trahimam yuge yuge
कृति : त्राहिमाम युगे-युगे
कृतिकार : राम पाल श्रीवास्तव 
संपर्क : 81729 63091
प्रकाशक : न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, दिल्ली
पृष्ठ – 232 मूल्य-425/
समीक्षक : नरेन्द्र कुमार सिंह 
( संपादक “समय सुरभि अनंत” )
मो. 9430902695
 बकौल लेखक राम पाल श्रीवास्तव – उपन्यास जीवन का चित्र है, जिसको फ्रेम में करीने से रचनाकर मढ़ता है, तभी वह मूर्तरूप लेता है । त्राहिमाम युगे युगे, वरिष्ठ पत्रकार लेखक राम पाल जी का एक नवीनतम उपन्यास है, जिसे 16 खंडों में विभक्त कर लेखक ने रोचक ढ़ंग से लिखा है । शीर्षक ” त्राहिमाम युगे युगे” एक विशेष अर्थ रखता है । इस वाक्य का अभिप्राय है ‘ हे ! भगवान मैं परेशान हूँ, हमारी सहायता करो, रक्षा करो ।’ आज देश की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है । धार्मिक उन्माद, अशांति, अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव, उकसावे की राजनीति तथा आर्थिक शोषण से सभी त्रस्त है । इसी से उबकर अपनी रक्षा के निमित्त आमजन अपने आराध्य देव को पुकार रहे हैं । इस मायने से यह तीन शब्दों से बने वाक्य त्राहिमाम युगे युगे बिल्कुल सटीक और सामायिक है । लोगों के जुबान पर ये वाक्य सदा चढ़े रहते हैं ।
राम पाल जी पत्रकारिता, जनसंचार तथा होम्यो चिकित्सा प्रणाली में स्नातकोत्तर की डिग्री ले चुके हैं तथा पत्रकारिता में भी 43 वर्षो का लंबा अनुभव है । उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है तथा अनगिनत सम्मानों से भी नवाजे जा चुके हैं ।
समीक्ष्य पुस्तक त्राहिमाम युगे युगे एक आंचलिक उपन्यास है, जिसमें लेखक ने ग्रामीण परिवेश के विभिन्न मुद्दे यथा नशे की आदत, भूमि विवाद, नारी जीवन की त्रासदी अस्पतालों की बदहाली, सामाजिक व्यवस्था, बढ़ते घूसखोरी, सरकारी योजनाओं की लूट-खसोट आदि पर बेवाक चित्रण किया है । यह चित्रण कहीं संवाद शैली में है, कहीं किस्सागोई में तो कहीं फंतासी शैली में है । उपन्यास की भाषा, शैली विन्यास बिल्कुल ही सरल है । उपन्यास आपको शुरू से अंत तक बाँधे रखने में पूर्ण सक्षम है । उपन्यास के सभी खंडों के अलग-अलग व्यक्ति सूत्रधार के साथ मुख्य पात्र भी हैं ।
कहानी के मुख्य पात्र एक कंपनी के तीन कार्यकर्ता माधव कान्त सिंह (जो संपादक भी है इस प्रकाशन प्रतिष्ठान के) नवीन कुमार जी (स्वयं की भूमिका में) तथा अब्दुल्लाह है । नवीन कुमार और अब्दुल्लाह गाँव का सफर कर वहाँ के लोगों से समस्या को जानने का प्रयास करता है । इसी क्रम में गाँव की छोटी नदी “भुलवा” की चर्चा होती है । ग्रामीणों ने बताया गया है कि कैसे पहले वह नदी थी जो अब नाले में तब्दील हो चुकी फिर उसे दबंगों ने कब्जा कर उसके इतिहास को ही मिटा दिया है। आगे बढ़ने पर नेपाल से सटे गाँव ” खैरमान” की चर्चा आती है । इसी खैरमान गाँव में अब्दुल्लाह और नवीन को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है । काफी जद्दोजहद के बाद नवीन कुमार को पुलिस छोड़ देती है। लेकिन अब्दुल्लाह को आतंकवादी कहकर उसे जेल भेज दिया जाता है । निर्दोष अब्दुल्लाह को बुरी तरह से पुलिस प्रताड़ित करती है । इस प्रताड़ना प्रसंग को आप पढ़ेंगे तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे। इस तरह उपन्यास का क्रम शनैः-शनैः आगे बढ़ता है, जिसमें गाँव की विविध समस्याओं, घटनाक्रमों को छोटे-छोटे कहानियों द्वारा दर्शाया गया है ।
उपन्यास के अंतिम चरण में पुस्तक को प्रथम जॉन योकर पुरस्कार की घोषणा के बाद त्रय लेखक टीम जब जहाज से पुरस्कार लेने अमेरिका जाते हैं, लेकिन बीच ही में जहाज क्रैश हो जाता है । जब यह त्राहिमाम संदेश योकर फाउंडेशन को मिला तो उसके हेड क्वार्टर में कोहराम मच गया की अद्भुत चर्चा उपन्यास में की गई है ।

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