राजनीति जनसेवा के मूल सिद्धांत पर आधारित होती है और राजनेता जनसेवक होता है।राजनीति जितनी गंदी इस समय हो गयी है उतनी गंदी पहले कभी नहीं रही और समय समय पर राजनीति में भी महापुरुष पैदा होते रहे हैं।अपने मृदुभाषी कार्यशैली के दम पर दशकों तक लोगों के दिलों में घुसकर राज करने वाले साँप के साये में गर्भ में पोषित होने और जन्म के समय भी साँप के निकलने के कारण लोग जिसे नारायण कहने लगे थे वहीँ आगे चलकर भारतीय राजनीति का चमकता महकता यादगार सितारा बनकर नारायण से नारायण दत्त तिवारी बन गया।इसे संयोग ही कहा जायेगा कि चमत्कारी व्यक्ति की मृत्यु भी चमत्कारिक ढंग से उसी दिन तारीख में हुयी जिस दिन तारीख में उन्होंने जन्म लिया था। देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले दिग्गज राजनेता एवं औद्योगिक क्रान्ति के जनक पंडित नारायण दत्त तिवारी का निधन दो दिन पहले उनके 93वें जन्मदिन पर हो गया है।उनके निधन से पूरा देश खासतौर पर उनकी कर्म एवं जन्म स्थली यूपी तथा उत्तराखंड शोक में डूबा है। एनडी तिवारी के नाम से प्रचलित नारायण का जन्म गत 18 अक्टूबर1925 में पदमपुरी में पूर्णानंद तिवारी के घर हुआ था।उनकी पहली पत्नी से कोई संतान नहीं पैदा हुई थी लेकिन दूसरी पत्नी से दो पुत्र नारायण एवं रमेश पैदा हुए थे। वह आजादी के पहले अच्छी भली नौकरी करते थे लेकिन महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज आंदोलन से प्रभावित होकर नौकरी छोड़कर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गये थे। नारायण जिस समय गर्भ में पल रहे थे तब उनकी माता को तीन बार साँप ने काटा था इसीलिए उन्होंने नारायण को अपना दूध नहीं पिलाया था और उन्हें लालन पालन के लिये ननिहाल मामी के पास भेज दिया था। जब नारायण आठ साल के थे तभी उनकी माता की मौत हो गयी थी और नाते रिश्तेदारों के सहारे नारायण चमत्कारिक ढंग से पढ़ते हुये इलाहाबाद कैम्ब्रिज स्कूल और वहाँ से नैनीताल पहुंच गये। हाईस्कूल परीक्षा पास करने के बाद वह पुनः अपने घर लौट आये थे और घर पर प्राइवेट परीक्षा देकर इंटर पास करने के नारायण भारत छोड़ो आंदोलन में दीवारों पर अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे लिखने लगे। फलस्वरूप बाप बेटे दोनों को बरतानिया सरकार ने गिरफ्तार करके सेंट्रल जेल में डाल दिया था। वहाँ से छूटकर घर आने के बाद अपने चाचा बच्चीराम से पचास रूपये माँगकर इलाहाबाद आक्सफोर्ड स्कूल में प्रवेश लेने के उद्देश्य से चले आये थे। नारायण को कई महीनों तक वह आनंद भवन के रसोइया एवं चौकीदार तुलसी के साथ रहना पड़ा और बदले में उनके बेटे को ट्यूशन पढ़ाना पड़ा। यहाँ पर परास्नातक एवं एल एल बी करने के बाद वह पहली बार वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए लेकिन बाद में पिता के कहने पर वापस गाँव लौट आये थे। गाँव लौटने से पहले उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही नारायण जवाहरलाल नेहरू से लेकर महात्मा गांधी तक से मिल चुके थे।इसके बाद उनका जुड़ाव आर्चाय नरेन्द्र देव से हो गया और वह काफी समय तक श्रमिक संगठनों की अगुवाई की। इतना ही नहीं 1950-51 में नारायण दत्त ने एक किलोमीटर सड़क का नैनीताल से खुटानी तक निर्माण भी श्रमदान से करवाया था।1952 में पंडित नारायणदत्त तिवारी पहली बार आजाद भारत के पहले संयुक्त प्रांत के सबसे कम उम्र के विधायक चुने गए थे और 1956 में उनकी शादी डा० सुशीला सनवाल के साथ हुयी थी। 1957 में दूसरी बार हुये चुनाव में वह पुनः समाजवादी पार्टी से विधायक बन गये थे। चमत्कारी संघर्षशील जनसेवक आजादी के मतवाले तिवारी जी का व्यक्तित्व ही था कि जिस वर्ग के लोग उनसे मिलते थे उनके मुरीद हो जाते थे।उनका व्यक्तित्व ही था कि उन्हें पहली बार1959 में यूरोपीय देशों की यात्रा पर भेजा गया तथा 1960 में उन्हें यूपी विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष बना दिये गये। 1962 के बाद वह समाजवादियों में फूट पड़ते देख कांग्रेस में शामिल हो गये थे और चुनाव हार गये थे लेकिन1967 में पुनः विधायक बन गये थे।1969 में पहली चन्द्रभानु गुप्त मंत्रिमंडल में पहली बार नियोजन मंत्री बने थे और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी लोकप्रियता का कारवाँ बुलंदियों को छूता रहा। दुर्गा कहीं जाने वाली इंदिरा गांधी नारायण पर बहुत विश्वास करती थी और पहली बार 1976 उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था। एनडी तिवारी जी ने मुख्यमंत्री रहते यूपी के विकास को नई दशा-दिशा दी और यूपी में नोएडा बसाने की कल्पना उन्होंने ने ही की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर अग्रसर किया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वह औद्योगिक क्रान्ति के जनक एवं विकास पुरूष थे।इसके बाद श्री तिवारी जी केंद्रीय लोक लेखा समिति के पहले चेयरमैन बने। उन्होंने शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार को बढ़ावा दिया। उन्होंने पूर्व केन्द्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व राज्यपाल का पदभार बहुत ही संजीदगी से सम्भाला। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के विकास में एनडी तिवारी का अहम योगदान रहा। एनडी तिवारी ने नोएडा ही नहीं यूपी के कई इलाकों में औद्योगिक क्षेत्र बसाए, जिससे प्रदेश को तरक्की की राह मिली। एनडी तिवारी देश के अकेले ऐसे नेता रहे, जिन्हें दो प्रदेशों के मुख्यमंत्री रहने का गौरव प्राप्त है। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। हम ऐसे महान राजनैतिक महापुरूष की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से कामना करते हैं।

-भोलानाथ मिश्र

वरिष्ठ पत्रकार/ समाजसेवी

रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यूपी

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