70 साल पहले आज़ाद हुआ भारत अब भी गरीबी , अशिक्षा , स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों और अन्यान्य गंभीर समस्याओं का शिकार है | वर्तमान मोदी सरकार ने तीन साल से अधिक समय पूर्व देशवासियों को नये भारत का सपना दिखाया था , जिसके कारण उम्मीद यह हो चली थी कि कुछ महीने बाद हम सही अर्थों में नव – निर्माण की ओर बढ़ना प्रारंभ कर देंगे | उम्मीद थी कि इस प्रकार गंभीर समस्याओं से कुछ न कुछ आज़ादी मिलनी शुरू हो जाएगी , लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो सका है | हाँ , मोदी सरकार ने गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाली ग्रामीण महिलाओं के लिए मुफ़्त रसोई गैस पहुँचाने की जो कोशिश की , वह भी भ्रष्टाचार के हत्थे चढ़ गई | जो सूचनाएं मिलीं और मिल रही हैं , उनके अनुसार बिना रिश्वत के किसी को भी गैस सिलिन्डर नहीं दिया गया और न ही वर्तमान में दिया जा रहा है | विदेशों से तो काला धन आने से रहा , स्वदेश में हुई नोटबंदी ने ख़ास कर गरीब जनता के लिए मुसीबतें खड़ी कर दीं |
इससे सरकार को कितना और किस – किस प्रकार का लाभ हुआ , सब ठीक – ठीक से सामने नहीं आ सका है | जो आंकड़ा सामने आया है , उसके अनुसार , रिज़र्व बैंक ने केंद्र सरकार को जून 2017 को समाप्त वित्त वर्ष में 30659 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में देने की घोषणा की है , जो पिछले वित्त वर्ष के मुक़ाबले लगभग आधा है | विगत वित्त वर्ष में रिज़र्व बैंक ने 65876 करोड़ रुपये दिए थे | मतलब यह हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है | आर्थिक विकास दर के प्रति भी अधिकांश अर्थशास्त्री आशान्वित नहीं हैं |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से इस बार भी नये भारत का सपना दिखाया | स्वच्छता , बालिका – महिला सशक्तीकरण की पर्याप्त ध्यान देने के साथ ही कम से कम दस साल के लिए जाति – धर्म के झगड़े भुला देने का आह्वान किया | उल्लेखनीय है कि श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ ही समय बाद देशभर में सफ़ाई – सुथराई के लिए अभियान छेड़ने के साथ ही देशवासियों से 0 . 5 प्रतिशत स्वच्छता कर वसूला था , लेकिन इसका सदुपयोग होते नहीं दिख सका | शहर – कस्बे गंदे के गंदे रहे | गंदगी हटाने के लिए किसी को जवाबदेह नहीं बनाया जा सका !
अब तो देश में जी एस टी लागू है , अतः किसी मुद्दे पर विशेष ध्यान देने के लिए किसी अन्य उगाही की बात कम ही सोची जा रही है | कहा जा रहा है कि अब एक ही कर लगेगा , मगर सच में ऐसा ही होगा ? जानने – देखने का विषय रहेगा | वैसे जी एस टी ने महंगाई में वृद्धि कर दी है , लेकिन राजस्व को भी बढ़ाया है , मगर क्या राजकाज जनता के पैसों से ही चलेगा और सरकार अपने हाथों से आमदनी बढ़ाने का कार्य नहीं कराएगी | सरकारी उपक्रमों पर पूंजीवाद की कुदृष्टि लगी हुई है | सरकार भी हर चीज़ का निजीकरण कर ही देना चाहती है !
नया भारत बनना चाहिए और ज़रूर बनना चाहिए | इसके लिए जाति – धर्म के झगड़े तो बंद ही करने होंगे , ” हेट क्राइम ” से दूरी बनानी  होगी , संकीर्णता , पक्षपात त्यागकर सबको गले लगाना होगा , जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि ” कश्मीर समस्या का समाधान न गाली से होगा न गोली से , बल्कि हर कश्मीरी को गले लगाने से होगा |” यह बात सभी देशवासियों के साथ लागू होती है |- Dr RP Srivastava

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