शराबबंदी संघर्ष समिति , उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने ” भारतीय संवाद ” को सूचित किया है कि समिति द्वारा लखनऊ के मुंशी पुलिया चौराहा स्थित शिव कामप्लेक्स में वर्षों से चल रही शराब की दूकान बंद कराने से स्थानीय नागरिक काफ़ी खुश हैं | उन्होंने इसके लिए समिति के अध्यक्ष मुर्तज़ा अली का शुक्रिया अदा किया है | स्थानीय नागरिकों में से संतोष , नितिन जैन , मनीष वर्मा आदि विगत दिनों संघर्ष समिति के कार्यालय आए और मुर्तज़ा अली के साथ ही आर टी आई कार्यकर्त्ता मूसा हसन को गुलदस्ता भेंट किया और शराब की दूकान बंद करवाने के लिए आभार जताया |उत्तर प्रदेश को शराब मुक्त प्रदेश बनाने और शराब की हानियों से जनता को बेदार करने के उद्देश्य से पिछले कई सालों से संघर्ष समिति द्वारा अभियान चलाया जा रहा है , जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं |

ऐसा भी हुआ कि जो काम पुलिस नहीं कर पायी , वह भी संघर्ष समिति के द्वारा संभव हो पाया |मिसाल के तौर पर , लखनऊ के मानस विहार तिराहे के पास शनिदेव मन्दिर के बगल में स्थित गैर क़ानूनी तरीक़े से खोली गयी शराब की दूकान , जिसे गत तीन मई को पुलिस की मौजूदगी में जनता के कड़े विरोध के बाद बंद करा दिया गया था , उसको पुनः 18 मई को सुबह दस बजे खोला गया , तो स्थानीय लोगों ने पुलिस के बजाय संघर्ष समिति को सूचित किया , क्योंकि जनता को आशंका थी कि पुलिस की सक्रिय मिलीभगत के उपरांत इसको खोला गया है | इस समिति के अध्यक्ष मुर्तज़ा अली ने स्थानीय पुलिस चौकी – एस पी टी जी के सी ओ से बात कि , फिर भी दूकान बंद नहीं हुई , जिससे पुलिस – शराब माफ़िया गठजोड़ ज़ाहिर हुआ | जब समिति के सदस्य और स्थानीय अन्य नागरिक वहां एकत्र होने लगे , तो शराब का दूकानदार दूकान बंद करके भाग खड़ा हुआ|

इस घटना से यह भी पता चला कि यदि जनता अच्छे उद्देश्य के लिए एकजुट हो जाए , तो अच्छे नतीजे जरूर आएंगे | अब प्रदेश में शराबबंदी के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है | लोग यही सवाल बार – बार कर रहे हैं कि जब बिहार में शराबबंदी संभव है , तो उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं ? वास्तव में शराबबंदी का संकल्प संविधान के नीति – निर्देशक तत्वों में दर्ज है , मगर शराब के द्वारा होनेवाली आय के मद्देनज़र सरकारें इसे छूती तक नहीं | नीतीश कुमार ने एक ऐसे प्रदेश में इसे संभव कर दिखाया है , जहाँ ऐसा करने की कल्पना तक सही मायने में जीवित नहीं थी | जय प्रकाश नारायण ने इस बारे में सोचा जरूर था , मगर सच्चे समाजवादी भी इस ओर ध्यान नहीं देते थे |

किसी ने सच कहा है कि बिना जनचेतना के इसे साकार नहीं किया जा सकता | उत्तर प्रदेश में इस बाबत आयी जनचेतना अपना रंग दिखा रही है | ऐसे में इसे ठीक से सरकारी समर्थन मिल जाए , तो उद्देश्य की पूर्ति अधिक संभव है | पिछले दिनों इस बात के साफ़ संकेत मिले कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में शराबबंदी का निर्णय ले सकते हैं। उन्होंने राज्य के आबकारी सचिव के साथ एक बैठक भी की है। इस बैठक के बाद आबकारी विभाग सख्त हो गया है। शराब की दुकानों में सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर भी कार्रवाई की जा रही है और जिसमें लगभग दो दर्जन लोगों को हिरासत में लिया गया है। सभी थाना प्रभारियों को सरकार की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि नियमों का उल्लंघन करने वाले शराब ठेकेदारों और दुकानदारों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। वास्तव में शराब के इस्तेमाल के मानव – स्वास्थ्य को हर हाल में नुक़सान ही होता है | शराब की घूंट मुंह में जाते ही दिमाग और शरीर पर बेहद नकारात्मक असर होने लगता है | मुंह में जाते ही शराब को कफ झिल्ली सोख लेती है | घूंट के साथ बाकी शराब सीधे छोटी आंत में जाती है | छोटी आंत भी इसे सोखती है, फिर यह रक्त संचार तंत्र के जरिए लीवर तक पहुंचती है |

इसकी वजह से तंत्रिका तंत्र का केंद्र प्रभावित होता है | अल्कोहल की वजह से न्यूरोट्रांसमीटर अजीब से संदेश भेजने लगते हैं और तंत्रिका तंत्र भ्रमित होने लगता है | इस बात को भी ध्यान में रखने की ज़रूरत है कि मनुष्य का जिस चीज़ के कारण समस्त प्राणियों में विशिष्ट और प्रतिष्ठित एवं केन्द्रीय स्थान दिया गया है, वह वास्तव में उसकी सोचने-समझने और सत्य-असत्य और भले-बुरे में अन्तर करने की क्षमता है । अब यह स्वाभाविक बात है कि जिस चीज़ या काम से मनुष्य की इस क्षमता और योग्यता को आघात पहुंचा हो या उसके पूर्ण रूप से क्रियाशील होने में बाधा उत्पन्न होती हो, उसको मनुष्य का निकृष्टतम शत्रु समझा जाए । शराब चूंकि मस्तिष्क को स्वाभाविक रूप से कार्य करने में रुकावट डालती है और उसकी तर्कशक्ति को शिथिल करके मनुष्य को मानवता से ही वंचित कर देती है, इसलिए इसका सर्वथा त्याग ही मानव के हित में है | – Dr RP Srivastava

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