कभी गोमांस, गोकुशी तो कभी बच्चा चोरी की अफवाहों व बहानों से जान लेने का जो सिलसिला पिछले कुछ सालों से चल रहा है , उस पर रोक न लगना देश की क़ानून – व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल पैदा करता है | यह भी इन्तिहाई अफ़सोस की बात है कि सरकार इस गंभीर समस्या के ताल्लुक से बेहद लापरवाह दिखती है | उसने कुछ ही सप्ताह पहले इससे निबटने हेतु कानून में बदलाव की बात कही थी, लेकिन इस सिलसिले में भी अभी तक कुछ नहीं किया गया | केंद्र सरकार लिंचिंग को दंडनीय अपराध के तौर पर घोषित करना चाहती है, जिसके लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन भी किया जा सकता है | 22 जुलाई 18 को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मीडिया को बताया था कि एक मॉडल कानून का मसौदा तैयार करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है जिसे राज्य सरकारें भीड़ हत्या की घटनाएं रोकने के लिए अपना सकें। लेकिन अधिकारी ने साथ ही यह कहा कि यह सब कुछ शुरुआती चरण में है, क्योंकि केंद्र को नया कानून बनाने को कहने से पहले सुप्रीमकोर्ट के समूचे आदेश का परीक्षण करने की आवश्यकता है। यदि आईपीसी में संशोधन किया जाता है तो सरकार को भीड़ हत्या पर अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अधिकारी ने कहा कि यदि खुद को निर्दोष साबित करने की ज़िम्मेदारी आरोपी पर डाल दी जाती है, तो सीआरपीसी एवं भारतीय साक्ष्य कानून की कुछ धाराओं में भी संशोधन करने की आवश्यकता होगी। सरकार को इस पर अपना रुख तय करने में कई दिन लग सकते हैं | ऐसा भी लगता है कि सरकार के पास इसको लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है | शायद यही वह कारण है कि इस प्रकार की घटनाएं एक के बाद एक होती जा रही हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है ! देश की राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र , असम , मध्यप्रदेश , गुजरात , बंगाल , उत्तर प्रदेश , छतीसगढ़ , त्रिपुरा के बाद कर्नाटक में भी बच्चा चोर गिरोह की आड़ में कई लोगों की पिछले दिनों हत्याएं कर दी गईं | अभी गत सात सितंबर 18 को बिहार के बेगगूसराय में भीड़ ने तीन लोगों की पीट – पीटकर हत्या कर दी | आरोप है कि मृतक स्कुल से एक 11 वर्षीया लड़की को अगवा करने की कोशिश कर रहे थे | चार सितंबर 18 को राजधानी दिल्ली में घृणा – अपराध सामने आया , जब एक किशोर की चोरी के आरोप में पीट – पीट कर हत्या कर दी गई | उत्तर पश्चिम दिल्ली के भलस्वा डेरी इलाके में मंगलवार तड़के चोरी की नीयत से घुसे नाबालिग की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर तीन भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही किशोर के दो साथियों पर भी चोरी और अनधिकृत तौर पर घर में घुसने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है।
साढ़े सोलह साल का अनस (परिवर्तित नाम) मूल रूप से बिहार के डुमरांव इलाके का रहने वाला था। वह एक महीने पहले अपने चाचा के पास रहने आया था। पुलिस का कहना है कि वह दो साथियों के साथ पड़ोस में रहने वाले राजकिशोर के घर में घुस गया। इसी दौरान परिवार जग गया और किशोर को पकड़ लिया और जमकर पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस का दावा है कि राजकिशोर ने अपने भाइयों नंद किशोर और त्रिवेणी के साथ मिलकर किशोर की पिटाई कर दी। पिटाई करने वालों में पड़ोसी देशराज, संतलाल एवं सोहनलाल भी शामिल रहे। इसके बाद गंभीर हालत में किशोर को घर की बगल वाली गली में फेंक दिया गया। सुबह करीब 6 बजे किसी ने किशोर को गली में पड़े देखा तो पुलिस को सूचना दी। घायल हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज करते हुए तीन आरोपियों – नन्द किशोर , राज किशोर और त्रिवेणी को गिरफ्तार कर लिया है , जबकि तीन अन्य फ़रार हैं | परिजनों ने बताया कि अनस को दिल्ली में पढ़ाई के लिए भेजा था। उसका दिल्ली के सरकारी स्कूल में दाखिला कराने की तैयारी चल रही थी। साथ ही किसी फैक्टरी में उसे काम सीखने को लगवाया गया था। दिल्ली पहले भी ऐसे अपराधों से कलंकित हो चुकी है | इसी वर्ष विगत 13 जुलाई 2018 को बुराड़ी में युवक की चोरी के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी | 12 जनवरी 2018 को बवाना में चोरी के आरोप में युवक को पीट-पीट कर मार डाला गया था। 24 जून 2018 को सब्जी मंडी रेलवे स्टेशन पर युवक की पीटकर हत्या कर दी गई थी | कर्नाटक के बीदर जिले में बच्चा चोरी के शक में विगत 13 जुलाई 18 को चार युवकों पर भीड़ ने हमला बोल दिया जिनमें मुहम्मद आज़म अहमद [ 32 वर्ष ] की घटनास्थल पर ही मौत हो गई | मुहम्मद आज़म गूगल की हैदराबाद शाखा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे | आई टी कंपनी में काम करनेवाले एक शख्स के साथ ऐसी ही एक घटना कुछ समय पहले भी हो चुकी है | लगभग चार वर्ष पहले चार जून 2014 को पुणे [ महाराष्ट्र ] स्थित आई टी कंपनी में काम करनेवाले 28 वर्षीय अधिकारी मुहसिन मुहम्मद सादिक़ शेख की हिन्दू राष्ट्र सेना के तीस – चालीस हिंसकों ने शहर के उन्नति नगर में पीट – पीटकर उस समय हत्या कर दी थी , जब वे नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे | एक फ़ेसबुक पोस्ट को बहाना बनाकर यह हत्या की गई थी , जबकि कहा जाता है कि उससे सादिक शेख का कोई संबंध नहीं था | इस बीच असम के कार्बी आंगलोंग जिले में इस साल जून में भीड़ द्वारा दो लोगों की सनसनीखेज हत्याओं के मामले में असम पुलिस ने गत एक सितंबर 18 को 48 आरोपियों के खिलाफ 844 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों की इच्छा के अनुरूप इस बर्बर कृत्य के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने की घोषणा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सख्ती का रुख अपनाया है | सुप्रीम कोर्ट ने विगत सात सितंबर 18 को देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ताकीद की है कि वे भीड़ की हिंसा पर कोर्ट के पूर्व आदेशों का पालन करें | कोर्ट ने 17 जुलाई 2018 को संसद से कहा था कि भीड़ द्वारा लोगों की पीट-पीटकर हत्या करने की घटनाओं से प्रभावी तरीक़े से निबटने के लिए एक विशिष्ट कानून बनाए , जिसमें सख्त सजा का प्रावधान हो, ताकि ऐसे अपराधियों में कानून का डर पैदा हो। अदालत ने केंद्र को भी कड़े दिशा-निर्देश जारी किए। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, ए एम खानविलकर और डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कथित गोरक्षकों द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने के लिए सख्त प्रावधान करने के निर्देश दिए। पीठ ने कहा, नागरिक कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते। भीड़तंत्र की इन खतरनाक गतिविधियों को नया सामान्य चलन नहीं बनने दिया जा सकता। अदालत ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का काम है। राज्य ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अशांति और अराजकता के माहौल में राज्य को जिम्मेदारी से कार्रवाई करनी चाहिए | पीठ ने कहा कि जब भी कोई समूह किसी विचार के साथ कानून को अपने हाथों में लेता है तो इससे अराजकता, अशांति और अव्यवस्था पैदा होती है तथा हिंसक समाज का जन्म होता है। ऐसा होने से रोकना होगा।
Dr RP Srivastava, Editor – in – Chief , ”Bharatiya Sanvad”