कहते हैं आतंकी और आतंकवाद की कोई जाति धर्म मजहब नहीं होता है इसीलिए उसे न तो हिन्दू कहा जा सकता है और न ही मुसलमान सिख ईसाई ही कहा जा सकता है। हमारे देश में आजादी के बाद से ही हमारा पड़ोसी प्रायोजित आतंकवाद चलाया जा रहा है और भाड़े के लोगों को आतंकी बनाकर हमारे देश में घुसपैठ कराकर बेगुनाह लोगों को मारकर दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है। इन आतंकियों को भूला भटका नहीं बल्कि पेशेवर माना जा सकता है जो खुद आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठनों में आते हैं और बदले में उनसे भरपूर पैसा लेते हैं जो उन्हें आतंकवाद फैलाने के लिए बुलाते हैं। इन्हें बुलाकर इन्हें मरने के बदले पैसा वह लोग देते हैं जो हमारे देश के दुश्मन हैं और आतंकी इस्लामिक स्टेट संगठन के हिमायती हैं तथा जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते हैं। आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले मजहब के नाम पर दूकान चलाते हैं और मजहब खतरे में बताकर उसकी रक्षा के नाम पर दुनिया भर से चंदा इकठ्ठा करके अपनी दूकान चलाते हैं।इतना ही नहीं आतंकवाद के प्रायोजको ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है और इसे कभी समाप्त नहीं होने देना चाहते हैं। यहीं कारण है कि इन प्रायोजको के यहाँ नये लोगों को भर्ती करके उन्हें प्रशिक्षण देने तथा प्रशिक्षित लोगों की घुसपैठ हमारे देश में कराने का कार्य अनवरत चलता रहता है। जम्मू कश्मीर के नाम पर आतंकी व्यापार हो रहा है और आतंकी प्रशिक्षण के शिविर चलाये जा रहे हैं ताकि आतंकियों को बाहर से किराये पर लाने की बहुत जरूरत न पड़े।इस समय पाकिस्तान एवं काश्मीर में आतंकी नर्सरी तैयार हो रही है क्योंकि सुरक्षा बलों द्वारा जिन्हें भी मारा या पकड़ा जाता है उनमें अधिकांश काश्मीर या पाकिस्तान के रहने वाले होते हैं। इतना ही आतंकी नर्सरी तैयार करने के लिए पाकिस्तान दुनिया में जगजाहिर है क्योंकि दुनिया के किसी भी देश में होने वाली आतंकी घटनाओं में प्रायः पाकिस्तानी मूल के लोग ही मिलते हैं।पाकिस्तान पर आतंकवाद को पालने पोसने एवं संरक्षण देने का आरोप आज से नहीं बल्कि एक लम्बे अरसे से लग रहा और वह खुद भी आतंकी हमलों का शिकार हो रहा है लेकिन उसे अपनी तबाही की नहीं बल्कि हमारी बरबादी की ज्यादा चिंता अधिक रहती है। इसीलिए वहाँ की सरकार सेना और गुप्तचर एजेंसी तीनों मिलकर हमारे देश के खिलाफ आतंकवाद को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। कभी कभी तो आतंकवादियों के साथ वहाँ की सेना भी भारतविरोधी अभियान में शामिल हो जाती है। हालांकि हमारे देश की सेना समय समय पर विशेष सैनिक अभियान चलाकर इन आतंकियों के साथ इनके अड्डों का भी सफाया करती रहती है इसके बावजूद इनकी सक्रियता में कमी नहीं आ रही है बल्कि लगातार आतंकी हमले बढ़ते ही जा रहे हैं।अभी परसों रविवार को आतंकियों ने पंजाब के एक गुरूद्वारे को निशाना बनाया गया जहाँ पर धर्मसभा चल रही थी और ईश्वर के प्यारों को ईश्वर के बारे में बताया जा रहा हूँ।दो नकाबपोश बाइक सवार युवकों द्वारा हैंडग्रेनेड फेंक कर तीन लोगों की मौके पर ही जान ले ली तथा करीब दो दर्जन लोगों को मरणासन्न बना दिया गया है।पंजाब के अमृतसर से मात्र सात किमी दूर राजासांसी में बने निरंकारी भवन में रविवार को घटना के समय सत्संग चल रहा था और सैकडों लोग उसमें शामिल थे।यह हमला अचानक नहीं बल्कि पहले से रची गई साजिश एवं हमले की रूपरेखा के तहत किया गया लगता है क्योंकि हमारी गुप्तचर एजेंसियों ने चार दिन पहले गुरुवार को ही आतंकियों के राज्य में घुसने की सूचना देकर अलर्ट कर दिया था। पंजाब सरकार एवं पुलिस ने अगर इस सूचना को गंभीरता से लिया होता तो शायद घटना को टाला जा सकता था।इस घटना को पंजाब पुलिस एवं खुफिया एजेंसियों की विफलता माना जा सकता है। इसे धार्मिक सभा का सौभाग्य और ईश्वर की कृपा ही कहा जायेगा कि इसमें मौके पर सिर्फ तीन लोगों की जान गई और दो दर्जन के आसपास लोग ही घायल हुये। यह छोटा नहीं बड़ा हमला था लेकिन ईश्वर के आगे किसी का हमला नहीं चल पाता है क्योंकि बम सभा में वहाँ आकर गिरे जहाँ पर प्रवचन देने वाले और उनके आसपास तमाम श्रोता भक्त लोग बैठे थे। जहाँ पर हमला हुआ है यह स्थान अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से मात्र बीस किलोमीटर दूर पड़ता है और इसी रास्ते जैस मोहम्मद के आतंकियों के घुसपैठ की सूचना मिली है।लगता है कि आतंकियों ने अलग अलग टीम बना कर अलग अलग दिशा में व्यापक तबाही मचाने का लक्ष्य लेकर बाइकों से निकल पड़े हैं।पंजाब में आतंकियों की घुसपैठ चिंता का विषय है क्योंकि आतंकी कभी भी कही भी हमला करके दहशत फैला सकते हैं। इसीलिए पंजाब सरकार के साथ सुरक्षा एवं गुप्तचर एजेंसियों का दायित्व बनता है कि वह जल्द से जल्द राज्य में घुसे आतंकियों को पकड़कर लोगों के दिलों में व्याप्त भय को समाप्त करें।धर्म स्थल पर बैठे धार्मिक चर्चा कर रहे ईश्वर भक्तों पर आतंकियों द्वारा किया गया हमला सिद्ध करता है कि आतंकियों का ईश्वर पर विश्वास नहीं है।वैसे इधर हमारी सेना जम्मू कश्मीर एवं सीमा पर आतंकियों के खिलाफ सफाई अभियान चला रही है और अभी दो दिन पहले कुपवाड़ा जिले में दो आतंकियों को मारा जा चुका है।सेना एवं सीमा सुरक्षा बलों की कड़ी निगहबानी के बावजूद फायरिंग की आड़ में हो रही घुसपैठ का बंद न हो पाना चिंता की बात है।
. –भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी، यूपी