प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले दिनों की इसराईल यात्रा ने विदेश नीति के जानकारों और राजनीतिक प्रेक्षकों के लिए कई अहम सवाल छोड़े हैं , जिनमें खास यह भी है कि क्या भारत अब पंचशील और गुट निरपेक्षता की नीति पर न चल कर अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा ? और क्या इस दिशा में आगे बढ़कर मुस्लिम देशों की अनदेखी करेगा ? यदि ऐसा होगा , तो निश्चय ही देश की गौरवशाली परंपरा की शुरुआत होगी | यही राष्ट्रवाद , मर्यादा , नैतिकता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की सही बहाली का दौर होगा | वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसराईल यात्रा सिर्फ और सिर्फ विश्व शांति के लिए है |

यह जो आरोप लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी तीन दिनों तक इसराईल में रहे , मगर चंद क़दम आगे बढ़कर फिलिस्तीन नहीं जा सके | जबकि भारत – फिलिस्तीन के संबंध बहुत पुराने हैं , इसराईल से तो बहुत पुराने ! इन आरोपों में कोई दम नहीं है | रस्मी रिश्तों से हमेशा परेशानियाँ बढ़ी हैं एवं देश का मान – सम्मान और गौरव घटा है |

अभी इसी वर्ष मई में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास भारत दौरे पर आये थे | उनकी काफ़ी आवभगत भी की गई थी | इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने फिलिस्तीनी मुद्दे पर भारत के राजनीतिक समर्थन को दोहराया था और कई समझौते हुए थे | नरेंद्र मोदी के इसराईल दौरे के दूसरे दिन दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए। दोनों देशों के बीच कृषि, विज्ञानं व तकनीक, अन्तरिक्ष और जल प्रबंधन जैसे अहम क्षेत्रों में कुल 7 समझौते हुए। नेतन्याहू और मोदी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दोनों देशों की प्रगाढ़ता और दोस्ती का एक बार फिर जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में नेतन्याहू और उनके परिवार को भारत आने का न्योता दिया, जिसे इसराईली प्रधानमंत्री ने तत्काल स्वीकार कर लिया। इसराईल ने उत्तर प्रदेश में गंगा की सफाई और जल प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग देने को लेकर समझौता किया है। दोनों नेताओं ने आतंक के खिलाफ लड़ाई को एक साथ मिलकर लड़ने का भी फैसला किया है। मोदी की इस यात्रा में भारत और इसराईल के बीच न केवल द्विपक्षीय संबंधों को लेकर समझौते हुए, बल्कि वैश्विक समस्याओं और जरूरतों पर भी बात की गई। इसराईल ने भारत के साथ मिलकर तीसरी दुनिया के देशों खासकर अफ्रीकी लोगों के लिए काम करने की इच्छा जताई। दोनों देशों में ये सात समझौते हुए -1- 40 मिलियन डॉलर के भारत-इसराईल इंडस्ट्रियल शोध – अनुसन्धान और टेक्नॉलॉजिकल इनवेशन फंड के लिए एमओयू। 2- भारत में जल संरक्षण के लिए एमओयू। 3.भारत-इसराईल डिवलपमेंट कॉर्पोरेशन- कृषि के लिए 3 साल के कार्यक्रम (2018-2020) की घोषणा। 4. भारत के राज्यों को पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए समझौता | 5- इसरो और इसराईल के बीच परमाणु घड़ी के लिए सहयोग की योजना। 6- जीईओ-एलईओ ऑप्टिकल लिंक के लिए एमओयू। 7- छोटे सैटलाइट्स को बिजली के लिए एमओयू। भारत ने अभी कुछ ही सप्ताह पहले फिलिस्तीन के विकास हेतु कुछ समझौते किये थे , जिसमें भारतीय मदद ही थी |

प्रधानमंत्री मोदी फिलस्तीन ही नहीं सीरिया , जार्डन , मिस्र , लेबनान भी नहीं गए | इस देशों की सीमाएं इसराईल से लगती हैं | इसराईल का लगभग इन सभी देशों से विवाद है , लेकिन फिलीस्तीन से उसकी दुश्‍मनी जगजाहिर है, जिसके चलते अक्सर इनके बीच जंग के हालात बने रहते हैं। इसकी वजह दोनों के बीच सीमा विवाद रहा है, जो कि इजराईल उदय होने के साथ से ही है। 30 नवंबर 1947 में यहूदियों और अरबों विवाद का मुद्दा बने इलाके के बंटवारे को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र ने अपनी सहमति दी थी। इसके बाद ही इसराईल अस्तित्‍व में आया था , हालाँकि यह देश अरबों की भूमि पर जबरन क़ब्ज़ा करके एक लंबी साज़िश करके बनाया गया था |

अतः अरब देशों का इसराईल के साथ घमासान भी हुआ | इसके बाद भी इसराईल ने फिलिस्तीनी भूभाग के पश्चिमी किनारे और गज्ज़ा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। यही गज्ज़ा पट्टी इजराईल और फिलिस्तीन के बीच दुश्मनी का बड़ी वजह बनी हुई है। इस विवाद के चलते इजराईल ने सीमा पर दीवार बनाई है | कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी विदेश यात्राओं को लेकर हमला बोला और कहा है कि इनसे भारत को ‘ थोड़ा सा भी’ ‘ फायदा नहीं हुआ है। पार्टी ने कहा कि केवल समय ही बताएगा कि प्रधानमंत्री की इसराईल यात्रा से क्या लाभ हुआ है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने दावा किया कि ‘ ‘तीन साल से अधिक समय में 64 यात्राएं ‘ ‘ देश के लिए ठोस लाभ सुनिश्चित करने की जगह ‘ ‘टीवी शो ‘ ‘ के जरिए घरेलू भारतीय दर्शकों तक ही केंद्रित रही हैं। उल्लेखनीय है की पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव ने 1992 में इसराईल के साथ विधिवत राजनयिक संबंध क़ायम किए थे और दिल्ली में इसराईली दूतावास खोलने की मंज़ूरी दी थी | नैतिकता और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का यह तक़ाज़ा है कि विश्वशांति की स्थापना हर कीमत पर हो | – Dr RP Srivastava

 

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