आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इस समय हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं क्योंकि इन चुनाव के परिणामों से मतदाताओं के रुख़ को जाना जा सकता है। इन चुनावी राज्यों में तीन राज्यों छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के चुनावों की ओर सभी की निगाहें लगी है और तीनों राज्यों में भाजपा की अगुआई वाली सरकारें हैं। इतना ही नहीं तीनों राज्य नक्सलवाद प्रभावित है और तीनों की राजनैतिक स्थिति कमोवेश एक जैसी है। तीनों राज्यों में भाजपा एवं काग्रेंस के साथ साथ सपा बसपा भी चुनावी महाभारत में भूमिका निभा रही है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी जहाँ अपने वजूद को स्थापित करने के लिए जी जान से हाथ पैर धोकर इधर अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा पर तबाड़तोड़ हमले बोल रहे हैं और प्रधानमंत्री को चोर तक साबित करने में लगे हैं। राहुल गांधी भले ही अपने साथ कांग्रेस की छवि सुधारने के लिए अपनी पार्टी का राजनैतिक परिदृश्य बदलने में लगे हैं, लेकिन उनके सहयोगियों के मनमाने बयान उनके अभियान में बाधक बन रहे हैं। इसी बीच मध्यप्रदेश के नेता कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हो रहा है जो राहुल गांधी के अमरनाथ आदि हिन्दू धर्म से स्थानों पर जाकर माथा टेकने पर पानी फेरने एवं चुनावी परिदृश्य पर विपरीत प्रभाव डालने जैसा माना जा रहा है। काग्रेंस के कुछ जिम्मेदार नेता ही अनाप – शनाप बोलकर कांग्रेस के सामने मुसीबत खड़ी कर देते हैं वरना जिस सिद्दत के साथ राहुल गांधी जी कांग्रेस को गति प्रदान कर रहे हैं उससे बदलते राजनैतिक परिदृश्य के चलते तीनों राज्यों का चुनावी परिदृश्य भी बदलते नजर आने लगे हैं और पिछले पन्द्रह वर्षों से सत्तासीन भाजपा को अपने साम्राज्य को बचाने में ऐड़ी – चोटी की ताक़त लगानी पड़ी रही है। राजस्थान में पिछले पांच सालों से भाजपा सत्ता में है लेकिन वहाँ पर हर बार सरकार बदलते रहने की परम्परा रही है और अगर वह परम्परा यथावत बनी रही तो राजस्थान में सरकार बचाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा है और इतिहास बदल पाना कठिन लगने लगा है।मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ एक ही थैली के दो चट्टें बट्टे हैं और दोनों नक्सलवाद पीड़ित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं जहाँ पर नक्सलवाद अपनी जड़ें जमाये अगल बगल हाथ पैर फैला रहा है।इन नक्सलियों के खिलाफ सरकार ने अभियान चला रखा है और कांग्रेस पर नक्सलियों को संरक्षण देने का आरोप लगाकर चुनावी लाभ लेने का प्रयास कर रही है। नक्सलवाद इन राज्यों चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका ही नहीं निभा रहा है बल्कि चुनावी मुद्दा भी बन गया है। इतना ही नहीं सवर्ण खासतौर पर ठाकुर मतदाता एससी एसटी एक्ट से मतदाता बेहद नाराज है जो चुनावी परिदृश्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।फिलहाल पांच राज्यों के हो रहे विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के भविष्य के निर्धारक माने जा रहे हैं।
–भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी, यूपी