खासमखास

“अवतारवाद – एक नई दृष्टि” का सफल मंतव्य 

अवतारवाद पर  राम पाल श्रीवास्तव जी की किताब “अवतारवाद एक नई दृष्टि ” सच में एक नई दृष्टि लेकर हमारे सामने आई है। किताब को मैंने दो बार पढ़ा। किताब में बहुत से नए पहलुओं के बारे में बात की गई है। इसके लिए बात करने से पहले अध्ययन बहुत Read more…

खासमखास

अवतारवाद की अवधारणा

इस समय देश में धर्म पर बात करना जोखिम भरा काम है। अध्यात्म की बातें करना उस समय और भी दुरूह हो जाता है जब सहमति – असहमति के बीच हो रही हो। धर्म अनपढ़ अथवा कम पढ़े – लिखे लोगों के दरम्यान अंधविश्वासों के बीच झूल रहा है, तो Read more…

खासमखास

” शब्द – शब्द ” का रेशा – रेशा भेदने में सफलता 

राम पाल श्रीवास्तव जी का “शब्द-शब्द” काव्य संग्रह जैसे ही खोला तो पाया कवि ने सबसे पहले तो देश के विभिन्न प्रांतों के कवियों की खूबसूरत कविताओं के साथ और उनकी भरपूर जानकारी के साथ एक कोलाज बना दिया है। पहला शब्द आपको अपने मोहपाश में बांध लेता है। फिर Read more…

धर्म

इंसानियत के फूल 

इंसानियत वह फूल है, जिसकी ख़ुशबू पूरी दुनिया में फैलती है। यह एक नायाब तोहफ़ा है, बहुत ख़ूबसूरत बेमिसाल अज़ीम जज़्बा है। इंसानियत की कोई नस्ल, ज़ुबान और जाति नहीं होती। इसका रिश्ता इंसान की निजी ज़िन्दगी और किरदार की तामीर से है। अफ़सोस, आज इंसानियत दम तोड़ती नज़र आ Read more…

धर्म

सुन शब्द !

सुन शब्द ! तुम मेरे हो मेरे साथ हो जबसे मैंने जन्म लिया तुम मेरे साथ हो साथ रहोगे जैसा वादा करते रहे हो अपना वचन निभाओगे ? सदा के लिए वियुक्त हो जाओगे ? मगर क्या ? मैं जब कवि बनूँगा तब भी मेरा साथ दोगे ? अपना वचन निभाओगे ? Read more…

धर्म

मानस के दो धुरंधर मुस्लिम प्रेमी सफदर आह सीतापुरी और मुंशी अदालत खां

फिल्मों के लिए ” दिल जलता है, तो जलने दे” समेत 197 गीत लिखने तथा दो फिल्में निर्देशित करने वाले डॉक्टर सफदर आह सीतापुरी ( 28 अगस्त 1903 – 29 जुलाई 1980) के इस पहलू को कम ही जाना जाता है कि वे रामचरित मानस के अगाध प्रेमी और मर्मज्ञ Read more…

धर्म

शब्द श्री 

शब्द श्री ने दर्शन दिए मेरी श्रद्धा – भक्ति से प्रसन्न हुए कहा – मैं चाहता हूं कुछ बताऊं तुमको मैं कौन हूं ? क्या हूं ? जानोगे ? मैं थोड़ा विस्मय में पड़ गया सोचने लगा – भगवान, इस तरह, इस विशेष अंदाज़ में जो कह रहे हैं अवश्य Read more…

धर्म

पिताश्री का गुलाब

अब भी खूब खिलता है मेरे आंगन का लाल गुलाब याद दिलाता है पिताश्री का जो इसके बानी थे और मेरे भी… उस समय मैं नहीं था जब उन्होंने लगाई थी दशकों पहले इसकी कलम गुलाब था आज भी है सदा सर्वदा रहेगा क्योंकि गुलाब के बिना जीवन नहीं यह Read more…

धर्म

हे राम !

हे राम ! सर्वशक्तिमान दयावान सर्वाधार निर्विकार अजर अमर जीवंत अनंत न्यायकारी सर्वसत्ताधारी सर्वव्यापक व्यथानाशक ” ऐसे घट – घट राम हैं दुनिया जानत नाहिं “ क्या कबीर ने जाना तुलसी का मर्म ? सच है – मेरे राम अवर्णनीय हैं असीम हैं आदि हैं अंत हैं अगणनीय इतने कि… Read more…

धर्म

मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता…!

  . मैं सोचता हूं – मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता जो वृक्ष के सदृश है जिसके भूखे अधर लपलपा रहे धरा – स्वेदन – पान को आतुर वह वृक्ष जो दिन और रात देखता है ईश्वर को ! गिराता है अपने शस्त्र – रूप पत्ते इबादत के Read more…

धर्म

मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता…!

……………….. मैं सोचता हूं – मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा वह कविता जो वृक्ष के सदृश है जिसके भूखे अधर लपलपा रहे धरा – स्वेदन – पान को आतुर वह वृक्ष जो दिन और रात देखता है ईश्वर को ! गिराता है अपने शस्त्र – रूप पत्ते इबादत के निमित्त Read more…

खासमखास

और जब औरंगज़ेब हार गया ……. 

मानव शरीर एक भौतिक वस्तु है | इसे आख़िरकार नष्ट ही हो जाना है | सभी लोग शुद्ध ह्रदय वाले हो जाएं अर्थात अपनी अंतरात्मा को साफ़ कर लें , नफ़्स का तज़किया कर लें , तो उनका कल्याण हो जाए | एक श्रेष्ठ समाज बन जाए | लोगों के Read more…

देवीपाटन मंडल

सिद्ध शक्तिपीठ देवी पाटन

सिद्ध शक्तिपीठ मां पाटेश्वरी का मन्दिर देवी पाटन उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले में तुलसीपुर रेलवे स्टेशन से पश्चिमोत्तर लगभग एक किलोमीटर पर सिरिया [ सूर्या / रामगंगा ] नदी के पूर्वी तट पर स्थित है | यह पूरे देश के विभिन्न भागों में अवस्थित 51 शक्तिपीठों में 26 वां है और इनमें इसका विशिष्ट स्थान Read more…

धर्म

क्यों लिखी लाला दौलत राय ने यह किताब ?

यह पुस्तक सरदार मनजीत सिंह GK ने 2008 में गिफ्ट की थी, जब वे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष थे। इस 240 पृष्ठीय उर्दू पुस्तक को आर्य समाज के दिग्गज चिंतक लाला दौलत राय ने 1901 में लिखी थी। उन्होंने इसकी प्रस्तावना में 23 जनवरी 1901 तिथि लिखी Read more…

धर्म

सूफ़ी संत मंसूर हल्लाज

सूफ़ी संत मंसूर हल्लाज को मक्का में संगसारी के लिए बांधा गया | पत्थर फेंकने का आमंत्रण दिया गया |  जब उनका एक करीबी दोस्त उधर से गुज़रा, तो उसे भी उन पर कुछ फेंकना था। उसकी जब पत्थर फेंकने की हिम्मत नहीं हुई तो उसने उनकी ओर एक फूल फेंक Read more…