खुद से मौत को गले लगाना बनाम पुलिस की गोली खाना जिनकी किस्मत है ?
मंदसौर [ मध्य प्रदेश ] आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में हुई मौत पर पूरे देश के किसान आक्रोशित हैं | प्रबुद्ध जनों में भी तीखी प्रतिक्रिया है |
किसानों की समस्याओं पर लिखनेवाले मशहूर पत्रकार पी साईनाथ ने कहा है कि आज हालत यह हो गई ही कि किसान अपने ही खेतों में मज़दूर की तरह हो गए हैं जो कॉर्पोरेट के फ़ायदे के लिए काम कर रहे हैं | उनका यह भी मानना है कि कृषि की लागत बढ़ रही है और सरकार अपनी ज़िम्मेदारियों से बच रही है | साईनाथ ने कहाकि “कृषि को किसानों के लिए घाटे का सौदा बनाया जा रहा है ताकि किसान खेतीबाड़ी छोड़ दें और फिर कृषि कॉर्पोरेट के लिए बेतहाशा फ़ायदे का सौदा हो जाए l ”

आम आदमी पार्टी (आप) नेता कुमार विश्वास ने ट्वीट कर लिखा है, ‘ भगवान का सौदा करता है, इंसान की क़ीमत क्या जाने? जो ‘धान’ की क़ीमत दे न सका, वो ‘जान’ की कीमत क्या जाने?’ इससे पहले कुमार विश्वास ने ट्वीट कर कहा था, ‘तीन नहीं 70 साल कहिए | 60 वर्ष कांग्रेस ने किसान के साथ जो किया उससे बुरा पिछले सालों में हुआ | सत्ता किसान का शोषण करती है विपक्ष उसकी भावनाओं का |’

ऐसे ही कई प्रतिक्रियाएं सामने आ चुकी हैं | दूसरी ओर किसान आन्दोलन और किसानों द्वारा की जा ख़ुदकुशी की घटनाएं दोनों जारी हैं | 6 मई 2017 को किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में छह किसानों के मारे जाने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में कई घोषणाएं करने के बावजूद मध्य प्रदेश में नौ किसानों ने खुदकुशी की। इन किसानों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के रेहटी पुलिस थाना क्षेत्र के जानना गांव का किसान दुलचंद कीर [ 55 वर्ष ] और होशंगाबाद जिले के भैरोपुर गांव का रहने वाला किसान कृपाराम [ 68 वर्ष ] शामिल है। इनके अलावा जमीन के सीमांकन विवाद में जहर खाकर खुदकुशी करने वाला विदिशा जिले का किसान हरि सिंह जाटव [ 40 वर्ष ] भी शामिल है, जिसकी भोपाल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी |

सीहोर जिले का दुलचंद छह लाख रुपये के कर्ज से परेशान था और उसने जहर खाकर ख़ुदकुशी कर ली थी। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इन घटनाओं को क़र्ज़ से जोड़कर न देखने की बात कही है | जबकि सच्चाई यह है कि ख़ुदकुशी की घटनाओं में क़र्ज़ चुकता करने में असमर्थता का बड़ा हाथ है | इसी वजह से उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में किसानों के लिए कर्ज़माफ़ी का ऐलान किया गया है | महाराष्ट्र के किसान यह भी चाहते थे कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू की जायें , लेकिन उनकी यह मांग नहीं मानी गई | किसानों का कहना है कि वे स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करवाने के लिए किसानों के दल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भी जाएंगे | उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर कह चुकी है कि इन सिफ़ारिशों को लागू नहीं किया जा सकता है |

यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था, ताकि किसानों को उनकी फसलों के लाभकारी समर्थन मूल्य दिए जा सकें। यह रिपोर्ट 2007 में केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी। इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है कि किसान की फसल की लागत में उसका 50 पर्सेंट लाभ जोड़कर समर्थन मूल्य तय किया जाए। साथ ही इससे किसानों के लिए घाटे का सौदा बनी खेती से मुनाफा मिल सके।

सत्ता में आने से पहले स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के दावे करने वाली भाजपा सरकार के समक्ष अब मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं , क्योंकि देश के विभिन्न स्थानों के किसान इसे लागू करने की मांग कर रहे हैं | भिवानी [ हरियाणा ] के गांव धनाना में खापों की महापंचायत में खाप प्रतिनिधियों एवं किसान संगठनों ने ऐलान किया कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को अविलंब लागू करे, नहीं तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। वास्तव में किसानों की समस्याएं बहुत हैं , जिनका निदान आवश्यक है , लेकिन यह भी सच है कि यदि इनकी कुछ ही समस्याएं हल कर दी जायें , तो सभी समस्याओं के निदान की ओर अवश्य बढ़ा जा सकता है | – Dr RP Srivastava

 

कृपया टिप्पणी करें

Categories: खबरनामा