हमारा
राम – प्रेम
अगाध प्रेम
भक्ति हमारी
शक्ति हमारी
आसक्ति हमारी
आप आदर्श हैं
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं
करते हैं संहार
असत का
मिथ्या का
तभी तो हुआ
रावण – वध
आपके कर – कमलों से
आप ही का हम
अनुसरण किए जाते हैं –
मेघनाथ
कुंभकर्ण
और रावण का
पुतला दहन करते हैं
दरअसल
ऐसा कर
हम अपने रावण को मारते हैं
हर कपटाचारी/ मर्यादाहीन / हिंसाचारी/ दुराचारी का
मर्दन करते हैं
त्रिपुर – नाश करते हैं
तारकाक्ष
कमलाक्ष
और
विद्युतन्माली का संहार करते हैं
करवाते हैं
याजूज – माजूज को
क़ैद करते हैं
लोहे की दीवारों में
बांध बनाकर
यह हमारा प्रेम ही है
जो सतत चलता रहता है
सदा छलकता रहता है
आपदाओं को मिटाने में
जन – जीवन को सुधारने में
गरीबों के आंसू पोछने में
जीवन – स्तर उठाने में
अत्याचार हटाने में
प्रेम बरसाने में
सुराज लाने में –
सदैव लहकता रहता है
मगर
क्या सभी ऐसा करते हैं ?
राम को अपने जीवन में धरते हैं ?
– राम पाल श्रीवास्तव ‘ अनथक ‘
( 8 नवंबर 2022 )