कन्या भ्रूण – हत्या की बढ रही घटनाएँ चिंता का विषय बनी हुई हैं | आज 29 दिसंबर 2018 को यह ख़बर आई कि नई दिल्ली के लोनी बार्डर थानान्तर्गत इंद्रापुरी कॉलोनी में सुबह लगभग साढ़े नौ बजे अधिशासी अभियंता कार्यालय के पास एक नवजात कन्या का शव पुलिस ने बरामद किया है | कुछ वर्ष पहले मैं ऐसी ही एक दारुण घटना का प्रत्यक्षदर्शी रहा हूँ जो मेरे पड़ोस में घटी थी | मैं प्रातवेला [गो धूलि ] में घर से निकला ही था कि सड़क पर नवजात कन्या का शव देखकर सहम उठा | उसकी गर्दन दबाकर हत्या की गयी थी | आज जैसी कड़ाके की ठंड उस वक़्त भी थी | शीत लहर चल रही थी | मेरे क़दम ठिठक गये और मॉर्निग वाक का इरादा त्याग दिया | एक सज्जन की मदद से उस बच्ची का अंतिम संस्कार किया | इस हृदयविदारक घटना से मेरा कवि-मन बहुत गहरे तक मर्माहत हो गया | उस समय उसने इसका जो चित्रण किया था, उसे आप सभी सम्मान्य मित्रों, अग्रजों और शुभचिंतकों से शेयर करना चाहता हूँ | आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी | कविता का शीर्षक है —
जब वह पूछेगी !
सर्दीली हवाएँ
कंटीली -सजीली , चुभती -सी
माँ की ममता जैसी
प्यार -दुलार फटकार-सी
फिर भी बंधी है उसकी मुट्ठी
अब जिसे खोलना है
कर्म – भूमि के पन्ने .
पर ——–
सर्दीली हवाएँ
आज कितनी निष्ठुर हो गयीं हैं !
कहाँ गयी उसकी ममता ?
पलटने नहीं देती
जिंदगी के पन्ने .
कन्या थी
पैदा होते ही
जमा दी गयी
बर्फ -सी बना दी गयी
गला घोंटकर !
—
फिर भी चल रही हैं
सर्दीली हवाएँ
कन्या के शव से
टकराती हुई
गुज़रती हुई
अपनी ममता जगाती हुई
सोचती है
उस दिन क्या होगा ?
क्या जवाब होगा ?
जब कन्या पूछेगी
किस अपराध में
बनाया गया बर्फ उसे ?
वह बोलेगी —
अमुक था …अमुक थी ..
य़े सर्दीली हवाएँ
चलती ही जाती हैं
शबनम के झरते
आंसुओं को समेटती हुई
कल की गवाह
जो हैं ठहरीं !
– राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक ‘