्य 

पटियाला [ पंजाब ] की रहनेवाली सुख्यात कवयित्री कीर्ति भटनागर बाल साहित्य की भी सशक्त हस्ताक्षर हैं | उन्होंने अपनी बाल कविता संग्रह ” अच्छे सब बन जाएं मां” मेरे पास समीक्षार्थ भेजी थी। इसे मैंने पढ़ी आद्योपांत। सभी 37 कविताएं बड़े जतन और मनोयोग से लिखी गई हैं। कवयित्री Read more…

साहित्य

ख़ुशी के पल संजोएं 

[ एक पूर्व मंत्री जी की भार्या और मेरी आदरणीया बहन सुनीता शर्मा जी के आलेख , जो जीवन से उदासी और निराशा के वातावरण को दूर भगाने पर केन्द्रित था , पर मेरी एक फेसबुकी प्रतिक्रिया | यह बात 2011 की है | मेरी इस प्रतिक्रिया के बाद सुनीता Read more…

सामाजिक सरोकार

सच है कभी ‘अनाम मरता नहीं ‘

उस समय के उदीयमान कवि / कहानीकार वीरेंद्र सिंह गूंबर मेरे यहां पधारे। दो पुस्तकें मुझे भेंट स्वरूप दीं, इस आग्रह के साथ कि इनकी समीक्षा लिख दें। मुझे उन्होंने बताया कि इनसे पहले उनकी दो पुस्तकें छप चुकी हैं। 1999 में उनका काव्य संग्रह ‘निमंत्रण’ और 2002 में कहानी Read more…

सामाजिक सरोकार

‘ पिंजर ‘ को स्वस्थ बनाएं  

अमृता प्रीतम साहित्य जगत की चमकता सितारा हैं | मूलतः पंजाबी में लिखने वाली उपन्यासकार हैं | कविताएं भी लिखी हैं और पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री होने का श्रेय प्राप्त किया है | 1919 ई. में वर्तमान पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर में जन्मी इस महान लेखिका की दो सौ Read more…

साहित्य

एक लेखनी : साठ रंग ‘ और ‘ बूँद – बूँद बरसे बदरा ‘

वरिष्ठ कवि , लेखक व सात्विक जीवन के सफल अनुगामी और बहुत ही मधुर एवं सहिष्णु स्वभाव के धनी आदरणीय डाक्टर ज्ञान सिंह ‘ मान ‘ जी [ पीएच . डी , डी . लिट ] की महत कृति – ‘ एक लेखनी : साठ रंग ‘ पूरी पढ़ी | Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

लीक से हटकर ” लालटेनगंज “

” लालटेनगंज ” पढ़ डाली | लीक से थोड़ा हटकर है यह | इसमें अख़लाक़ अहमद ज़ई की 15 कहानियां हैं, जिन्हें वे प्रतिनिधि मानते हैं अर्थात अपनी विभिन्न शैली – शिल्प का अगुआ ! शीर्षक अच्छा है , वरना प्रतिनिधि कहानियों की भीड़ में खोने का ख़तरा और अंदेशा Read more…

साहित्य

प्रदीप मिश्र की ‘भूख’ का यथार्थ 

प्रतिभावान कथाकार प्रदीप मिश्र की चर्चित कहानी ‘भूख ‘ पढ़ने का लोभ – संवरण नहीं कर सका। यह कहानी समाज की सीधी अक्कासी करती है, जो हक़ीक़त पर आधारित अधिक लगती है। अगर ऐसी न होती, तो शायद ही पुरस्कृत होती। वैसे किसी भी समाज में हर जगह एक जैसी Read more…

अतिथि लेखक/पत्रकार

उपनामों की परंपरा हिंदी कवियों में

– अरुण अपेक्षित , इंदौर [ मध्य प्रदेश ]  उपनाम किसी कवि अथवा रचनाकार के नाम का वह हिस्सा है जो सामान्यतः किसी कवि या रचनाकार के द्वारा अपनेआप को कवि प्रदर्शित करने के लिये स्वंय रख लिया जाता है। यह उपनाम कवि या रचनाकार के परिचय में एक प्रतीक Read more…

साहित्य

अब ” जेबकतरा ‘ सामने है….

मैं किसी कृति की समीक्षा नहीं करता। अनजाने में समीक्षा के पुट मिलने भी लगें, तो समझिए कि वह मेरे मन की बात नहीं। इसकी एक बड़ी वजह है । वह है ‘ सारिका ‘ में एक समीक्षक का एक वाक्य, जो मेरे परम स्नेही एवं मित्र विष्णु प्रभाकर जी Read more…